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उत्तराखंड में बाघ-गुलदार और दुर्लभ वनस्पतियों के जंगल तक पहुंची आग

forest fire in uttarakhand उत्तराखंड में अप्रैल के अंतिम सप्ताह में जंगल की आग बेकाबू नजर आ रही है। आग का दायरा वन्यजीव संरक्षित वाले जंगलों की तरफ भी बढ़ चुका है। कार्बेट राजाजी कालागढ़ केदारनाथ वाइल्डलाइफ सेंचुरी और उत्तरकाशी के गोविंद वाइल्डलाइफ सेंचुरी के जंगल भी सुलगते नजर आए।

By Prashant MishraEdited By: Updated: Sat, 23 Apr 2022 09:41 AM (IST)
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जंगल की आग में अमूल्य वन संपदा व निरीह वन्यजीव संकट में हैं।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी: Uttarakhand Fire Forest: उत्तराखंड वन विभाग की सबसे बड़ी चुनौती इस वक्त जंगलों में लगातार सुलगती है। महकमे के तमाम प्रयासों के बावजूद आंकड़े कम और आग नियंत्रित होने का नाम नहीं ले रही। यह स्थिति 15 जून तक रहेगी। जिस वजह से वन विभाग भी टेंशन में आ चुका है।

फिलहाल चिंता की बात यह है कि जंगल की आग बाघ-गुलदार और हाथी के आशियानों के साथ दुर्लभ वनस्पति वाली प्रजातियों के जंगल तक भी पहुंच रही है। इस कैटेगिरी का 101 हेक्टेयर जंगल अभी तक झुलस चुका है। कार्बेट नेशनल पार्क, राजाजी और केदारनाथ वाइल्डलाइफ सेंचुरी का क्षेत्र भी इसमें शामिल है। भविष्य में हालात और खराब होने से पहले बचाव कार्यों को लेकर गंभीरता बरतने की जरूरत है।

15 फरवरी से उत्तराखंड में फारेस्ट फायर सीजन शुरू हो गया था। शुरूआती डेढ़ महीने में स्थिति काफी हद तक कंट्रोल में नजर आई। लेकिन अप्रैल चालू होते ही घटनाएं बढ़ती गई। जंगलों में नमी की मात्रा का खत्म होना, सूखापन, बारिश का अभाव व संसाधनों की कमी भी इसके पीछे एक वजह है।

वहीं, अब आग का दायरा वन्यजीव संरक्षित वाले जंगलों की तरफ भी बढ़ चुका है। कार्बेट, राजाजी, कालागढ़, केदारनाथ वाइल्डलाइफ सेंचुरी और उत्तरकाशी के गोविंद वाइल्डलाइफ सेंचुरी के जंगल भी सुलगते नजर आए। ज्यादा प्रभाव गोविंद वाइल्डलाइफ सेंचुरी के जंगलों में दिखा।

वन्यजीव संरक्षित जोन में नुकसान

जगह का नाम            घटनाएं         जंगल झुलसा

राजाजी नेशनल पार्क    6                 10.5

कालागढ़ टाइगर डिवीजन 2              0.75

कार्बेट नेशनल पार्क       11               7.6

केदारनाथ सेंचुरी           18              19.5

गोविंद वाइल्डलाइफ सेंचुरी 16          63.5

डिवीजन व वन पंचायत का 1352 हेक्टेयर जंगल जला

हल्द्वानी: 15 फरवरी से अब तक डिवीजनों से लेकर वन पंचायतों का जंगल लगातार जल रहा है। 22 अप्रैल तक के आंकड़ों के मुताबिक 1352 हेक्टेयर इनमें झुलस चुका है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अभी तक कुमाऊं रेंज का 867.46 और गढ़वाल का 485 हेक्टेयर जंगल आग की चपेट में आया है। वन्यजीव संरक्षित क्षेत्र की घटनाएं अलग से हैं।

आग से एक की मौत, दो घायल

वन विभाग के मुताबिक आग की घटनाओं में अभी दो लोग घायल हो चुके हैं। इसके अलावा एक व्यक्ति की जान भी चली गई। पर्यावरणीय क्षति का आंकलन 40 लाख पार हो चुका है। राज्य में साढ़े 15 हजार से अधिक पेड़ों के जलने के साथ-साथ 19.34 हेक्टेयर प्लांटटेशन एरिया भी जलकर खाक हो गया।

मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डा. पराग मधुकर धकाते ने बताया कि आग की घटनाओं को देखते हुए इन सभी जगहों पर फील्ड स्टाफ को छुट्टियां ने देने के लिए कहा गया है। बेहद जरूरी होने पर ही अवकाश मिलेगा। जरूरत के मुताबिक संसाधन मुहैया किए गए हैं। वन्यजीव वाले जंगलों में विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं।