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हाई कोर्ट के प्रतिबंध के बावजूद रसूखदार हर्ष फायरिंग कर ले रहे हैं जान

हल्द्वानी में हर्ष फायरिंग में युवा समाजसेवी की मौत के बाद जिले में शस्त्र लाइसेंस बांटने की प्रक्रिया सवालों के घेरे में हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sun, 24 Feb 2019 09:59 PM (IST)
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हाई कोर्ट के प्रतिबंध के बावजूद रसूखदार हर्ष फायरिंग कर ले रहे हैं जान
नैनीताल, जेएनएन : हल्द्वानी में हर्ष फायरिंग में युवा समाजसेवी की मौत के बाद जिले में शस्त्र लाइसेंस बांटने की प्रक्रिया सवालों के घेरे में हैं। हाई कोर्ट ने करीब डेढ़ साल पहले बागेश्वर जिले में हर्ष फायरिंग करने के आरोपित भगवान सिंह के मामले में आदेश पारित करते हुए शादी समारोह, मेला, जुलूस में फायरिंग के साथ ही सशस्त्र शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया था। स्कूल कैंपस में शस्त्र ले जाने तथा 21 साल से कम उम्र के आवेदक को शस्त्र लाइसेंस न देने का भी आदेश दिया था, मगर हल्द्वानी की घटना में कोर्ट के आदेशों के क्रियान्वयन को लेकर तंत्र की लापरवाही उजागर हुई है।

26 जुलाई 2017 को जस्टिस राजीव शर्मा व जस्टिस शरद कुमार शर्मा की खंडपीठ ने शस्त्र लाइसेंस को लेकर जिला पुलिस प्रमुखों को दिशा-निर्देश जारी किए थे। कोर्ट ने लाइसेंस देने वाली अथॉरिटी को यह सुनिश्चित करने को कहा था कि पिछले पांच साल में किसी अपराध में जो भी आरोपित हो या जिसने मुचलका भरा हो, उसे लाइसेंस न दिया जाए। जिलों के पुलिस प्रमुखों के साथ ही संबंधित क्षेत्रों के एसएचओ को इसके लिए व्यक्तिगत रूप से जवाबदेह बनाया गया था। असलहा ले जाने के लिए जिलाधिकारी की अनुमति लेना जरूरी किया गया था। मगर कोर्ट के इन आदेशों का अनुपालन कराने में प्रशासन विफल साबित हुआ है। इससे पहले नैनीताल से पंगूठ के मेहरोड़ा में गई बारात में भी हर्ष फायरिंग हुई थी, तब गोली युवक के पैर में लगी थी।

नौ माह में सिर्फ तीन लाइसेंस निरस्त

जिले में नौ माह में शस्त्र लाइसेंस के दुरूपयोग पर तीन शस्त्र लाइसेंस निरस्त किए गए हैं, जबकि जिले में कुल 8154 आवेदकों को लाइसेंस जारी किए गए हैं। डीएम वीके सुमन का कहना है कि हल्द्वानी की घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। शादी बरात में असलहों का प्रदर्शन पूरी तरह बंद हो, इसके लिए पुलिस के साथ मिलकर अभियान चलाया जाएगा।

नियम जानना है जरूरी

दुष्यंत मैनाली, अधिवक्ता ने बताया कि आर्म्‍स एक्ट 1962 के अंतर्गत सार्वजनिक व भीड़ वाले स्थानों पर असलहे का प्रदर्शन प्रतिबंधित है। इसके लिए डीएम की अनुमति जरूरी है। आर्म्‍स एक्ट में रूल्स 54 के अनुसार शस्त्र नवीनीकरण के बिंदु पांच में साफ उल्लेख है कि धार्मिक समारोह, मेला, शादी, सार्वजनिक स्थान पर शस्त्र ले जाना प्रतिबंधित है।

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