शासन का वही पुराना राग, एक फिर से छेड़ा आइएसबीटी की जमीन का शिगूफा
आइएसबीटी को लेकर शासन ने एक बार फिर से जमीन के निरीक्षण का शिगूफा छेड़ा है। लगातार निरीक्षण व बयानबाजी के बावजूद हल्द्वानी के इस बड़े प्रोजेक्ट की स्थिति साफ नहीं हो सकी है।
By Edited By: Updated: Sun, 13 Jan 2019 01:42 PM (IST)
हल्द्वानी, जेएनएन : आइएसबीटी को लेकर शासन ने एक बार फिर से जमीन के निरीक्षण का शिगूफा छेड़ा है। अब वन विभाग व परिवहन विभाग तीनपानी के पास प्रस्तावित जमीन का निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजेंगे। वहीं लगातार निरीक्षण व बयानबाजी के बावजूद हल्द्वानी के इस बड़े प्रोजेक्ट की स्थिति साफ नहीं हो सकी है। कांग्रेस सरकार ने गौलापार में आइएसबीटी का निर्माण शुरू कराया था। लेकिन यहां कंकाल मिलने बाद काम रुक गया, जिसके बाद से नई जमीन तलाशने का सिलसिला चल रहा है। बाद में तीनपानी स्थित उत्तराखंड ओपन यूनिवर्सिटी के जंगल में जमीन चिह्नित हुई।
वहीं गौलापार निवासी रवि शंकर जोशी ने इसे लेकर हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर दी और गौलापार में ही आइएसबीटी बनाने की मांग की। गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान सरकार को चार सप्ताह के भीतर हलफनामा प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए तो अब दोबारा शासन स्तर से पत्र भेजकर स्थलीय निरीक्षण करने के निर्देश मिले हैं, जिसमें परिवहन विभाग व वन विभाग दोनों शामिल होंगे। बताया जा रहा है कि दोनों महकमे मिलकर प्रस्तावित जमीन की रिपोर्ट तैयार करेंगे। हालांकि बड़ा सवाल ये है कि तीनपानी की जमीन को लेकर एक साल से प्रक्रिया चल रही है। लेकिन कानूनी व नीतिगत वजहों के चलते सरकार प्रोजेक्ट की तस्वीर साफ नहीं कर सकी। बता दें काफी लंबे समय से बस अड्डे को लेकर असमंजस की स्थित पैदा हो रही है। कांग्रेस द्वारा चयनित भूमि को भाजपा नकार चुकी है। अब जगह तय नहीं होने के कारण बस अड्डे का निर्माण भी शुरू नहीं हो पा रहा है।
वहीं गौलापार निवासी रवि शंकर जोशी ने इसे लेकर हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर दी और गौलापार में ही आइएसबीटी बनाने की मांग की। गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान सरकार को चार सप्ताह के भीतर हलफनामा प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए तो अब दोबारा शासन स्तर से पत्र भेजकर स्थलीय निरीक्षण करने के निर्देश मिले हैं, जिसमें परिवहन विभाग व वन विभाग दोनों शामिल होंगे। बताया जा रहा है कि दोनों महकमे मिलकर प्रस्तावित जमीन की रिपोर्ट तैयार करेंगे। हालांकि बड़ा सवाल ये है कि तीनपानी की जमीन को लेकर एक साल से प्रक्रिया चल रही है। लेकिन कानूनी व नीतिगत वजहों के चलते सरकार प्रोजेक्ट की तस्वीर साफ नहीं कर सकी। बता दें काफी लंबे समय से बस अड्डे को लेकर असमंजस की स्थित पैदा हो रही है। कांग्रेस द्वारा चयनित भूमि को भाजपा नकार चुकी है। अब जगह तय नहीं होने के कारण बस अड्डे का निर्माण भी शुरू नहीं हो पा रहा है।
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