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janta curfew : जीवित रहते भी पेट की खातिर पत्थर तोडऩे पड़ते हैं... बीमारी से मर गया ताे क्‍या गम

कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए आहूत जनता कर्फ्यू पहाड़ के गांवों में भी पूरी तरह कारगर दिखा। बाजार बंद और वाहनों के चक्के थमे रहे।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Mon, 23 Mar 2020 09:44 AM (IST)
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janta curfew : जीवित रहते भी पेट की खातिर पत्थर तोडऩे पड़ते हैं... बीमारी से मर गया ताे क्‍या गम
हल्द्वानी, गणेश पांडे : कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए आहूत जनता कर्फ्यू पहाड़ के गांवों में भी पूरी तरह कारगर दिखा। बाजार बंद और वाहनों के चक्के थमे रहे। मेडिकल स्टोरों पर तक ताले रहे। पेट्रोल पंप खुले जरूर, मगर सड़कों पर सन्नाटा होने से दोपहर बाद वह भी बंद हो गए। अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ जिलों को जोडऩे वाले एनएच 309बी के दन्या बाजार में जहां रोजाना लोगों की भीड़ नजर आती थी और टैक्सियां खड़ी रहती थी, वहां रविवार को बच्चे सड़क के बीचोंबीच क्रिकेट खेलते नजर आए।

जीवित रहते भी पेट की खातिर पत्थर तोडऩे पड़ते हैं

दन्या बाजार में आसपास के 25 से तीस गांवों के लोग खरीदारी को आते हैं। टैक्सियों के माध्यम से रोजाना सैकड़ों लोग हल्द्वानी आना-जाना करते हैं। रविवार को बाजार में सुनसानी रही। दुकानें और वाहनों की आवाजाही बंद होने से युवाओं ने सड़क को खेल का मैदान बना लिया। दन्या से दो किमी दूरी पर सड़क किनारे 80 वर्षीय तिल राम रोड़ी तोड़ते दिखे। पूछने पर उन्होंने बताया आज सड़क सुनसान होने से गाडिय़ों का शोरगुल नहीं है। थली गांव के रहने वाले तिल राम कहते हैं बीमारी की उन्हें जानकारी है। पिछले दो-तीन दिनों में शहरों से कई लड़के नौकरी छोड़ गांव लौट आए हैं। कहते हैं मैं काम नहीं छोड़ सकता। बीमारी से मर गए तो क्या गम, जीवित रहते भी पेट की खातिर पत्थर तोडऩे पड़ते हैं। तिल राम की पत्नी 22 बरस पहले बीमारी के चलते गुजर गई। मजदूरी करने वाला इकलौता बेटा अपनी पत्नी के साथ अलग रहता हैै।

....तो परिवार चलाना मुश्किल होगा

दोपहिया वाहनों की सर्विस, मरम्मत करने वाला साबिर धूप में लेटा आराम कर रहा है। कहता है रोज की आमदनी से घर का खर्च चलता है। कोरोना के खतरे से बंद अधिक दिन तक रहता है तो परिवार चलाना मुश्किल होगा। बाजार में पुलिस मुस्तैद रही, लेकिन सुनसानी होने की वजह से राहत में दिखी। वाहन नहीं चलने से ड्यूटी पर जाने वालों को परेशानी हुई। दन्या बाजार में ड्यूटी देने जा रहे होमगार्ड के जवान को सात किमी सफर पैदल तय करना पड़ा। हल्द्वानी के मोतीमहल रेस्टोरेंट में काम करने वाले जगदीश को काम पर लौटना था। मैनेजर ने तीन-चार दिन रेस्टोरेंट बंद होने की बात कहकर उसे गांव में ही रहने की सलाह दी है। वहीं, जनता कफ्र्यू के फैसले की चौतरफा सराहना हो रही है। बसोली के पूर्व ग्राम प्रधान मदन भैसोड़ा का कहना है कि दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, जयपुर से पहाड़ आने वाले युवाओं की हल्द्वानी में जांच की जाए। लोगों को डर है कि बाहर से आने वाले लोग अनजाने में अपने साथ कहीं बीमारी लेकर न आएं। कर्फ्यू के समर्थन में आंचल डेयरी ने गांवों की दुग्ध समितियों से दूध का उठान नहीं किया। हालांकि दुग्ध उत्पादकों को एक दिन पहले ही इसकी जानकारी दे दी गई थी।

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