उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों के मामले में सुनवाई पूरी, हाईकोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला
हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास व अन्य सुविधाओं के बकाया माफ करने को लेकर सरकार के संशोधित अधिनियम को चुनौती देती याचिका पर सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Tue, 24 Mar 2020 01:07 AM (IST)
नैनीताल, जेएनएन : हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास व अन्य सुविधाओं के बकाया माफ करने को लेकर सरकार के संशोधित अधिनियम को चुनौती देती याचिका पर सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की खंडपीठ में रुलक देहरादून की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में संशोधित अधिनियम को असंवैधानिक करार देते हुए निरस्त करने की मांग की है। याचिकाकर्ता का कहना है कि जब कोर्ट ने बाजार दर पर किराया वसूलने का आदेश पारित किया था तो विधायिका को अदालत का आदेश बाईपास करने का अधिकार नहीं है। रूलक संस्था द्वारा पीआइएल फाइल कर पूर्व मुख्यमंत्रियों से बकाया वसूली के लिए आदेश पारित करने का आग्रह किया था। कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों से बाजार दर पर सुविधाओं का बकाया जमा करने के आदेश पारित किए थे। जिसके बाद सरकार द्वारा अध्यादेश पारित कर पूर्व सीएम को राहत दी, फिर अध्यादेश को विधानसभा में पारित कराकर अधिनियम की शक्ल दी।
अधिनियम में कहा गया है कि पूर्व मुख्यमंत्रियों से सुविधाओं के एवज में मानक किराए से 25 फीसद अधिक किराया वसूला जाएगा। यह भी कहा है कि मानक किराया सरकार तय करेगी। सरकार का कहना था कि पूर्व मुख्यमंत्री बिजली, पानी, सीवरेज, सरकारी आवास आदि का बकाया खुद वहन करेंगे मगर किराया सरकार तय करेगी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता कार्तिकेय हरिगुप्ता के अनुसार अधिनियम पूरी तरह असंवैधानिक है और संविधान के अनुच्छेद 14 यानी समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है।
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