Move to Jagran APP

व्हीलचेयर पर गुजर रही तीन दिव्यांग भाई-बहनों की जिंदगी, फेसबुक पर पोस्‍ट लिखकर मांगा काम

अल्मोड़ा जिले में कैलाश चंद्र तिवारी का परिवार रहता है। पेशे से प्लंबर कैलाश के परिवार में पत्नी ममता के अलावा तीन बालिग बच्चे कंचन सौरभ और नीरज हैं। तीनों बच्‍चे दिव्‍यांग हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Thu, 16 Jan 2020 08:11 AM (IST)
Hero Image
व्हीलचेयर पर गुजर रही तीन दिव्यांग भाई-बहनों की जिंदगी, फेसबुक पर पोस्‍ट लिखकर मांगा काम
हल्द्वानी, गोविंद बिष्ट : कंचन, सौरभ और नीरज। पहाड़ के छोटे से गांव में रहने वाले तीन भाई-बहन की जिंदगी दस साल की उम्र तक ठीक चल रही थी। बच्चों संग खेलते-कूदते, साथ में स्कूल भी जाते, मगर कुछ समय बाद शरीर के निचले हिस्से ने काम करना बंद कर दिया तो जिंदगी का बुरा दौर शुरू हो गया। पर कहते हैं कि जज्बा शरीर नहीं, मन से पैदा होता है। जिंदगी भले अब व्हीलचेयर के भरोसे कट रही है, पर हाथ काम चाहते हैं, ताकि आगे की जिंदगी कट सके। तीनों ने फेसबुक पर भी अपनी पीड़ा बयां की है।

पेशे से प्लंबर हैं कैलाश

अल्मोड़ा जिले के हवालबाग ब्लॉक के डोबा गांव में कैलाश चंद्र तिवारी का परिवार रहता है। पेशे से प्लंबर कैलाश के परिवार में पत्नी ममता के अलावा तीन बालिग बच्चे कंचन, सौरभ और नीरज हैं। कैलाश तिवारी के मुताबिक, 9-10 साल की उम्र तक बच्चे पूरी तरह स्वस्थ थे। उसके बाद एक-एक कर तीनों के शरीर का निचला हिस्सा सुन्न पड़ गया और हंसती-खेलती जिंदगी व्हीलचेयर पर आ गई। बच्चों का इलाज कराने का काफी प्रयास किया, लेकिन गरीबी उसमें भी रुकावट खड़ी करती रही। परिवार की हालत को देखते हुए भाई-बहन अब काम की तलाश कर रहे हैं।

आप सभी से निवेदन है....

सौरभ ने फेसबुक पर पोस्ट कर कहा है, 'आप सभी से निवेदन है कि कहीं कोई दुकान में पैकिंग का काम है तो अवगत कराएं। हम तीनों भाई-बहन दिव्यांग हैं और जिसमें व्हीलचेयर और रहने-खाने की सुविधा हो, काम कोई भी हो बैठकर करने वाला, कर लूंगा।'

पेंशन से गुजारा नहीं, सीएससी खोलना चाहता हूं

बातचीत में सौरभ ने बताया कि वह 10वीं, बड़ी बहन कंचन 12वीं और छोटा भाई नीरज भी 12वीं तक पढ़ा है। उसके बाद हालात ने साथ नहीं दिया। तीनों को एक-एक हजार रुपये पेंशन मिलती है, लेकिन उससे गुजारा नहीं होता। सौरभ की इच्छा गांव में कॉमन सर्विस सेंटर खोलने की है।

दो कमरों में सिमटी दुनिया

कैलाश तिवारी का परिवार दो कमरे के पुराने मकान में रहता है। व्हीलचेयर भी घर के आंगन और इन दो कमरों तक घूमती है। अल्मोड़ा के डीएम रहते हुए सविन बंसल गांव में जनसमस्या सुनने पहुंचे थे। ग्राम प्रधान गोपाल तिवारी ने बताया कि डीएम ने इनके लिए शौचालय बनवाया था।

विधानसभा उपाध्यक्ष का क्षेत्र, मंत्री का जिला

डोबागांव अल्मोड़ा विधानसभा क्षेत्र में आता है। विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ चौहान इसी क्षेत्र के विधायक हैं। वहीं महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य भी इसी जिले से हैं।

यह भी पढ़ें : सौ साल पहले कुली बेगार प्रथा के विरोध में उत्‍तराखंड में हुई थी रक्तहीन क्रांति, जानिए

यह भी पढ़ें : टेंट में अंगीठी जलाकर साेए दंपती की दम घुटने से मौत, कहीं आप तो नहीं कर रहे हैं ये काम

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।