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भारी बर्फबारी से कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग पर बने फाइबर हट्स हुए बर्बाद ! nainital news

कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग पर इस वर्ष भारी हिमपात से कुमाऊं मंडल विकास निगम को अधिक नुकसान की आशंका जताई जा रही है।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Fri, 07 Feb 2020 06:45 PM (IST)
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भारी बर्फबारी से कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग पर बने फाइबर हट्स हुए बर्बाद ! nainital news
पिथौरागढ़, जेएनएन : कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग पर इस वर्ष भारी हिमपात से कुमाऊं मंडल विकास निगम को अधिक नुकसान की आशंका जताई जा रही है। बताया जा रहा है कि इस वर्ष पिथौरागढ़ जिले के कालापानी, नाबीढांग के अलावा आदि कैलास मार्ग में कुटी, ज्योलिंगकोंग में नुकसान हुआ है। ठंड के मौसम में हिमपात से कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग के पड़ावों पर बने फाइबर हट्स क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। मानसरोवर यात्रा के पैदल पड़ावों पर उच्च हिमालय में सभी आवास फाइबर हट्स हैं। बूंदी से लेकर नाबीढांग तक और आदि कैलास मार्ग पर कुटी, ज्योलिंगकोंग में भी हट्स बने हैं।

केएमवीएन के हट्स हो जाते हैं बर्बाद

कुमांऊ मंडल विकास निगम के अनुसार शीतकाल की बर्फबारी से प्रतिवर्ष हट्स को नुकसान होता है। जिसमें कालापानी, ज्योलिंगकोंग और नाबीढांग के फाइबर हट्स सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। प्रतिवर्ष इन फाइबर हट्स की मरम्मत करनी पड़ती है। कैलास मानसरोवर यात्रा प्रारंभ होने से पूर्व सभी पड़ावों को ठीक करना पड़ता है। इस बार शीतकाल में उच्च हिमालय में भारी हिमपात हुआ है। अक्टूबर माह से ही बर्फबारी होने लगी थी। इस समय भी कई फीट बर्फ जमी है। बर्फ अधिक होने से फाइबर हट भार वहन नहीं कर सकते हैं। बीते वर्ष तक तो अधिकतम ऊंचाई वाले हट्स ही क्षतिग्रस्त होते थे इस बार बूंदी, गुंजी में भी क्षति होने की संभावना जताई जा रही है।

आने वाले दिनों में भी अधिक  नुकसान की संभावना

उच्च हिमालय में अभी आने वाले माहों में भी हिमपात जारी रहेगा। यहां के मौसम को देखते हुए आने वाले मार्च अप्रैल में बर्फीले तूफान भी नुकसान बढ़ाते हैं। मार्च, अप्रैल में बर्फबारी के बाद धूप खिलती है और गर्मी बढ़ते ही हवा चलने से बर्फीले तूफान आते हैं जिसके चलते क्षति बढ़ जाती है। मौसम के चलते मई माह में ही इस क्षेत्र में हुई क्षति का जायजा लिया जा सकता है।

बूंदी से लेकर नावीढांग तक के पड़ाव होते हैं प्रभावित

बूंदी से नावीढांग तक के पड़ावों को क्षति की संभावना रहती है। बूंदी से नावीढांग तक बूंदी, गुंजी, कालापानी और नावीढांग पड़ाव आते हैं। बूंदी से गुंजी की दूरी 18 किमी, गुंजी से कालापानी नौ किमी, कालापानी से नावीढांग की दूरी नौ किमी है।

कुटी में पांच तो गुंजी, कालापानी में तीन फीट से अधिक बर्फ जमी

सातवीं वाहिनी भारत तिब्बत सीमा पुलिस मिर्थी के सेनानी अनुप्रीत टी बोरकर ने बताया कि उच्च हिमालयी व्यास घाटी में कुटी में पांच फीट बर्फ है। गुंजी, कालापानी, छियालेख में तीन फीट से अधिक बर्फ है। चौकियों में रहने वाले जवान बर्फ पिघला कर पानी पी रहे हैं। पूरा क्षेत्र बर्फ से ढका है। अग्रिम चौकियों में तैनात हिमवीर इस मौसम में भी सीमा की तैनाती में मुस्तैद हैं। चीन से लगी इस सीमा पर कोरोना वायरस को लेकर जागरू क किया है।

मई में किया जाएगा नुकसान का आकलन

केएमवीएन के प्रबंधक दिनेश गुरुरानी ने बताया कि इस वर्ष अधिक हिमपात से कैलास मानसरोवर के पड़ावों पर अधिक नुकसान की संभावना है। नुकसान का आंकलन जब बर्फ कम होगी तब पता चलेगा। प्रतिवर्ष निगम के कालापानी, नावीढांग, कुटी, ज्यौलिंगकोंग में हट्स क्षतिग्रस्त होते हैं। इस बार नुकसान की अधिक होना स्वाभाविक है। मई माह में जाकर क्षति का आंकलन किया जाएगा।

मुनस्यारी में हिमपात, बंद होगा थल-मुनस्यारी मार्ग !

सीमांत में सुबह से लेकर दोपहर तक मौसम साफ रहने के बाद सायं उच्च हिमालय और उससे लगे उच्च मध्य हिमालय में मौसम खराब हो गया। सायं चार बजे से हिमपात शुरू होने लगा। हिमनगरी मुनस्यारी में इस मौसम का सोलहवां हिमपात हो रहा है। थल-मुनस्यारी मार्ग पर कालामुनि से बिटलीधार तक चार इंच बर्फ गिर चुकी है। देर सायं तक मार्ग बंद होने के आसार हैं। वहीं धारचूला तहसील के उच्च हिमालय सहित चौदास में भी हिमपात हुआ। धारचूला में तेज गरज के साथ बूंदाबांदी होने से एक बार फिर कड़ाके की ठंड होने लगी है। हिमपात और बूंदाबांदी से पूरे जिले शीतलहर चलते रही। जिससे तापमान में गिरावट आ गई।

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