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Haldwani: नशा मुक्ति केंद्र से नशेडि़यों के भागने का मामला, कम स्टाफ के बाद पार्टी में चले गए थे कर्मचारी

Haldwani पुलिस की जिद नशेड़ियों की सनक और स्टाफ की चूक। नशेड़ियों के भागने के यही तीन कारण रहे। इधर स्टाफ कम होने पर कर्मचारी का पार्टी में जाना बड़ी चूक बनकर सामने आई। डाक्टरों की मानें तो नशा नहीं मिलने पर नशेड़ी के व्यवहार में बदलाव धीरे-धीरे आता है।

By Deep belwalEdited By: Nirmala BohraUpdated: Mon, 10 Apr 2023 09:21 AM (IST)
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Haldwani: डाक्टरों की मानें तो नशा नहीं मिलने पर नशेड़ी के व्यवहार में बदलाव धीरे-धीरे आता है।
दीप चंद्र बेलवाल, हल्द्वानी : Haldwani: पुलिस की जिद, नशेड़ियों की सनक और स्टाफ की चूक। नशेड़ियों के भागने के यही तीन कारण रहे। केंद्र के डायरेक्टर का आरोप है कि पुलिस ने दमुवाढूंगा क्षेत्र के एक नशेड़ी को जिद कर यहां रखवा दिया। उसी ने माहौल को खराब किया, क्योंकि उसके विरुद्ध कई गंभीर धाराओं में मामले चल रहे हैं। इसी तरह वारदात को अंजाम देना नशेड़ियों की सनक है।

नशा नहीं मिलने पर वह तिलमिला रहे थे। इधर, स्टाफ कम होने पर कर्मचारी का पार्टी में जाना बड़ी चूक बनकर सामने आई। कमुलुवागांजा के सांई कृपा फाउंडेशन नशा मुक्ति परामर्श एवं पुनर्वास केंद्र से 19 नशेड़ियों के भागने से डायरेक्टर समेत पूरा स्टाफ सकते में हैं।

डाक्टरों की मानें तो नशा नहीं मिलने पर नशेड़ी के व्यवहार में बदलाव धीरे-धीरे आता है। इससे उसका चिड़चिड़ा होना स्वभाविक है। ऐसे में उन्हें दवा खिलाई जाती हैं। इसी तरह सांई कृपा फाउंडेशन के नशा मुक्ति केंद्र में नशेड़ियों के खानपान व दवा का ध्यान तो भरपूर दिया जा रहा है, लेकिन उनकी सुरक्षा में कहीं न कहीं चूक की गई है। यहां रह रहे नशेड़ियों में दमुवाढूंगा, बाजपुर व हल्द्वानी के तीन-चार युवक आपराधिक प्रवृत्ति के हैं।

असल में पुलिस ने गत दिनों नशेड़ियों के विरुद्ध अभियान चलाया था। इस क्रम में नशा करने वाले लोगों को उनके स्वजनों की सहमति पर नशा मुक्ति केंद्र में डाला गया। केंद्र में भी इनका व्यवहार नहीं बदला। अब तो डायरेक्टर दुष्यंत आहूजा आरोप लगा रहे हैं कि पुलिस ने जिद कर नशेड़ियों को भेजा।

इधर, काठगोदाम एसओ प्रमोद पाठक ने कहा है कि स्वजनों की सहमति पर नशेड़ियों को केंद्र में भेजा गया था। दाखिल भी नशेड़ियों के स्वजनों ने कराया है। वहीं देर शाम स्टाफ के नहीं होने की जानकारी नशेड़ियों को हो गई थी। इसलिए वह गेटकीपर को पीटकर खिड़की तोड़कर भागे।

छह कर्मचारियों के भरोसे रखे 39 नशेड़ी 39 नशेड़ियों को काबू में करने के लिए मात्र छह कर्मचारी नियुक्त हैं। नशेड़ियों के आगे इनकी संख्या कम है। इन्हें काबू में करने के लिए बाउंसर नहीं हैं। यह अच्छा संदेश भी था, लेकिन नशा मुक्ति केंद्र पर नशेड़ियों के भागने का अब दाग लग चुका है। इसे धुलने में समय लगेगा। भागने वालों में ये नाम आए सामने दीपक, यश, आसिफ, विशाल, हर्षित, भाष्कर, देवेंद्र, मनीष, सौरभ, वेद व नौ अन्य।

केंद्र से भागे कई नशेड़ी अपने घर पहुंचे नशा मुक्ति केंद्र से भागे कई लोग अपने घर पहुंच चुके हैं। केंद्र के डायरेक्टर का कहना है कि शनिवार देर शाम ही लोगों के उनके पास फोन आने शुरू हो गए। जिन्होंने बताया कि उनका बेटा घर आ चुका है। इसे लेकर जाओ। इसके अलावा जो लोग अपने घर नहीं पहुंचे हैं, उनके स्वजनों से बात की गई है।

दूसरे केंद्र से भाग चुका बाजपुर का युवक नशा मुक्ति केंद्र से भागने वालों में एक युवक बाजपुर का भी है। इसके विरुद्ध आपराधिक केस चल रहे हैं। बताया जा रहा है कि यह युवक नशा मुक्ति केंद्र में दूसरी बार आया है। इससे पहले दूसरे केंद्र में बंद रहने के दौरान यह भाग गया था।

पांच तो कोई छह माह से था बंद भागने वाले युवकों में स्मैक व शराब का सेवन करने वाले सबसे ज्यादा हैं। नशा मुक्ति केंद्र के कर्मचारियों के अनुसार, कोई नशेड़ी पांच तो कोई छह माह से बंद था। स्वजनों से उनकी मुलाकात विशेष परिस्थिति में ही हो पाती थी। शनिवार को लोग अचानक घर पहुंचे तो स्वजन भी हैरान हो गए।

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