मुखानी चौराहे पर फ्लाइओवर का मामला पहुंचा हाई कोर्ट, दो सप्ताह में जवाब दे सरकार
हाईकोर्ट ने 2013 में लोक निर्माण विभाग की ओर से तैयार फ्लाई ओवर के प्रस्ताव की स्थिति पर सरकार से दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Wed, 05 Dec 2018 06:50 PM (IST)
नैनीताल, जेएनएन। हल्द्वानी में मुखानी चौराहे पर फ्लाई ओवर का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। हाईकोर्ट ने 2013 में लोक निर्माण विभाग की ओर से तैयार फ्लाई ओवर के प्रस्ताव की स्थिति पर सरकार, सचिव लोक निर्माण विभाग, कुमाऊं कमिश्नर व जिलाधिकारी नैनीताल को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
हल्द्वानी निवासी रिटायर्ड इंजीनियर पीसी जोशी ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि पहाड़ से हल्द्वानी होते हुए रुद्रपुर जाने वाले अधिकांश लोग मुखानी चौराहा होकर गुजरते हैं। इसी इलाके में तमाम अस्पताल, प्राइवेट इंस्टीट्यूट हैं। साथ ही सुशीला तिवारी अस्पताल को रास्ता भी जाता है मगर इस चौराहे में अक्सर जाम लगा रहता है। जिस कारण खासकर राहगीरों खासकर मरीजों को दिक्कतें होती हैं। याचिका में यह भी कहा गया कि 2013 में लोनिवि मुख्य अभियंता द्वारा फ्लाईओवर को लेकर प्रस्ताव भी तैयार किया गया मगर अब तक मामला ठंडे बस्ते में है।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति रमेश खुल्बे की खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद सरकार को फ्लाईओवर मामले में जवाब दाखिल करने व फ्लाईओवर बनने तक वैकल्पिक व्यवस्था क्या की जा सकती है, इस पर दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है।
हल्द्वानी निवासी रिटायर्ड इंजीनियर पीसी जोशी ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि पहाड़ से हल्द्वानी होते हुए रुद्रपुर जाने वाले अधिकांश लोग मुखानी चौराहा होकर गुजरते हैं। इसी इलाके में तमाम अस्पताल, प्राइवेट इंस्टीट्यूट हैं। साथ ही सुशीला तिवारी अस्पताल को रास्ता भी जाता है मगर इस चौराहे में अक्सर जाम लगा रहता है। जिस कारण खासकर राहगीरों खासकर मरीजों को दिक्कतें होती हैं। याचिका में यह भी कहा गया कि 2013 में लोनिवि मुख्य अभियंता द्वारा फ्लाईओवर को लेकर प्रस्ताव भी तैयार किया गया मगर अब तक मामला ठंडे बस्ते में है।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति रमेश खुल्बे की खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद सरकार को फ्लाईओवर मामले में जवाब दाखिल करने व फ्लाईओवर बनने तक वैकल्पिक व्यवस्था क्या की जा सकती है, इस पर दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है।
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