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हल्द्वानी में तैयार Aipan Jute Bag की अमेरिका-दुबई व कनाडा तक मांग, भा रहे हैंडबैग-लैपटॉप और आफिस बैग

Aipan Jute Bag रचिता स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं के इस हुनर ने न सिर्फ आत्मनिर्भरता की उड़ान भरी है बल्कि आमदनी भी मजबूत की है। उत्तराखंड में हुए जी-20 सम्मेलन में विदेश से आए अतिथियों को जूट बैग गिफ्ट के तौर पर दिए गए थे और इसे विदेशी मेहमानों ने काफी सराहा है। समूह की अध्यक्ष रुचि नैनवाल ने 20 महिलाओं को इस स्वरोजगार से जोड़ा है।

By Jagran NewsEdited By: Nirmala Bohra Updated: Sun, 21 Apr 2024 01:07 PM (IST)
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Aipan Jute Bag: स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने बनाई पहचान, आत्मनिर्भरता से आमदनी भी मजबूत
चयन राजपूत, जागरण हल्द्वानी : Aipan Jute Bag: हुनर होना चाहिए। कामयाबी चलकर आती है। हल्द्वानी की महिलाओं को देखिए। जूट के बैग बनाने की शुरुआत की, आत्मनिर्भरता के रास्ते पर कदम बढ़ाया तो आज यह हुनर अमेरिका, दुबई व कनाडा तक डंका बजा रहा है।

महिलाओं को इस वर्ष विदेश से 15 बैग के आर्डर मिले हैं। उत्तराखंड में हुए जी-20 सम्मेलन में विदेश से आए अतिथियों को जूट बैग गिफ्ट के तौर पर दिए गए थे और इसे विदेशी मेहमानों ने काफी सराहा है।

रचिता स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं के इस हुनर ने न सिर्फ आत्मनिर्भरता की उड़ान भरी है, बल्कि आमदनी भी मजबूत की है।  कुमाऊं में पांच हजार से भी अधिक महिलाओं के समूह विभिन्न प्रकार के हस्तशिल्प उत्पाद तैयार कर रहे हैं। कोई समूह ऐपण को कपड़ों में उकेर रहा है तो किसी ने पर्वतीय उत्पादों को बड़े फलक तक पहुंचाया है।

20 महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ा

रचिता स्वयं सहायता समूह भी इन्हीं में से एक है। इस समूह की महिलाओं की ओर से तैयार किए जूट के हैंडबैग काफी पसंद किए जा रहे हैं। अलग-अलग तरह से बैग की सिलाई, कढ़ाई के साथ ही महिलाएं उन्हें ऐपण कला का लुक दे रही हैं।

समूह की अध्यक्ष रुचि नैनवाल ने 20 महिलाओं को इस स्वरोजगार से जोड़ा है। ये महिलाएं अब आत्मनिर्भर बनकर अन्य महिलाओं को भी प्रेरित कर रही हैं। जूट से पर्स, हैंड बैग, वाटर बोतल बैग, लैपटॉप, आफिस बैग, कैरी बैग बनाए जाते हैं। इनकी कीमत 50 से लेकर 500 रुपये तक है।

...तब ऐपण कला के मुरीद हुए विदेशी

लामाचौड़ निवासी रुचि नैनवाल बताती हैं कि हर वर्ष नवंबर में दिल्ली के प्रगति मैदान में राष्ट्रीय स्तर का सरस मेला लगता है। इसमें उनका समूह भी हिस्सा लेता है। मेले में कई विदेशी मेहमान आते हैं और उत्तराखंड की लोककला ऐपण से बने सामान खरीदते हैं।

जूट बैग को भी वहीं से विदेश तक पहचान मिली। अब अमेरिका, कनाडा व दुबई से उन्हें फोन के माध्यम से आर्डर मिलते हैं। कोरियर के माध्यम से वह हल्द्वानी से दिल्ली तक उत्पाद पहुंचाते हैं। वहां से विदेशी मेहमान उसे रिसीव करने की व्यवस्था करते हैं।

मिल चुका है जिलास्तरीय पुरस्कार

उत्तराखंड सरकार से ऐपण कला को जीआइ टैग मिल चुका है। इससे स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को काफी फायदा हुआ। रुचि बताती हैं कि वर्ष 2022 में उन्हें ऐपण कला में उत्कृष्ट कार्य करने पर डीएम धीराज गर्ब्याल से जिला स्तरीय पुरस्कार मिल चुका है।

उनके ऐपण कला से जुड़े उत्पाद अब छोटे से लेकर बड़े ट्रेड फेयर तक बिकते हैं। जूट को वह दिल्ली से मंगाते हैं, जिसके बाद उससे विभिन्न प्रकार के बैग बनाए जाते हैं। उनका समूह 2020 से कार्य कर रहा है।

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