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Nainital High Court: उत्तराखंड विधानसभा के बर्खास्त कर्मियों की याचिका पर फिर सुनवाई, जानें क्या कहा कोर्ट ने

Nainital High Court याचिका में कहा गया है कि 2014 तक हुई तदर्थ रूप से नियुक्त कर्मचारियों को चार वर्ष से कम की सेवा में नियमित नियुक्ति दे दी गई । किन्तु उन्हें 6 वर्ष के बाद भी स्थायी नहीं किया अब उन्हें हटा दिया गया।

By Jagran NewsEdited By: Rajesh VermaUpdated: Fri, 14 Oct 2022 05:58 PM (IST)
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एकलपीठ ने सुनवाई शनिवार को भी जारी रखी है।

जागरण संवाददाता, नैनीताल। Nainital High Court: हाई कोर्ट ने विधानसभा सचिवालय के कर्मचारियों के बर्खास्तगी आदेश के विरुद्ध दायर 55 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई की। न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने सुनवाई शनिवार को भी जारी रखी है। अपनी बर्खास्तगी के आदेश को बबिता भंडारी, भूपेंद्र सिंह बिष्ट व कुलदीप सिंह व 53 अन्य ने चुनौती दी है।

किस आधार पर हटाया, नहीं बताया

न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता देवीदत्त कामत, वरिष्ठ अधिवक्ता अवतार सिंह रावत व रविन्द्र सिंह ने कोर्ट को बताया कि विधानसभा अध्यक्ष ने लोकहित को देखते हुए उनकी सेवाएं समाप्त कर दीं। मगर बर्खास्तगी आदेश में उन्हें किस आधार पर किस कारण की वजह से हटाया गया, कहीं इसका उल्लेख नहीं किया गया न ही उन्हें सुना गया। जबकि उनके सचिवालय में नियमित कर्मचारियों की भांति कार्य किया है। एक साथ इतने कर्मचारियों को बर्खास्त करना लोकहित नही है। यह आदेश विधि विरुद्ध है। विधान सभा सचिवालय में 396 पदों पर बैकडोर नियुक्तियां 2002 से 2015 के बीच भी हुई है, जिनको नियमित किया जा चुका है।

6 साल बाद भी नहीं किया गया स्थायी

याचिका में कहा गया है कि 2014 तक हुई तदर्थ रूप से नियुक्त कर्मचारियों को चार वर्ष से कम की सेवा में नियमित नियुक्ति दे दी गई । किन्तु उन्हें 6 वर्ष के बाद भी स्थायी नहीं किया, अब उन्हें हटा दिया गया। पूर्व में भी उनकी नियुक्ति को जनहित याचिका दायर कर चुनौती दी गयी थी, जिसमे कोर्ट ने उनके हित में आदेश दिया था, जबकि नियमानुसार छह माह की नियमित सेवा करने के बाद उन्हें नियमित किया जाना था।

विधानसभा सचिवालय का पक्ष

विधान सभा सचिवालय का पक्ष रखते हुए अधिवक्ता विजय भट्ट द्वारा कहा गया कि इनकी नियुक्ति बैकडोर के माध्यम से हुई है और इन्हें काम चलाऊ व्यवस्था के आधार पर रखा गया था, उसी के आधार पर इन्हें हटा दिया गया।

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