परवरिश का असर शिक्षा में भी आ रहा नजर, बेटियां सरकारी स्कूल में, बेटों के लिए कॉन्वेंट
जेंडर आधारित भेदभाव मिटाने के तमाम कार्यक्रम चलाने के बाद भी लोगों की सोच में उम्मीद के अनुरूप बदलाव नहीं आ रहा। भेदभाव वाली सोच का असर शिक्षा पर भी दिखाई दे रहा है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Tue, 07 May 2019 11:02 AM (IST)
हल्द्वानी, गणेश पांडे : जेंडर आधारित भेदभाव मिटाने के तमाम कार्यक्रम चलाने के बाद भी लोगों की सोच में उम्मीद के अनुरूप बदलाव नहीं आ रहा। भेदभाव वाली सोच का असर छात्र-छात्राओं की शिक्षा पर भी दिखाई दे रहा है। देवभूमि उत्तराखंड के अभिभावक बेटियों को सरकारी स्कूलों व बेटों को महंगे कॉन्वेंट स्कूलों में भेज रहे हैं। हालांकि सकारात्मक पहलू यह भी है कि बेटियों की शिक्षा में लगातार इजाफा हो रहा है।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) व उत्तराखंड बोर्ड की परीक्षा दे रहे स्टूडेंट्स की संख्या से इस तरह का अध्ययन सामने आया है। स्थिति यह है कि कई माता-पिता बेटियों को सरकारी स्कूल भेज रहे हैं व बेटों को अपनी सामथ्र्य के अनुसार प्राइवेट स्कूल में पढ़ा रहे हैं। उच्च व उच्च मध्यम परिवारों में इस तरह का भेदभाव भले न दिखे, लेकिन मध्यम व निम्न मध्यम परिवार में साफ दिखाई देता है। उत्तराखंड में इस बार सीबीएसई की परीक्षा देने वाली छात्राओं के मुकाबले छात्रों की संख्या 4380 अधिक है। वहीं, उत्तराखंड बोर्ड में डेढ़ हजार से अधिक छात्राएं हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा दे रही हैं।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) व उत्तराखंड बोर्ड की परीक्षा दे रहे स्टूडेंट्स की संख्या से इस तरह का अध्ययन सामने आया है। स्थिति यह है कि कई माता-पिता बेटियों को सरकारी स्कूल भेज रहे हैं व बेटों को अपनी सामथ्र्य के अनुसार प्राइवेट स्कूल में पढ़ा रहे हैं। उच्च व उच्च मध्यम परिवारों में इस तरह का भेदभाव भले न दिखे, लेकिन मध्यम व निम्न मध्यम परिवार में साफ दिखाई देता है। उत्तराखंड में इस बार सीबीएसई की परीक्षा देने वाली छात्राओं के मुकाबले छात्रों की संख्या 4380 अधिक है। वहीं, उत्तराखंड बोर्ड में डेढ़ हजार से अधिक छात्राएं हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा दे रही हैं।
दोनों बोर्ड से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स
बोर्ड छात्र छात्राएं
उत्तराखंड 130480 132092
सीबीएसई 82206 77826
उत्तराखंड 130480 132092
सीबीएसई 82206 77826
(नोट : 2019 में हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा देने वाले रेगुलर स्टूडेंट्स की संख्या पर आधारित)
फिर भी रिजल्ट में बाजी मार जाती हैं बेटियां
कॉन्वेंट स्कूलों में पढऩे वालों में बेटों की संख्या भले अधिक हो, मगर रिजल्ट आने पर बेटियां आगे होती हैं। सीबीएसई 2018 की इंटरमीडिएट परीक्षा में हरिद्वार की तनुजा कापड़ी ने उत्तराखंड टॉप करने के साथ देश में तीसरा स्थान प्राप्त किया था। हाईस्कूल परीक्षा में रानीखेत की शाहिस्ता सदफ ने प्रदेश टॉप किया। इस साल इंटरमीडिएट परीक्षा में हल्द्वानी की श्रेया ने देश के टॉप थ्री में जगह बनाई। हल्द्वानी शहर के टॉप सेवन मेरिट में बेटियां छाई रही।
कॉन्वेंट स्कूलों में पढऩे वालों में बेटों की संख्या भले अधिक हो, मगर रिजल्ट आने पर बेटियां आगे होती हैं। सीबीएसई 2018 की इंटरमीडिएट परीक्षा में हरिद्वार की तनुजा कापड़ी ने उत्तराखंड टॉप करने के साथ देश में तीसरा स्थान प्राप्त किया था। हाईस्कूल परीक्षा में रानीखेत की शाहिस्ता सदफ ने प्रदेश टॉप किया। इस साल इंटरमीडिएट परीक्षा में हल्द्वानी की श्रेया ने देश के टॉप थ्री में जगह बनाई। हल्द्वानी शहर के टॉप सेवन मेरिट में बेटियां छाई रही।
बेटियां पढ़ रही हैं, आगे और बदलाव आएगा : प्रो. बिष्ट
कुमाऊं विश्वविद्यालय में कार्यरत समाजशास्त्री प्रो. बीएस बिष्ट कहते हैं कि भारतीय समाज सदियों से पितृ सत्तात्मक रहा है। इस कारण कुछ लोगों में भेदभाव वाली सोच दिखती है। विभिन्न स्तरों से प्रयास हो रहे हैं। एक दिन लोगों की सोच में बदलाव आएगा। कुछ दशक पहले तक बेटियों को पढ़ाया नहीं जाता था। आज बेटियां न केवल पढ़ रही है, बल्कि सभी क्षेत्रों में सफलता के आयाम छू रही हैं। यह भी पढ़ें : एक ही बार अलग-अलग व्यवहार को न समझें भूत-प्रेत का साया, मनोरोगियाें को दिखाएंयह भी पढ़ें : आरटीजीएस के लिए आने वाले लाखों के चेक गायब करता था उत्तर प्रदेश का गैंग, जानें पूरा मामलालोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।कुमाऊं विश्वविद्यालय में कार्यरत समाजशास्त्री प्रो. बीएस बिष्ट कहते हैं कि भारतीय समाज सदियों से पितृ सत्तात्मक रहा है। इस कारण कुछ लोगों में भेदभाव वाली सोच दिखती है। विभिन्न स्तरों से प्रयास हो रहे हैं। एक दिन लोगों की सोच में बदलाव आएगा। कुछ दशक पहले तक बेटियों को पढ़ाया नहीं जाता था। आज बेटियां न केवल पढ़ रही है, बल्कि सभी क्षेत्रों में सफलता के आयाम छू रही हैं। यह भी पढ़ें : एक ही बार अलग-अलग व्यवहार को न समझें भूत-प्रेत का साया, मनोरोगियाें को दिखाएंयह भी पढ़ें : आरटीजीएस के लिए आने वाले लाखों के चेक गायब करता था उत्तर प्रदेश का गैंग, जानें पूरा मामलालोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप