हजारों लोगों के जमीन के कागजात में गोलमाल, रजिस्ट्री अपनी, खतौनी में किसी और का नाम
रजिस्ट्री अपने नाम की है, लेकिन खतौनी में नाम किसी और का ही दर्ज है। यह समस्या किसी एक या दो व्यक्तियों की नहीं, बल्कि मुखानी व तल्ली बमौरी में रहने वाले हजारों लोगों की है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Mon, 24 Dec 2018 07:14 PM (IST)
हल्द्वानी, जेएनएन : रजिस्ट्री अपने नाम की है, लेकिन खतौनी में नाम किसी और का ही दर्ज है। यह समस्या किसी एक या दो व्यक्तियों की नहीं, बल्कि मुखानी व तल्ली बमौरी में रहने वाले हजारों लोगों की है। इतना ही नहीं, इन क्षेत्रों में अधिकांश लोगों की खतौनी में निर्धारित भूमि भी दर्ज नहीं है। इसकी वजह से लोग तनाव में हैं और तहसील से लेकर एसडीएम कार्यालय के चक्कर लगाने को मजबूर हैं। इसकी वजह से लोगों को नक्शा पास कराने से लेकर बैंक से लोन लेने में भी परेशानी हो रही है।
अधिकारियों व कर्मचारी की लापरवाही का नतीजावर्ष 1995-96 से ही मुखानी व तल्ली बमौरी बंदोबस्ती क्षेत्र को रेगुलराइज यानी खतौनी निर्धारित करने को लेकर प्रक्रिया शुरू हुई। तभी से अधिकारियों व कर्मचारियों की लापरवाही से मामला टलता गया। राज्य बनने के बाद इन क्षेत्रों में भूमि की बिक्री बढ़ गई और इसके साथ ही दिक्कतें भी बढ़ी हैं। फिर भी किसी जिम्मेदार अधिकारी ने इस पर ध्यान नहीं दिया। यही हाल गौजाजाली बंदोबस्ती गांव का है।
2014 में डीएम दीपक रावत ने कराया था कंप्यूटराज्डवर्ष 2014 में डीएम दीपक रावत ने मुखानी व तल्ली बमौरी क्षेत्र में दाखिल खारिज की प्रक्रिया रोक दी और खतौनी को कंप्यूटराइज्ड करने की प्रक्रिया शुरू करवाई थी। उन्होंने जल्द से जल्द काम पूरा करने के निर्देश दिए थे। कर्मचारियों न तेब जल्दबाजी में काम निपटा दिया, जिसकी वजह से लोगों की खतौनी में न ही निर्धारित भूमि दर्ज हो सकी और न ही रजिस्ट्री के अनुसार सही नंबर दर्ज हो पाए।
केस-1 मुख्यमंत्री के पीआरओ विजय बिष्ट का श्याम विहार मुखानी में प्लॉट है। जब उन्होंने मकान बनाने के लिए खतौनी देखी तो चौंक गए। रजिस्ट्री में खेत नंबर कुछ और था, खतौनी में कुछ और नंबर दर्ज था। एसडीएम कोर्ट में मामले को ले गए। बिष्ट ने बताया कि सभी लोगों की दिक्कतों को दूर करने के लिए एसडीएम को कहा गया है।
केस-2 तल्ली बमौरी के आदर्श नगर में जितेंद्र मेहता का भी प्लॉट है। उन्होंने जब कंप्यूटराइज्ड खतौनी निकाली तो होश उड़ गए। उस खतौनी में निर्धारित भूमि ही दर्ज नहीं थी। जबकि, उनकी रजिस्ट्री में करीब 2200 वर्ग फीट जमीन दर्ज है। अब वह इसे दुरुस्त कराने के लिए इधर-उधर चक्कर काट रहे हैं।
केस-3 मुखानी में नीरज पंत का मकान है। कुछ समय पहले जब उन्होंने दोमंजिला बनाया था, तब भी खतौनी में लिपिकीय गलती होने से नंबर गलत था। एक बार फिर खतौनी में नंबर गलत हो गया है। अब वह परेशान हैं। तहसीलदार से लेकर एसडीएम से ठीक कराने के बारे जानकारी लेने में लगे हैं।
ऐसे दूर होंगी लिपिकीय गललियां एसडीएम एपी बाजपेयी का कहना है कि अगर लिपिकीय गलती है, नाम या वल्दियत का नाम गलत है तो इसके लिए एसडीएम कार्यालय में आवेदन करना होगा। निर्धारित प्रक्रिया के तहत इसे दुरुस्त कर दिया जाएगा। एसडीएम का कहना है, प्रतिदिन 20 से 25 मामले आ रहे हैं।
यह भी है एक प्रक्रिया एसडीएम का कहना है कि अगर खतौनी में भूमि दर्ज नहीं है या फिर कोई कमी है तो इसके लिए एसडीएम कोर्ट में नियमित वाद दायर करना होगा। निर्धारित प्रक्रिया के तहत ही मामले को निपटाया जा सकता है।
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