सीमांत पिथौरागढ़ में दो माह में चार प्रसूताओं की अकाल मौत, सवालों के घेरे में स्वास्थ्य व्यवस्था Nainital news
पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय के महिला अस्पताल में शनिवार को प्रसव के बाद महिला की मौत हो गई। पिछले दो माह में चार महिलाओं की मौत से स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sat, 15 Feb 2020 06:49 PM (IST)
पिथौरागढ़, जेएनएन : पर्वतीय भूभाग वाले उत्तराखंड प्रदेश में चुनौतियां भी पहाड़ जैसी हैं। बदहाल व्यवस्थाएं पहाड़ के लोगों की समस्याओं को और बढ़ा देती हैं। ताजा मामला सीमांत पिथौरागढ़ जिले से सामने आया है। शनिवार को पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय के महिला अस्पताल में प्रसव के बाद महिला की मौत हो गई। जिले में पिछले दो माह में चार महिलाएं अकाल मौत का शिकार हो चुकी हैं।
अस्पताल परिसर में गश खाकर गिर पड़ी प्रसूता
धारचूला तहसील के कालिका की रहने वाली रिद्धिमा (26) पत्नी गोविंद गुंज्याल हाल निवासी बस्ते शुक्रवार को अपने रूटीन चेकअप के लिए महिला चिकित्सालय आई थी। डॉक्टर को दिखाने से पहले ही महिला को अस्पताल परिसर में चक्कर आ गया। उसे तत्काल भर्ती कराया गया। जांच में रिद्धिमा के शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर महज पांच ग्राम मिला। डाॅक्टरों ने महिला को खून चढ़ाया।
प्रसव के चार घंटे बाद मौतअस्पताल में भर्ती रिद्धिमा ने शनिवार सुबह 7.55 बजे सामान्य प्रसव से बच्ची को जन्म दिया। दोपहर पौने एक बजे रिद्धिमा को सांस लेने में तकलीफ होने लगी। उसे ऑपरेशन थियेटर ले जाया गया। जहां उसने दम तोड़ दिया। महिला की मौत की जानकारी मिलते ही अस्पताल में हड़कंप मच गया। जानकारी जैसे ही नगर में पहुंची, लोगों में आक्रोश फैल गया।
चार घंटे बाद पहुंचा प्रशासन मामले की जानकारी मिलने के बाद लोग अस्पताल में जुटने शुरू हो गए। गुस्साए कांग्रेसियों ने अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि महिला अस्पताल में लगातार महिलाओं की मौत हो रही है और प्रशासन व स्वास्थ्य महकमा सुन नहीं रहे। दो माह के दौरान प्रसव के लिए चार महिलाओं की मौत हो चुकी है, बावजूद इसके व्यवस्थाएं नहीं सुधारी जा रही।
तीन मौत में एक मामले की जांचरिद्धिमा की मौत से पहले तीन महिलाएं पहले की काल के गाल में समा चुकीं हैं। जिसमें केवल एक मामले की जांच हुई। जिसमें भी अस्पताल प्रबंधन को क्लीन चिट दे दी गई। प्रदर्शनकारी मामले की जांच पर अड़ गए। हंगामे की आशंका को देखते हुए पुलिस बल बुला लिया गया। चार घंटे के प्रदर्शन के बाद एसडीएम (सदर) तुषार सैनी ने अस्पताल पहुंचकर लोगों से वार्ता की। एसडीएम के जांच का आश्वासन देने पर लोग शांत हुए।
आइसीयू की सुविधा होती तो शायद बच जाती रिद्धिमा पांच लाख की आबादी वाले पिथौरागढ़ जिले में अब तक आइसीयू की सुविधा नहीं है। जिला चिकित्सालय में करोड़ों की लागत से आइसीयू तैयार किया गया है, लेकिन स्टाफ की तैनाती नहीं होने से इसका संचालन शुरू नहीं हुआ है। शनिवार को प्रसव के बाद जब रिद्धिमा को तकलीफ शुरू हुई तो उसे आइसीयू की जरूरत थी, लेकिन सुविधा नहीं होने से महिला को जान गंवानी पड़ी।
62 बेड के अस्पताल में मात्र 42 बेड का संचालन महिला अस्पताल को दस साल पहले अपग्रेडेशन कर 62 बेड स्वीकृत किए गए थे। जगह की कमी के चलते मात्र 42 बेड ही संचालित हो पा रहे हैं। नए भवन का प्रस्ताव कई बार शासन को भेजा गया, लेकिन सुनवाई न हुई।नवजातों के लिए भी पूरे इंतजाम नहींमहिला अस्पताल में जन्म लेने वाले बच्चों की सेहत की देखरेख के भी पूरे इंतजाम नहीं हैं। ठंड से बचाव के लिए मात्र तीन बेड लगे हैं। जिनमें कई बार चार-चार बच्चों को भर्ती करना पड़ता है। बच्चों की देखरेख के लिए पिछले आठ वर्षो से मात्र एक डॉक्टर हैं जिन्हें सीएमएस का दायित्व भी संभालना पड़ रहा है। मानकों के हिसाब से अस्पताल में तीन बाल रोग विशेषज्ञ जरूरी हैं।
हमने हर संभव प्रयास किएमहिला अस्पताल की सर्जन डॉ. भागीरथी टोलिया ने बताया कि रिद्धिमा का हीमोग्लोबिन पांच ग्राम था, जबकि गर्भवती महिलाओं में 13 से 14 मिलीग्राम हीमोग्लोबिन होना चाहिए। महिला को रक्त चढ़ाया गया। हमने अस्पताल में उपलब्ध सुविधा के अनुरूप सभी प्रयास किए। आइसीयू की कमी खली।व्यवस्था ने छीन लिया मां का साया रिद्धिमा का छह वर्ष का एक बेटा अंशुमन है। एलकेजी में पढ़ने वाला अंशुमन के घर पर भीड़ जुटने लगी तो वह हर किसी से मां के बारे में पूछता रहा। मां का शव पहुंचने के बाद अंशुमन आंसुओं को नहीं रोक सका। परिजनों ने बहलाकर उसे शांत कराया। अंशुमन के पिता गोविंद सिंह गुंज्याल पिथौरागढ़ पुलिस लाइन में तैनात हैं।
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