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इस पेड़ के बीज से बनता है घी, FRI Dehradun ने तैयार की नर्सरी, संरक्षण व संवर्धन में जुटे वैज्ञानिक

इंडियन बटर ट्री के नाम से विख्‍यात च्‍यूरा के पेड़ को चम्पावत वन प्रभाग के छीड़ा बीट में संरक्ष‍ित किया जा रहा है। यहां प्रयोगशाला स्थापित की गई है। यहां फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट देहरादून के वैज्ञानिक और विशेषज्ञ अन्य जिलों में उगने वाले पेड़ पर अध्यन कर रहे हैं।

By Prashant MishraEdited By: Updated: Tue, 05 Jan 2021 06:25 PM (IST)
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इससे तैयार वनस्पति घी 200 रुपया प्रति किलो तक बेचा जाता है।

जागरण संवाददाता, चम्पावत : काली कुमाऊं वन रेंज की पहल पर फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (एफआरआइ) ने छीड़ा बीट में "कल्प वृक्ष व इंडियन बटर ट्री" के नाम से पहचाने जाने वाले च्यूरा वृक्ष के संवद्र्धन और संरक्षण के लिए नर्सरी तैयार की है। नर्सरी में चम्पावत, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा और बागेश्वर से लाए गए च्यूरा के विभिन्न प्रजातियों के 375 पौधों का रोपण किया गया है।

रेंजर हेम चंद्र गहतोड़ी ने बताया कि जलवायु को समझने और भविष्य में लोगों को च्यूरा वृक्ष से रोजगार देने के लिए विभिन्न जनपदों में उगने वाले च्यूरा वृक्ष पर रिसर्च शुरू कर दी गई है। इसके लिए चम्पावत वन प्रभाग के छीड़ा बीट के आरक्षित कक्ष संख्या 25 में प्रयोगशाला स्थापित की गई है। बताया कि फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट देहरादून के वैज्ञानिक और विशेषज्ञ जिले के पर्यावरण में राज्य के अन्य जिलों में उगने वाले च्यूरा वृक्ष की ग्रोथ आदि पर अध्यन करेंगे।

सफलता मिलने पर जिले के अन्य स्थानों पर च्यूरा रोपण कर ग्रामीणों को रोजगार से जोड़ा जाएगा। दो दिन पूर्व फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीटूयूट देहरादून के वैज्ञानिकों ने यहां आकर नर्सरी का निरीक्षण किया था। रेंजर ने बताया कि च्यूरा को कल्प वृक्ष के नाम से जाना जाता है। इसके फूलों से मधुमक्खियां पौष्टिक शहद तैयार करती हैं तो इसके बीज से वनस्पति घी और साबुन तैयार किया जाता है। च्यूरा से तैयार किए गए एक साबुन की कीमत बाजार में 80 से 150 रुपये है। वहीं इससे तैयार वनस्पति घी 200 रुपया प्रति किलो तक बेचा जाता है।

इंडियन बटर ट्री के नाम से भी जाना जाता है च्यूरा 

च्यूरा को इंडियन बटर ट्री के नाम से भी जाना जाता है। चम्पावत जिले के अलावा पिथौरागढ़ अल्मोड़ा, बागेश्वर में यह बड़ी मात्रा में उगता है। चम्पावत के काली, सरयू, पूर्वी रामगंगा और गोरी गंगा नदी घाटियों में यह बड़े पैमाने पर पाया जाता है। इसका फल बेहद मीठा होता है। फल के बीज से घी बनाया जाता है। अब तक कुछ गांवों में लोग इससे सीमित मात्रा में घी बनाकर उपयोग में लाते थे। इसके गुणों को देखते हुए लंबे समय से इसको रोजगार से जोडऩे की कोशिशें की जा रही थी।

तीन हजार फिट की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाया जाता है च्यूरा 

च्यूरा का वनस्पति नाम डिप्लोनेमा बुटीरैशिया है। यह तीन हजार फिट की ऊंचाई में पाया जाता है। इसके पेड़ 12 से 21 मीटर तक ऊंचे होते हैं। इसकी पत्तियां पशुओं के चारे के रूप में उपयोग होती हैं। च्यूरे की खली मोमबत्ती, वेसलीन और कीटनाशक बनाने के काम आती है।

मुख्यमंत्री ने दिए हैं सिन्याड़ी में च्यूरा पट्टी विकसित करने के निर्देश 

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चम्पावत दौरे पर वन विभाग को सिन्याड़ी में च्यूरा पौधों का रोपण कर उसे च्यूरा पट्टी के रूप में विकसित करने के निर्देश दिए थे। वन विभाग अब यहां बड़े पैमाने पर च्यूरा लगाने की तैयारी कर रहा है।

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