बंद कमरे में अंगीठी जलाना फिर बना जानलेवा, ऑक्सीजन खत्म, नींद में पिता-पुत्र की मौत
अखबारों में अक्सर खबरें छपने के बावजूद लोग जाने-अनजाने कमरे में अंगीठी जलाकर खुद के लिए ही जानलेवा बन रहे हैं। अभी कल ही एक ऐसे ही हादसे की खबर पिथौरागढ़ से आई है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Tue, 17 Dec 2019 11:34 AM (IST)
पिथौरागढ़, जेएनएन : अखबारों में अक्सर खबरें छपने के बावजूद लोग जाने-अनजाने कमरे में अंगीठी जलाकर खुद के लिए ही जानलेवा बन रहे हैं। अभी कल ही एक ऐसे ही हादसे की खबर पिथौरागढ़ से आई है। जहां कमरे में अंगीठी पर कोयला जलाकर पिता-पुत्र और पत्नी सो गए थे। रात में अंगीठी की गैस के कारण कमरे का अक्सीजन खत्म होने के कारण पिता-पुत्र की जहां मौत हो गई वहीं पत्नी की हालत गंभीर है। उन्हें जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया है। हालांकि मौत की असली वजह पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आने के बाद ही पता चल सकेगी।
किराए के कमरे में रहता था नेपाली परिवार नेपाल के बैतड़ी जिले का रहने वाला नेपाली परिवार रई पुल के निकट किराये के एक मकान में रहता था। रविवार की दोपहर साढ़े बारह बजे इस परिवार की 60 वर्षीय सदस्य काली देवी अर्द्धबेहोशी की हालत में कमरे से बाहर निकली। उसकी हालत देखकर पास पड़ोस के लोग कमरे के भीतर पहुंचे तो वहां दो लोग मृत और एक महिला बेहोशी की हालत में पड़ी मिली। लोगों ने इसकी सूचना पुलिस को दी। दो लोगों की मौत की सूचना मिलने पर पुलिस भी सकते में आ गई। कोतवाल ओपी शर्मा मौके पर पहुंचे। पूछताछ में पता चला कि मृतक धनवीर सिंह और उसका 38 दिन का पुत्र किरन लाल है। बेहोश पड़ी महिला धनवीर सिंह की पत्नी शांति देवी(22) है। बेहोश महिला को तत्काल जिला चिकित्सालय पहुंचाया गया।
कमरे में जल रही थी अंगीठी मौके पर जली हुई अंगीठी मिली। कमरे में मृतकों और बेहोश महिला द्वारा उल्टी भी की हुई थी। कोतवाल शर्मा ने बताया कि जिस कमरे में शव पड़े हुए मिले उसके और अद्र्धबेहोश काली देवी के बीच एक पर्दा लगा हुआ था। काली देवी ने बताया कि बीते रोज ठंड से बचने के लिए इस परिवार ने अंगीठी जलाई थी। कमरे की खिड़कियां बंद थी। संभवतया कोयल की गैस लग जाने से पिता पुत्र की मौत हो गई।
पोस्टमार्टम के बाद ही पता चलेगी मौत की असली वजह इधर जिला चिकित्सालय में भर्ती शांति देवी का उपचार कर रहे फिजीशियन डॉ. एसएस कुंवर ने बताया कि इस मामले में अभी स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता। मामला कोयले की गैस और विषाक्त पदार्थ के सेवन का भी हो सकता है। वास्तविक स्थिति मृृतकों के पोस्टमार्टम के बाद ही स्पष्ट होगी। अस्पताल में भर्ती शांति देवी की स्थिति गंभीर बनी हुई है। कोतवाल शर्मा ने कहा है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलनेे के बाद स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।
बंद करने में अंगीठी जलाकर कभी न सोएं सर्दी का मौसम शुरू हो चुका है। ऐसे में लोग ठंड से बचने के लिए तरह-तरह के जतन करेंगे। कमरों को गर्म रखने के लिए, अलाव, अंगीठी और हीटर जैसे उपकरण जलाए जाएंगे। लेकिन कमरों को गर्म रखने के लिए ये जतन आपके लिए जानलेवा भी हो सकते हैं। आप ऐसा करते हैं तो अलर्ट रहें। अंगीठी में इस्तेमाल होने वाले कोयले या लकड़ी के जलने से कॉर्बन मोनोऑक्साइड के अलावा कई जहरीली गैसें निकलती हैं, जो जानलेवा साबित होता है। अंगीठी ही नहीं, इस तरह का खतरा रूम हीटर से भी हो सकता है।
कम हो जाता है कमरे में आक्सीजन का लेवल कोयला या अलाव जलाने से कार्बन के अलावा कई जहरीली गैसें निकलती हैं। कोयला बंद कमरे में जल रहा हो, तो इससे एन्वायरनमेंट में कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है और ऑक्सीजन का लेवल घट जाता है। यह कार्बन, ब्रेन पर सीधे असर डालता है और सांसों के जरिए बॉडी के अंदर भी पहुंचता है। ब्रेन पर असर होने से कमरे में सोया कोई भी इंसान बेहोश हो सकता है। ब्लड में यह कार्बन घुलकर धीरे-धीरे ऑक्सीजन को कम कर देता है। बंद कमरे में लंबे समय तक ब्लोअर या हीटर जलाने से कमरे का तापमान बढ़ जाता है और नमी का लेवल कम हो जाता है। इस वजह से नॉर्मल लोगों को भी सांस संबंधी समस्या हो सकती है। अगर आप हीटर का प्रयोग करते हैं, तो कमरे में एक बाल्टी पानी रखें, जिससे कुछ हद तक नमी बनी रहे।
अंगीठी जलाने से पहले रहें अलर्ट
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।- घर में वेंटिलेशन हो तभी अलाव, हीटर या ब्लोअर चलाएं
- अलाव जलाकर उसके पास न सोएं
- साथ में पानी से भरी बाल्टी जरूर रखें
- आग जलाएं तो जमीन पर सोने से बचें
- घर में अगर कोई बच्चा हो, तो आग न जलाएं तो ज्यादा बेहतर है
- यदि रात में हीटर, ब्लोअर या अंगीठी का इस्तेमाल करते हैं, तो इनके करीब प्लास्टिक, कपड़े, केमिकल्स न हो
- ढीले प्लग, कटे तार से भी हादसा हो सकता है