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साथी ने दुनिया को अलविदा कहा, मगर दोस्तों ने नाम जिंदा रखा...देते हैं गरीबों का भोजन, बीमार को खून और बेसहारा लोगों को सहारा

Haldwani News रवि रोटी बैंक की है जो पहले रोटी बैंक था मगर बाद में रवि रोटी बैंक हो गया। दोस्त हर किसी के होते हैं मगर ऐसे लोग विरले ही होते हैं जो अपने साथी के इस दुनिया से जाने के बाद भी उसके नाम को जिंदा रखते हैं। कोरोना काल में ये टीम संक्रमित व्यक्ति और उसके परिवार की मदद करती थी।

By ganesh joshi Edited By: Nirmala Bohra Updated: Sat, 08 Jun 2024 03:35 PM (IST)
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Haldwani News : रोटी बैंक की कहानी, जो दोस्त की मौत के बाद रवि रोटी बैंक हुआ
गोविंद बिष्ट, जागरण हल्द्वानी : Haldwani News : दोस्त हर किसी के होते हैं, मगर ऐसे लोग विरले ही होते हैं जो अपने साथी के इस दुनिया से जाने के बाद भी उसके नाम को जिंदा रखते हैं। कुछ ऐसी ही कहानी हल्द्वानी के रवि रोटी बैंक की है, जो पहले रोटी बैंक था, मगर बाद में रवि रोटी बैंक हो गया। इन उत्साही नौजवानों का काम गरीब को निश्शुल्क भोजन, बीमार को खून और बेसहारा को सहारा देने का है।

कोरोना काल में जब लोग किसी के पास जाने से भी कतरा रहे थे, तब ये टीम संक्रमित व्यक्ति और उसके परिवार के पास जाकर पूछती थी कि बताइये हमसे क्या मदद चाहिए? वहीं, जब इन युवाओं से सवाल किया गया कि दूसरों के लिए इतना समय कैसे निकालते हो। हर समय मदद के लिए तैयार रहना कैसे संभव हो पाता है? तो एक ही जवाब था कि हर काम पर दोस्त 'रवि' का नाम ही लिया जाएगा। किसी की मदद कर हम अपने दोस्त को सच्ची श्रद्धांजलि दे रहे हैं।

कुमाऊं के प्रवेशद्वार हल्द्वानी में जरूरतमंदों की मदद के लिए तरुण सक्सेना, रवि यादव (पूर्व छात्रसंघ उपसचिव), संजय और तुषार ने सात साल पहले रोटी बैंक की स्थापना की थी। अक्टूबर 2018 में संस्था का पंजीकरण भी करा लिया। शुरुआत में शादी या किसी अन्य समारोह में बचे साफ खाने को लेकर ये युवा बस स्टेशन या शहर की अन्य व्यस्त जगहों पर लेकर पहुंचते थे, मगर एक बार एक बेसहारा बुजुर्ग ने इनसे कहा कि आज वो खाना नहीं लेगा।

वजह पूछने पर उसने कहा कि एक दिन तो बढ़ियां खाना खिला देते हो, लेकिन फिर दो-तीन दिन आते नहीं। इसके बाद उसी समय तीनों ने तय कर लिया कि खुद का किचन तैयार करेंगे, क्योंकि रोज-रोज तो किसी समारोह से खाना नहीं मिल पाता। इसके बाद किराए की जगह लेकर खाना तैयार कर जगह-जगह लोगों तक पहुंचाने लगे, मगर 26 अगस्त 2020 को एक दुखद हादसे ने युवाओं की इस टोली को सदमे में डाल दिया।

कोरोना के उस दौर में गरीबों को खाना बांटकर लौट रहे रवि यादव की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। इस घटना के दो दिन बाद ही तरुण और साथियों ने संस्था का नाम बदलकर रवि रोटी बैंक कर दिया, ताकि जरूरत के वक्त हर व्यक्ति की जुबां पर उनके साथी का नाम आए। वहीं, एक साल पूर्व नगर निगम की ओर से बाजार में स्थित डीके पार्क में संस्था को किचन के लिए जगह भी दे दी गई। अब यहीं भोजन बनाया जाता है।

एक रुपये में चाय, पांच में खाना... पैसे नहीं तो सब निश्शुल्क

तरुण के अनुसार सुबह के समय डीके पार्क में एक रुपये में चाय और दोपहर और शाम को पांच रुपये में भोजन दिया जाता है। अगर किसी के पास इतने पैसे भी नहीं है तो सब निश्शुल्क। इसके अलावा रात को बस स्टेशन, कालाढूंगी तिराहे और मुखानी चौराहे के आसपास मौजूद बेसहारा लोगों को निश्शुल्क भोजन देने का काम रोजाना जारी रहता है।

रक्तदान, पवित्र तन और वस्त्रदान भी अहम हिस्सा

संस्था से जुड़े लोगों के पास रोजाना तीन से चार लोग रक्तदान के लिए फोन करते हैं। इसके अलावा पवित्र तन अभियान के जरिये सड़क किनारे मानसिक रूप से परेशान लोगों का हाल बदला जाता है। वस्त्रदान मुहिम से गरीबों के लिए कपड़े जुटाए जाते हैं।

रवि रोटी बैंक के अहम सदस्य

तरुण सक्सेना, अरस्तू, संजय, हेमंत, तुषार, लक्की, विपिन, रोहित, विशाल, गौरव, हनुमान दास और सूरज।

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