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होली में अवैध शराब का धंधा करने पर दारोगा को दी थी घूस, अब पांच-पांच साल की कैद

जिला जज एवं विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण राजीव खुल्बे की कोर्ट ने दारोगा को घूस देेने के आरोपित दो अवैध शराब के धंधेबाजों को रिश्वत देने का दोषी करार दिया।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Fri, 20 Mar 2020 09:20 AM (IST)
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होली में अवैध शराब का धंधा करने पर दारोगा को दी थी घूस, अब पांच-पांच साल की कैद
नैनीताल,जेएनएन : जिला जज एवं विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण राजीव खुल्बे की कोर्ट ने दारोगा को घूस देेने के आरोपित दो अवैध शराब के धंधेबाजों को रिश्वत देने का दोषी करार दिया। कोर्ट ने दोषियों को पांच-पांच साल का सश्रम कारावास व पांच-पांच हजार अर्थदंड की सजा सुनाई है। कोर्ट ने इस मामले की जांच में त्रुटियों पर तत्कालीन सीओ व एएसपी स्वतंत्र कुमार के खिलाफ भी तल्ख टिप्पणी की है।

अभियोजन के अनुसार 18 मार्च 2016 को टीपी नगर हल्द्वानी चौकी प्रभारी रजत कसाना ने सीओ राजेंद्र ह्यांकी को सूचना दी क होली के अवसर पर शराब का धंधा करने के एवज में दो लोग 40 हजार घूस देने आए हैं। सूचना पर सीओ जनता के दो गवाह विपिन व राजेंद्र को साथ लेकर पहुंचे। चौकी में मौजूद दो व्यक्तियों ने अपना नाम रामेश्वर सिंह पुत्र बंशीधर निवासी जोशीखोला बड़ी मुखानी हल्द्वानी व ज्ञानेंद्र ओझा पुत्र शिवपूजन ओझा निवासी कृष्णा नगर, थाना इज्जतनगर बरेली, हाल जोशीखोला बड़ी मुखानी हल्द्वानी बताया। पूछताछ में कहा कि होली पर अवैध शराब का धंधा करना चाहते हैं।

इसलिए चौकी प्रभारी की टेबल पर रिश्वत के रूप में 20-20 हजार रखे थे। सीओ की मौजूदगी में रिश्वत की रकम को सीलबंद किया गया। हिरासत में लेने के बाद दोनों की जमा तलाशी पर मोबाइल, 17 हजार नौ सौ रुपये व चैन, एक लाख 45 हजार रुपये बरामद किए। जिसके बाद दोनों आरोपितों के खिलाफ भ्रष्टïाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया। डीजीसी फौजदारी सुशील कुमार शर्मा द्वारा तत्कालीन सीओ ह्यांकी, चौकी प्रभारी समेत अन्य गवाहों को पेश किया। स्वतंत्र साक्षी विनीत अग्रवाल बयानों से मुकर गया। गुरुवार को कोर्ट ने दोनों आरोपितों को दोषी करार देते हुए पांच-पांच साल कैद तथा पांच-पांच हजार अर्थदंड की सजा सुनाई।

जांच अधिकारी के खिलाफ टिप्पणी

कोर्ट ने आदेश में तत्कालीन विवेचनाधिकारी व तत्कालीन सीओ स्वतंत्र कुमार के खिलाफ टिप्पणी की है। जिसमें कहा है कि उनके द्वारा उप्र पुलिस रेगुलेशन व उत्तराखंड में लागू रेगुलेशन का अनुपालन नहीं किया। दंड प्रक्रिया संहिता में दिए प्रावधानों की अनदेखी की गई। सीओ स्तर के अधिकारी से त्रुटिपूर्ण विवेचना की अपेक्षा नहीं की जा सकती। आपराधिक कृत्य में अपराध साबित करने के लिए विवेचना अहम आधार होता है। विवेचक ऐसी त्रुटि न करें, लिहाजा फैसले की प्रति निदेशक अभियोजन उत्तराखंड को भेजी गई है।

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