नाले में तब्दील हो रही पवित्र गंडक नदी, लगातार गिर रहा नदी का जलस्तर
चम्पावत जनपद की एकमात्र उत्तर मुखी गंडक नदी आज गंदे नाले में तब्दील होती जा रही है। गंडक नदी का उल्लेख श्लोकों और शास्त्रों में भी मिलता है। लेकिन वर्तमान समय में पवित्र गंडक नदी नगर की गंदगी व कूड़े का बोझ उठा रही है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Thu, 01 Apr 2021 12:05 PM (IST)
चम्पावत, जागरण संवाददाता : चम्पावत जनपद की एकमात्र उत्तर मुखी गंडक नदी आज गंदे नाले में तब्दील होती जा रही है। गंडक नदी का उल्लेख श्लोकों और शास्त्रों में भी मिलता है। लेकिन वर्तमान समय में पवित्र गंडक नदी नगर की गंदगी व कूड़े का बोझ उठा रही है। नगर की नालियों और सीवरों का पानी गंडक नदी में छोड़ने से नदी का पानी पीने योग्य तो दूर अब अन्य कार्यों में भी प्रयोग नहीं किया जाता है।
गंगा के समान पवित्र मानी जाने वाली गंडक नदी अपना अस्तित्व खोती जा रही है। जिला मुख्यालय के सारे नाले इसी नदी में गिरते हैं। जिला मुख्यालय की आबादी बढऩे के साथ ही नदी के अस्तित्व पर भी खतरा बढ़ता जा रहा है। कभी गर्मियों में पानी की कमी होने पर लोग इस नदी का पानी पीने के लिए प्रयोग करते थे। इस नदी में स्नान करते थे। लेकिन आज स्थिति ऐसी है कि लोगों ने इसका पानी पीना तो दूर नहाने, धोने जैसे कार्यों के लिए भी प्रयोग करना कम कर दिया है। गंडक नदी जनपद की एक मात्र उत्तर मुखी नदी है। इसके बावजूद भी जिला प्रशासन नदी को संरक्षित करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है।
मत्स्यकी अनुसंधान केंद्र भी इसी नदी पर है स्थित
शुरुआत में नदी का जल स्वच्छ व शीतल होता है। इसी कारण उद्गम क्षेत्र से कुछ दूरी पर छीड़ापानी में शीत जल मत्स्यकी अनुसंधान केंद्र स्थापित किया है। लेकिन वर्तमान मे कम होते जल स्तर के कारण अनुसंधान केंद्र में मछलियों उत्पादन में प्रभाव पड़ रहा है। जल स्तर में गिरावट
पिछले कई दशकों से वर्षा के स्तर में गिरावट, ग्लोबल वार्मिग के कारण बढ़ रही गर्मी तथा लगातार हो रहे वनों के कटान के कारण नदी का जल स्तर लगातार घटता जा रहा है। जिस कारण तेज वेग वाली नदी आज सिमटकर एक नाले में तब्दील हो गई है।
काली भी हो रही दूषित गंडक नदी में चम्पावत नगर से आगे जाने पर लोहाघाट से आने वाली पूरी तरह दूषित लोहावती नदी मिलती है। ये दोनों दूषित नदियां आगे जाकर तल्लादेश क्षेत्र में काली नदी में जा मिलती हैं जो टनकपुर में शारदा के नाम से जानी जाती है। जिस कारण काली नदी का जल भी दूषित हो रहा है। क्या कहते हैं लोगउत्तमुखी गंडक नदी में पहले पानी का बहाव ज्यादा होने के कारण नदी पार करने में परेशानी होती थी। मगर नदी सिमटने के साथ गंदगी से पट गई है। - शिक्षक खीमानंद पांडेय, कनलगांव
बाजार की नालियों के पानी से नदी दूषित हो रही है जिस कारण इसमें मछलियां भी नहीं पनप रही हैं। जबकि पहले नदी में पानी और मछलियां भरपूर मात्रा में होती थी। - जीवन चंद्र पांडेय, व्यापारीबरसात के कारण जमीन में पानी होने के कारण स्रोत सूख गए हैं जिस कारण पानी कम हो गया है। नदी को संरक्षित करने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए। - हरीश चंद्र, फुंगर
पचास वर्ष पहले पुल नहीं थे लोग पत्थरों के पुल से नदी पार करते थे लेकिन अब नदी में बहाव तो छोडिए पानी भी न के बराबर रह गया है। - प्रहलाद सिंह बोहरा, चौकी नदी किनारे लोगों ने अतिक्रमण कर इसे सिकोड़ दिया है। जिससे पानी कम तो हुआ ही लोगों ने इसमें सीवर छोड इसे दूषित कर दिया है। हमें जागरूक होकर इसे संरक्षित करना होगा। - भवानी दत्त पुनेठा
सिंचाई विभाग को प्रस्ताव बनाने के निर्देश गंडक नदी के संरक्षण व संवर्धन के लिए सिंचाई विभाग को प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिए गए हैं। प्रस्ताव मिलने के बाद उसे संस्तुति के लिए शासन में भेजा जाएगा। टीएस मर्तोलिया, एडीएम, चम्पावतUttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें
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