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हल्द्वानी आइएसबीटी की भूमि को प्रदेश सरकार ने अब तक आवेदन ही नहीं किया

हकीकत यह है कि अभी तक प्रदेश सरकार ने वन विभाग के पास तीनपानी स्थित भूमि के लिए न तो कोई आवेदन किया है और न ही वन विभाग के अधिकारियों को विश्वास में लिया है।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sat, 22 Dec 2018 08:18 PM (IST)
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हल्द्वानी आइएसबीटी की भूमि को प्रदेश सरकार ने अब तक आवेदन ही नहीं किया
हल्द्वानी, जेएनएन : मुख्यमंत्री से लेकर परिवहन विभाग के उच्चाधिकारी तक तीनपानी में तीन सितारा आइएसबीटी बनाने का दावा कर रहे हैं। नगर निगम चुनाव में इस दावे को भुनाने में भाजपा कामयाब भी रही। लेकिन हकीकत यह है कि अभी तक प्रदेश सरकार ने वन विभाग के पास तीनपानी स्थित भूमि के लिए न तो कोई आवेदन किया है और न ही वन विभाग के अधिकारियों को विश्वास में लिया है। वन विभाग का स्पष्ट कहना है कि किसी एक परियोजना के लिए दो स्थानों पर किसी भी हाल में भूमि नहीं दी जा सकती है।

कांग्रेस सरकार में गौलापार स्थित अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम के पास आइएसबीटी का निर्माण प्रस्तावित था। इसके लिए गौलापार में जमीन मिलने के साथ ही निर्माण का काम भी शुरू करा दिया गया। वहीं भाजपा के सत्ता के आने के कुछ समय बाद ही प्रस्तावित आइएसबीटी स्थल पर कंकाल मिलने से निर्माण कार्य रोक दिया गया और दूसरी जगह जमीन ढूंढने की कवायद शुरू हो गई। परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने तीनपानी, कालाढूंगी रोड व एफटीआइ में जमीन देखकर सरकार को रिपोर्ट भेजी। तब से ही आइएसबीटी के लिए नई जगह तीनपानी में चयनित होने की अटकलें लगनी शुरू हो गईं। पिछले महीने मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने भी केवल तीनपानी स्थित जमीन का ही निरीक्षण कर यहीं पर आइएसबीटी बनाने की स्थिति लगभग साफ कर दी थी। हैरानी यह है कि अभी तक वन विभाग के पास परिवहन विभाग की ओर से भूमि के लिए कोई प्रस्ताव नहीं भेजा गया है। यहां तक कि परिवहन विभाग के स्थानीय अधिकारी भी भूमि चयन का आदेश जारी होने से अनभिज्ञता जता रहे हैं। आरटीओ राजीव मेहरा ने बताया कि उनके पास आइएसबीटी के चयन को लेकर कोई आदेश नहीं पहुंचा है। आदेश मिलने पर उसका अध्ययन कर कार्रवाई की जाएगी।

भूमि हस्तांतरण बनेगी राह में बड़ी बाधा : वन विभाग के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, आइएसबीटी के लिए जमीन फाइनल होने के बाद सरकार को गौलापार स्थित पुरानी जमीन की स्थिति स्पष्ट करनी होगी। सरकार को बताना होगा कि पुरानी जमीन वह वन विभाग को वापस करेगा या फिर वहां दूसरी परियोजना बनाएगा। ये बाधा दूर होने पर परिवहन विभाग व वन विभाग संयुक्त रूप से नई जमीन का प्रस्ताव डीएफओ के माध्यम से वन संरक्षक पश्चिमी वृत्त को भेजेंगे, जहां प्रस्ताव की कमियां जांची जाएंगी। वन संरक्षक पश्चिमी वृत्त इस प्रस्ताव को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के नोडल अफसर को भेजेगा। नोडल अफसर के प्रस्ताव को हरी झंडी देने पर ही जमीन हस्तांतरण की कार्रवाई शुरू होगी। वहीं अफसरों से लेकर सरकार को राज्य से लेकर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के अफसरों तक मजबूत पैरवी भी करनी होगी।

गौलापार के बदले दी थी बागेश्वर में भूमि : वन भूमि हस्तांतरण से पहले सरकार को वन विभाग को बदले में भूमि देनी होती है। नियमों के हिसाब से जितनी भूमि वन विभाग से ली जाती है, उससे दोगुनी भूमि राज्य में देने का प्रावधान है। इसके साथ ही भूमि पर पौधरोपण भी करना होता है। गौलापार में आइएसबीटी निर्माण के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने वन विभाग को बागेश्वर में दो गुनी भूमि देने के साथ ही पौधरोपण कराया था। इसके बाद ही जमीन हस्तांतरित हुई है। अब भाजपा सरकार के सामने पहले पुरानी जमीन का मामला फंसेगा। अगर किसी तरह तीनपानी की जमीन मिल भी गई तो दूसरी जगह दोगुनी राजस्व भूमि ढूंढना भी चुनौती बनेगा।

दिनभर शासनादेश खोजते रहे अफसर : परिवहन विभाग के अपर सचिव हरि चंद सेमवाल की ओर से आइएसबीटी के तीनपानी स्थित वन भूमि में बनाने के निर्णय का आदेश फाइनल होने की सूचना पर है। वहीं अब तक ये आदेश नीचे के अफसरों तक नहीं पहुंचा है। शुक्रवार को पूरे दिन हल्द्वानी में वन व परिवहन विभाग के अफसर आदेश खोजते रहे, लेकिन उन्हें नहीं मिल पाया।

तीनपानी बाइपास के चौड़ीकरण का प्रस्ताव भी शासन में अटका : आइएसबीटी निर्माण के लिए तीनपानी-टीपीनगर बाइपास में नहर कवङ्क्षरग कर सड़क चौड़ीकरण का काम होना है। शासन के निर्देश पर लोनिवि, सिंचाई विभाग, जलसंस्थान व ऊर्जा निगम ने 22.65 करोड़ का प्रस्ताव बनाया था। ये प्रस्ताव को छह माह पहले जिलाधिकारी ने शासन को भेजा था। अब तक इस प्रस्ताव को भी सरकार ने हरी झंडी नहीं दी है।

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