मौसम और लॉकडाउन ने पहाड़ी फल उत्पादकों की तोड़ी कमर, रामनगर में 20 करोड़ की लीची का कारोबार चौपट
बेमौसम आंधी-पानी और लॉकडाउन के कारण इस बार कुमाऊं में रामनगर की लीची आम और पहाड़ी फल आड़ू पूलम खुमानी को खासा नुकसान हुआ है।
लॉकडाउन में देखरेख के लिए नहीं पहुंचे कुशल श्रमिक
लॉकडाउन का असर रामनगर की लीची पर पड़ा है। क्षेत्र में नौ सौ हैक्टेयर क्षेत्रफल में लीची की पैदावार होती है। मार्च से लीची के पेड़ों के नीचे थावले बनाने, सिंचाई, दवाई का छिडक़ाव व देखरेख के लिए उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद, रामपुर व संभल से श्रमिक पहुंचते हैं। लॉकडाउन की वजह से इस बार श्रमिक बगीचों में नहीं पहुंच पाए। जिस वजह से पेड़ों को पोषक तत्व नहीं मिलने से इसका असर उत्पादन पर पड़ा।
बचीखुची फसल आंधी-पानी से बर्बाद की
रामनगर में बगीचों को ठेकेदार शुरुआत में ही ठेके पर उठा लेते हैं। जिन बगीचों में ठेकेदारों द्वारा अपने प्रयासों से पेड़ों की देखरेख की, उन पेड़ों पर बौर तो आए, लेकिन बारिश की वजह से वह झड़ गए। कई बगीचों में लीची की फसल हुई भी तो अप्रैल व मई में आई आंधी ने वह भी खत्म कर दिया। इन सब वजह का असर फल उत्पादन पर पड़ा। लॉकडाउन की वजह से बाहर से खरीदारों के भी कम आने की संभावना है।
लीची तोड़ने तक के लिए नहीं मिल रहे श्रमिक
छोई के बगीचे स्वामी डा. देवी दत्त दानी ने बताया कि लीची तोडऩे के लिए बुलाए जाने वाले श्रमिकों का टेस्ट हमेें खुद कराना है। ऐसे में श्रमिकों का भी बगीचों में अभाव बना हुआ है। वहीं एएस परवाल, उद्यान प्रभारी रामनगर ने बताया कि इस बार पेड़ों की देखरेख के लिए श्रमिक नहीं आ पाए। इससे लीची के उत्पादन पर विपरीत असर पड़ा है। पेड़ों में जो बोर आया वह भी बारिश की वजह से झड़ गया। इस बार पिछले साल की तुलना में 30 फीसद लीची ही हुई है।
बागेश्वर में ओलावृष्टि व अंधड़ से 30 फीसद फसल प्रभावित
बागेश्वर जिले में कुल 565 हेक्टेयर क्षेत्रफल में आम का उत्पादन किया जाता है। इस बार आम के बौर भी अच्छे हुए थे। लेकिन बारिश, अंधड़ और ओलावृष्टि ने फसल को प्रभावित किया है। जिले के गरुड़, कांडा, कपकोट, काफलीगैर, दुग नाकुरी, शामा आदि क्षेत्रों में सेब, नाशपाती, आम, लीची, आंवला, अखरोट, आड़ू की पैदावार होती है। हर साल फलों का उत्पादन गिर रहा है। फल उत्पादक मोहन सिंह, गुंसाई सिंह, प्रताप सिंह, दीवान सिंह, पार्वती देवी, सरस्वती देवी आदि ने सरकार से मुआवजे की गुहार लगाई है। बता दें कि जिले में 240 मीट्रिक टन सेब, 5232 नाशपाती, 2180 आम, 27 लीची, 70 आंवला आदि का उत्पादन होता है। जो लगातार घटते जा रहा है। आरके सिंह, जिला उद्यान अधिकारी, बागेश्व ने बताया कि मौसम के कारण उत्पादन प्रभावित हुआ है। बीमा कराए किसानों को नुकसान कराया जाएगा।
काफल नहीं पहुंचा बाजार तक, आड़ू, पुलम पर दोहरी मार
पिथौरागढ़ जिले में पहाड़ी फलों पर मौसम और लॉकडाउन की दोहरी मार पड़ी है। सुलभ होने वाला काफल इस बार बाजार तक नहीं पहुंंचा। आड़ू, पुलम ओलों और लॉकडाउन की मार पड़ी है। क्वीटी की लीची पर ही अब आस टिकी है। जिले में आड़ू का उत्पादन चार सौ क्विंटल तो पुलम का उत्पादन 250 क्विंटल और खुबानी का उत्पादन लगभग सौ क्विंटल के आसपास होता है। मौसम ठीक रहने पर तीन सौ क्विंटल के आसपास आडृू , दो सौ क्विंटल पुलम और पचास क्विंटल के आसपास खुबानी बाजार में बिकने आती है। इस बार अभी तक बाजार से सब गायब है। बाजार में कहीं पर आडूू नजर तो आ रहा है परंतु उसकी कीमत साठ रु पए प्रति किलो से अधिक है। बीते वर्ष तक आड़ू बीस से तीस रुपए प्रति किलो, पुलम भी इसी रेट पर बिकता था। काफल लगभग पांच सौ से लेकर एक हजार क्विंटल तक बाजार में आता था। इस वर्ष नहीं के बराबर आया है। काफल बीते वर्षो तक तीस से चालीस रुपए किलो बिका परंतु इस वर्ष सीमित मात्रा में आए काफल की कीमत सौ रुपए किलो तक है।
