Tiger Attack in Corbett: हाईवे पर चलती बाइक पर बाघ का हमला जिप्सी सफारी करने वालों के लिए खतरे की घंटी
हाईवे पर चलती बाइक पर बाघ का हमला वन्यजीव विशेषज्ञ असमान्य व्यवहार मान रहे हैं। उनका कहना है कि यह पैटर्न आने वाले समय के लिए घातक है। बाघ बाइक पर हमलावर हो सकता है तो आने वाले समय में जिप्सी सफारी या फिर हाईवे से गुजरना सुरक्षित नहीं है।
By Prashant MishraEdited By: Updated: Tue, 19 Jul 2022 09:05 AM (IST)
गोविंद बिष्ट, हल्द्वानी: Tiger Attack in Corbett: रामनगर वन प्रभाग के अंतर्गत मोहान क्षेत्र में शनिवार रात बाइक से जा रहे अमरोहा के युवक को बाघ ने हाईवे पर शिकार बनाया था। जून में कार्बेट नेशनल पार्क में भी बाइक सवारों संग दो बार ऐसी घटना हुई। जिसमें एक की मौत हो गई और दूसरा गंभीर रूप से घायल हो गया।
कार्बेट और रामनगर प्रभाग एक-दूसरे से लगे हुए हैं। वन्यजीव विशेषज्ञ व 55 आमदखोर बाघ-गुलदार को ढेर करने वाले शिकारी लखपत सिंह रावत के मुताबिक चलती बाइक पर लोगों पर बाघ का हमला करना चौकाने वाली बात है।
वह इसे बाघ के व्यवहार में बदलाव की तरह देख रहे हैं। आशंका यह भी है कि बाघ को शिकार के इस नए अनुभव में दिलचस्पी न आने लगे। जो आगे और खतरनाक साबित हो सकता है। कब-कब ऐसे हमले
15 जून को कार्बेट के सर्पदुली रेंज में बाइक सवार श्रमिक की मौत होने के बाद 17 जून को बाइक सवार बीट वाचर पर भी हमला हुआ था। दो घटनाओं के बाद रेस्क्यू के लिए पहुंची टीम पर तब एक बाघिन ने कई बार हमले की कोशिश की थी। जिसके बाद उसे ट्रैंकुलाइज किया गया था।
वहीं, शनिवार 16 जुलाई को मोहान में हाईवे से गुजर रहे अमरोहा निवासी अफसारुल उर्फ भूरा को बाघ चलती बाइक से जंगल में खींच ले गया। इधर, एक महीने के भीतर कार्बेट व आसपास बाइक सवारों पर तीन हमले हुए। जिसमें दो की जान भी चली गई। ऐसे में वन विभाग को लोगों की सुरक्षा और बाघों के बदलते व्यवहार को लेकर योजना बनाने की जरूरत है। क्योंकि, जंगल में हिरण, चीतल व अन्य जानवरों की तुलना में आबादी किनारे पहुंच इंसानों को शिकार बनाना बाघ के लिए ज्यादा आसान है।
यह बदलाव जिप्सी सफारी के लिए घातक कार्बेट की बात करें तो सीजन में रोजाना सैकड़ों सैलानी खुली जिप्सी से बाघ के दीदार को यहां आते हैं। अक्सर इन्हें बाघ व अन्य वन्यजीव नजर भी आते हैं। खतरे की आशंका यहां भी कम नहीं, लेकिन अभी तक जिप्सी सवारों को नुकसान नहीं पहुंचा। लखपत के अनुसार बाघ के व्यवहार में आया यह बदलाव आगे खुली जिप्सी में सफारी करने वाले पर्यटकों के लिए भी घातक हो सकता है।
बाघ-बाघिन आसान शिकार तलाश रहेरामनगर डिवीजन की फतेहपुर रेंज हल्द्वानी के कठघरिया से लेकर रानीबाग तक फैली है। 29 दिसंबर से 16 जून तक रेंज के जंगल में सात लोगों की बाघ और बाघिन के हमले में जान जा चुकी है। रेस्क्यू अभियान चला एक बाघ को ट्रैंकुलाइज कर लिया गया था। जबकि बाघिन की तलाश जारी है।
फरवरी से चल रहे अभियान में कई बार यह बात सामने आ चुकी है कि जंगल में जिन जगहों पर इन लोगों को मौत के घाट उतारा गया था। बाघ और बाघिन का मूवमेंट यहां लगातार बना हुआ है। लिहाजा, जंगल के अंदर लोगों का प्रवेश बंद करने के लिए आबादी की सीमा पर वनकर्मियों को तैनात किया गया है। शिकारी लखपत सिंह रावत ने बताया कि बाघ आमतौर पर चलती बाइक या वाहन पर हमला नहीं करता। जबकि गुलदार की प्रवृति ऐसी रही है। गुलदार संग ऐसे किस्से पहले भी जुड़े हैं।
जोशीमठ में गुलदार ऐसा कर भी चुका है। वहीं, रामनगर की घटनाओं को लेकर इस बात की भी आशंका है कि शिकार के इस नए तरीके में बाघ की दिलचस्पी कहीं बढ़ न जाए। यह भी पढ़ें : कार्बेट पार्क में यूपी के युवक को बाइक से खींच ले गया बाघ, तलाश में जुटी टीम
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