राज्य का सबसे बड़ा 8500 करोड़ का घोटाला करने वाली फर्मों ने जीएसटी की कमियों का उठाया लाभ
दो माह के भीतर आठ हजार करोड़ का फर्जीवाड़ा करने वाली जिले के 68 फर्मों ने ऑटोमैटिक रजिस्ट्रेशन का इस्तेमाल किया।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Wed, 18 Dec 2019 10:55 AM (IST)
रुद्रपुर, जेएनएन : दो माह के भीतर आठ हजार करोड़ का फर्जीवाड़ा करने वाली ऊधमसिंहनगर जिले के 68 फर्मों ने ऑटोमैटिक रजिस्ट्रेशन का इस्तेमाल किया। राज्य के सबसे बड़े घोटालों को अंजाम देने वाले इस केस में जीएसटी की बारीकियों व कमियों का पूरा फायदा उठाया गया। जिससे कर चोरी का पर्दाफाश करने निकली राज्य कर विभाग की टीम को चंद कागजात ही मिले।
72 घंट में हो जाता है ऑनलाइन पंजीकरण ऑटोमैटिक रजिस्ट्रेशन में फर्म को ऑनलाइन आवेदन करना होता है। अगर कोई आब्जेक्शन नहीं है तो 72 घंटे के अंदर फर्म का पंजीकरण कर दिया जाता है। इसमें कागजात के बतौर बिजली का बिल, फोटो आदि संलग्न करना होता है। फर्म के कार्यालय के पते के लिए रेंट एग्रीमेंट लगाना होता है। अपर आयुक्त राज्य कर विभाग अनिल सिंह ने बताया कि मात्र दो माह के भीतर इन ऊधमसिहंनगर और दून की 70 फर्मों ने कुल आठ हजार पांच सौ करोड़ के ई-वे बिल बना डाले। इस तरह 1455 करोड़ की कर चोरी को अंजाम दे दिया। फर्जीवाड़ा करने वाले इनपुट टैक्स क्रेडिट के माध्यम से करोड़ों रुपये का लाभ कमा रहे थे।
53 टीमों ने की छापेमारी उत्तराखंड में कुल 70 फर्मों में से 68 सिर्फ ऊधमसिंह नगर जिले के पते पर पंजीकृत थी। इस तरह कुल 53 टीमें बनाकर सभी फर्मों की जांच की गई। जिसमें सभी पते फर्जी पाए गए। जिले में छापेमारी के लिए देहरादून से भी टीम बुलाई गई। छापेमारी टीम में एडिशनल कमिश्नर काशीपुर जोन बीएस नगन्याल, डिप्टी कमिश्नर निशिकांत ङ्क्षसह, ज्वाइंट कमिश्नर पीएस डुंगरियाल, सहायक कमिश्नर अनिल सिन्हा, राज्य कर अधिकारी प्रकाश चंद्र त्रिवेदी, ज्ञानचंद आदि शामिल रहे।
एक ओनर के नाम पांच फर्में पंजीकरण में एक ही व्यक्ति या ओनर के नाम से चार से पांच फर्म पंजीकृत पाई गई। 70 में से 34 फर्म दिल्ली से मशीनरी और कंपाउंड दाना के खरीद का ई-वे बिल बना रही थी। 26 फर्में चप्पल के कारोबार का ई-वे बिल बना रही थी। एक ही नाम में अलग-अलग सरनेम व टाइटिल जोड़कर फर्म का पंजीकरण किया गया। जबकि फोटो सभी में एक ही लगाई गई। जिससे मामला पकड़ में आ गया।
हरियाणा व दिल्ली के लोग विभागीय जांच में पता चला है कि 80 लोगों ने 21 मोबाइल नंबर और ई-मेल आइडी का प्रयोग करते हुए, दो-दो की साझेदारी में कुल 70 फर्में पंजीकृत की हैं। पंजीयन लेते समय दिए गए विवरण के अनुसार सभी साझेदार हरियाणा व दिल्ली के रहने वाले हैं। जिन्होंने ऊधमसिंह नगर व देहरादून में साक्ष्य स्वरूप किरायानामा व बिजली का बिल लगाया।
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