फलों से इस बार आमदनी ना के बराबर
पिथौरागढ़ के फल उत्पादक रसियाबगड निवासी जीवन दानू, गंगोलीहाट निवासी जेसी जोशी, ह्यूपानी पिथौरागढ़ निवासी मनोज चन्द, खड़किनी पिथौरागढ़ निवासी सतीश पांडेय, गुरना पिथौरागढ़ निवासी दीवान सिंह मेहता का कहना है कि इस वर्ष मौसम प्रतिकूल रहा। दो से तीन बार ओलावृष्टि हुई। ओलो की मार से फल बर्बाद हो गए हैं। बचे फलों को बाजार पहुंचाने में लाकडाउन बाधक बना। बाजार में खरीदार भी कम हैं। फल पेड़ो में ही बर्बाद हो गए। प्रतिवर्ष इस सीजन में फलो से आमदनी नहीं के बराबर है। वहीं जिला उद्यान केसी पंत का कहना है कि ओलावृष्टि से फलों को 25 से तीस फीसद नुकसान हुआ है। ऊपर से लॉकडाउन के चलते फल बाजार तक नहीं पहुंचे।
ऊधमसिंहनगर आम और लीची की फसल प्रभावित
ऊधमसिंहनगर जिले में बेमौसम आंधी-पानी लीची उत्पादकों को काफी नुकसान पहुंचा है। 26 अप्रैल व 11 मई को आई आंधी से करीब 70 फीसद लीची की फसल को नुकसान पहुंचा है। जिला उदयान अधिकारी हरिश्चंद्र तिवारी की मानें तो जिले में आम की खेती करीब 4 हजार 147 हेक्टेअर व लीची 1550 हेक्टेअर में होती है। लीची उत्पादक बेहतर बाजार के तौर पर दिल्ली की ओर रुख करते रहे हैं। कुछ छोटे उत्पादक स्थानीय बाजार में ही प्राथमिकता देते हैं। लॉकडाउन ने इस बार इनका कारोबार चौपट कर दिया है। सबसे अधिक नुकसान काशीपुर, खटीमा व बाजपुर में लीची उत्पादकों को उठाना पड़ा है। जिसका आकलन कराया गया है। मुख्यालय से जो निर्देश मिलेंगे उसके आधार पर क्षतिपूर्ति दी जाएगी। जिले में आम की खेती लीची की तुलना में चार हजार 147 हेक्टेअर की गई है। आम की फसल को भी खास नुकसान पहुंचा है।
अल्मोड़ा जिले में 30 फीसद फलों को नुकसान
अल्मोड़ा जिले में मौसम की बेरुखी से 30 फीसदी फलों को नुकसान पहुंचा है। वहीं लॉकडाउन के कारण ग्रामीण क्षेत्रों के फल उत्पादकों को अपने फलों को औने-पौने दामों में बेचने का विवश होना पड़ रहा है। जिले में 15690 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फलों का उत्पादन होता है और उत्पादक करीब दो करोड़ का कारोबार करते हैं। अल्मोड़ा जिले में फलों का उत्पादन करने वाले काश्तकारों की कुल संख्या 41,650 है। ओलावृषि्ट व अंधड़ से 17,650 काश्तकार प्रभावित हुए हैं। फल उत्पादन करने वाले काश्तकार हरीश जोशी, हरिदत्त, गोपाल दत्त उप्रेती तथा दीवान सिंह, चंदन सिंह रावत का कहना है कि 20 लाख के करीब इस बार नुकसान की आशंका है। त्रिलोकी नाथ पांडेय, मुख्य उद्यान अधिकारी अल्मोड़ा ने बताया कि इस बार में जिले में बार-बार मौसम के उतार-चढ़ाव से फल उत्पादकों को 25 से 30 प्रतिशत तक नुकसान पहुंचा है। शासन को क्षति का आंकलन भेजा गया है।
विभिन्न फलों का भाव
फल थोक भाव मार्केट भाव
आड़ू 25 30
खुबानी 40 45
पुलम 35 40
नोट: थोक व मार्केट भाव प्रति किलो के दर से हैं
बाजार में अब तक नहीं पहुंचे फल
चंपावत जनपद में करीब 19111 काश्तकार हैं। जो फलों का उत्पादन करते हैं और इनसे प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर करीब 16 सौ लोग रोजगार से जुड़े हुए हैं। उद्यान अधिकारी एनके आर्य ने बताया कि जनपद में 7575 हेक्टेयर में फलों की खेती है। एक वर्ष में करीब 12315 मैट्रिक टन फल उत्पादित होता है। इसमें मुख्य रूप से आम, लीची, पूलम, खुमानी, आडू, माल्टा, संतरा व काफल है। पहले कोरोना संक्रमण और फिर मौसम ने काश्तकारों को तगड़ा झटका दिया है। मई माह गुजरने के बाद बाजारों में पर्याप्त मात्रा में फलों की आवक हो जाती थी लेकिन इस बार ऐसा नहीं।
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