Uttarakhand: बाघों का गढ़ बन रही देवभूमि उत्तराखंड, अकेले कुमाऊं के वेस्टर्न सेंटर में 216 बाघ हैं मौजूद
Uttarakhand News उत्तराखंड में बाघों की संख्या में लगातार बढोत्तरी हो रही है। व्यावसायिक गतिविधियों के बावजूद जंगल के अंदरूनी क्षेत्रों में बाघों ने अपना सुरक्षित आशियाना बना रखा है। बाघ गणना के आंकड़े सार्वजनिक होने के बाद से वन विभाग के अधिकारी भी उत्साहित हैं। यहां 2018 के मुकाबले 2022 में 89 बाघ बढ़े हैं। जिस वजह से कुल संख्या 214 पहुंच गई।
By Jagran NewsEdited By: Swati SinghUpdated: Wed, 02 Aug 2023 08:28 AM (IST)
हल्द्वानी, गोविंद बिष्ट। उत्तराखंड वन विभाग का वेस्टर्न सर्किल यानी कुमाऊं के तराई-भाबर क्षेत्र का जंगल। इस सर्किल के अंतर्गत पांच वन प्रभाग आते हैं और इन्हें हमेशा से बाघों के लिए सुरक्षित क्षेत्र माना गया है। 2018 की गणना में यहां 127 बाघ मिले थे, अब इनकी संख्या बढ़कर 216 हो चुकी है। खास बात यह है कि देश के आठ राज्यों के मुकाबले तराई-भाबर के इन जंगलों में बाघों की संख्या काफी अधिक है।
वेस्टर्न सर्किल के तहत हल्द्वानी, तराई केंद्रीय, तराई पूर्वी, तराई पश्चिमी और रामनगर डिवीजन का जंगल आता है। ऊधमसिंह नगर जिला यानी तराई और नैनीताल जिले के भाबर क्षेत्र रामनगर, हल्द्वानी, लालकुआं से लेकर चोरगलिया तक का हिस्सा और चंपावत जिले के मैदानी भाग टनकपुर से ऊपर पहाड़ का कुछ जंगल इसके दायरे में है।
300 करोड़ तक की हो चुकी है कमाई
वन विभाग की नजर में यह सर्किल व्यावसायिक लाभ वाली भी है। क्योंकि, राजस्व जुटाने के मामले में यह अधिकांश बार राज्य में यह अव्वल रही है। खनन व लकड़ी निकासी के जरिये एक वित्तीय वर्ष में 300 करोड़ तक भी इन डिवीजनों ने कमाई की है।जंगल के अंदर बाघों ने बना लिया है सुरक्षित आशियाना
व्यावसायिक गतिविधियों के बावजूद जंगल के अंदरूनी क्षेत्रों में बाघों ने अपना सुरक्षित आशियाना बना रखा है। बाघ गणना के आंकड़े सार्वजनिक होने के बाद से वन विभाग के अधिकारी भी उत्साहित हैं। यहां 2018 के मुकाबले 2022 में 89 बाघ बढ़े हैं। जिस वजह से कुल संख्या 214 पहुंच गई। जबकि देश के आठ राज्यों बिहार, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, झारखंड, उड़ीसा, गोवा और अरुणाचल में बाघों की कुल संख्या 190 हैं।
2018 की गणना बाद मिला था बाघ मित्र अवॉर्ड
वर्ष 2018 में इन डिवीजनों में 127 बाघ मिलने पर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) भी उत्साहित हुआ था। जिसके बाद इन डिवीजनों को बाघ मित्र अवॉर्ड दिया गया। बाघों के संरक्षण को बजट व संसाधन भी मिले थे।बाघों की संख्या में हुई है वृद्धि
बाघों की संख्या में अच्छी वृद्धि हुई है। यह अधिकारियों व कर्मचारियों के बाघ संरक्षण की दिशा में किए बेहतर प्रयासों का परिणाम हैं। गणना सार्वजनिक होने के बाद जिम्मेदारी और बढ़ चुकी है। दीप चंद्र आर्य, वन संरक्षक पश्चिमी वृत्त, कुमाऊं
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