Move to Jagran APP

पूर्व मुख्यमंत्रियों पर अब भी तीन करोड़ रुपये किराया बकाया

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों पर करीब तीन करोड़ किराया अब भी बकाया है। कैबिनेट किराया माफ करने का फैसला ले चुकी है, मगर न्याय विभाग व वित्त विभाग ने पल्ला झाड़ लिया है।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Wed, 13 Feb 2019 07:50 PM (IST)
Hero Image
पूर्व मुख्यमंत्रियों पर अब भी तीन करोड़ रुपये किराया बकाया
नैनीताल, जेएनएन : राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों पर करीब तीन करोड़ किराया अब भी बकाया है। राज्य सरकार कैबिनेट बैठक में किराया माफ करने का फैसला ले चुकी है, मगर न्याय विभाग व वित्त विभाग ने इस मामले में राय देने से पल्ला झाड़ लिया है। अब गुरुवार को हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ मामले में सुनवाई करेगी।बुधवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की खंडपीठ में रूरल लिटीगेशन एंड एनटाइटिलमेंट केंद्र रूलक की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सरकार की ओर से महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने कोर्ट में पूरक शपथ पत्र दाखिल किया। इसमें बताया गया कि पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक पर 40.95 लाख, बीसी खंडूरी पर 46.59 लाख, विजय बहुगुणा पर 37.50 लाख, भगत सिंह कोश्यारी पर 47.57 लाख तथा एनडी तिवारी पर एक करोड़ 12 लाख रुपये किराया बकाया है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता कार्तिकेय हरिगुप्ता ने सवाल उठाया कि सरकार ने शपथ पत्र में सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से कैबिनेट के समक्ष नोट का उल्लेख किया है, जबकि न्याय विभाग व वित्त विभाग ने राय देने से इन्कार किया है। कैबिनेट नोट में उच्च न्यायालय से किराया माफ करने संबंधी प्रार्थना करने का भी उल्लेख किया गया है। सरकार के शपथ पत्र पर गुरुवार को याचिकाकर्ता के अधिवक्ता द्वारा बहस की जाएगी।

रुड़की नगर निगम मामले में सरकार से दो सप्ताह में मांगा जवाब : हाई कोर्ट ने रुड़की नगर निगम से पाडली गुज्जर व रामपुर गांव को बाहर करने के मामले में सरकार से दो सप्ताह में जवाब मांगा है। पूर्व में कोर्ट ने सुनवाई करते हुए पूछा था कि किसी भी क्षेत्र को नगर निगम या नगर पंचायत से किस आधार शामिल या बाहर किया जा रहा है। कोर्ट ने शहरी विकास सचिव को मामले में व्यक्तिगत रूप से पेश होने के आदेश भी दिए थे। बुधवार को न्यायाधीश न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की एकलपीठ में सरकार को जवाब दाखिल करना था, मगर सरकार ने जवाब दाखिल नहीं किया। इसके बाद कोर्ट ने सख्त रवैया अपनाते हुए सरकार को दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए। रुड़की निवासी रियाज कुरैशी व अन्य ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि पिछले साल छह दिसंबर को सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर पाडली गुज्जर व रामपुर गांव को नगर निगम से बाहर कर दिया। एकलपीठ ने छह दिसंबर 2018 के इस नोटिफिकेशन के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी।

यह भी पढ़ें : सरकार बताए कैसे होगा स्लाटर हाउसों का निर्माण : हाई कोर्ट

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।