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    नैनीताल हाई कोर्ट का अहम फैसला, 'सरकार के पास भर्ती की योग्यता तय करने का अधिकार'

    Updated: Thu, 16 Oct 2025 03:27 PM (IST)

    नैनीताल हाई कोर्ट ने गन्ना पर्यवेक्षक भर्ती मामले में एकल पीठ के फैसले को पलट दिया। कोर्ट ने कहा कि भर्ती एजेंसी का काम सिर्फ परीक्षा कराना है, योग्यता तय करना सरकार का अधिकार है। कोर्ट के इस फैसले से उन अभ्यर्थियों को राहत मिली है, जिनका चयन रद्द कर दिया गया था। सरकार ने स्पष्ट किया कि तीन वर्षीय डिप्लोमा भी मान्य है, जिसका पालन आयोग को करना होगा।

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    हाई कोर्ट का अहम निर्णय, एकलपीठ का आदेश पलटा। प्रतीकात्‍मक

    जागरण संवाददाता, नैनीताल। हाई कोर्ट ने गन्ना पर्यवेक्षक के 78 के पदों पर भर्ती मामले में एकल पीठ के निर्णय को पलटते हुए कहा कि भर्ती एजेंसी का काम परीक्षा आयोजित करना व परिणाम घोषित करना है जबकि भर्ती के लिए अभ्यर्थियों की अर्हता तय करने का अधिकार नियोक्ता या राज्य सरकार को है। कोर्ट ने साफ किया कि राज्य लोक सेवा आयोग को नियोक्ता के निर्णय का पालन करना होगा।

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    कोर्ट के निर्णय से ऐसे अभ्यर्थियों को राहत मिली है, जिन्होंने 2023 में गन्ना पर्यवेक्षक के 78 पदों के लिए आयोजित लिखित परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों का चयन रद कर दिया था। इन अभ्यर्थियों के मामले सील कवर में बंद किए गए थे।

    दरअसल उत्तराखंड राज्य लोक सेवा आयोग की ओर से 2022 में गन्ना पर्यवेक्षक के पदों के लिए आवेदन आमंत्रित करते हुए विज्ञापन जारी किया था। सरकार के गन्ना एवं चीनी आयुक्त द्वारा शैक्षिक योग्यता संबंधी अस्पष्टता पर अपना रुख स्पष्ट करने के बाद भी यूकेपीएससी ने नवंबर 2023 में तीन वर्षीय कृषि अभियंत्रण डिप्लोमाधारकों का चयन रद कर दिया था। इसके बाद सफल 11 अभ्यर्थियों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने अभ्यर्थियों को राहत नहीं देते हुए भर्ती रद करने के आयोग को निर्णय को यथावत रखा।

    दरअसल काशीपुर निवासी मनाली चौधरी तीन अन्य का भी इन पदों पर चयन हुआ था। दस्तावेज़ सत्यापन के लिए बुलाया गया था, उनके पास कृषि अभियांत्रिकी में तीन वर्षीय डिप्लोमा होने के कारण उन्हें अपात्र घोषित कर दिया गया। नवंबर 2023 में आयोग ने गन्ना पर्यवेक्षक पद के लिए शैक्षणिक योग्यता के संबंध में विसंगति के संबंध में नियोक्ता से स्पष्टीकरण मांगा। सेवा नियमों के अनुसार, इस पद के लिए आवश्यक योग्यता कृषि में दो वर्षीय डिप्लोमा है, लेकिन हाई स्कूल के बाद कृषि डिप्लोमा (कृषि अभियांत्रिकी) तीन वर्षीय होता है, तो क्या तीन वर्षीय डिप्लोमा मान्य होगा या नहीं?

    सरकार की ओर से बताया गया कि उत्तराखंड तकनीकी शिक्षा बोर्ड कृषि अभियांत्रिकी में तीन वर्षीय डिप्लोमा प्रदान कर रहा है, इसलिए दो वर्षीय डिप्लोमा या तीन वर्षीय डिप्लोमा कानूनी रूप से स्वीकार्य है। इसके बाद भी आयोग की ओर से कहा गया कि सेवा नियमों में उल्लिखित शैक्षणिक योग्यता का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए और अपीलकर्ताओं के मामले को दस्तावेज़ सत्यापन के चरण में खारिज कर दिया गया था और केवल चयन से किसी उम्मीदवार को नियुक्ति का अधिकार नहीं मिलता है।

    एकलपीठ ने सभी तथ्यों पर विचार करने के बाद याचिका को खारिज कर दिया था। जिसके बाद इन अभ्यर्थियों की ओर से एकलपीठ के निर्णय को विशेष अपील दायर कर चुनौती दी। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने एकलपीठ का निर्णय पलटते हुए कहा कि किसी पद के लिए योग्यता तय करने का अधिकार नियोक्ता के पास है और भर्ती एजेंसी नियोक्ता के निर्णय से बंधी है। राज्य सरकार की ओर से स्पष्ट रूप से कहा गया था कि तीन वर्षीय डिप्लोमा मान्य है और दो वर्षीय डिप्लोमा के समकक्ष है। इसलिए, यूकेपीएससी को उक्त निर्णय का पालन करना पड़ा।