सभी प्रवासियों को वापस लाने को लेकर दायर याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई, सरकार से मांगा जवाब
हाईकोर्ट ने देश के विभिन्न शहरों में फंसे सभी उत्तराखण्डवासियों को वापस लाए जाने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई की।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Wed, 13 May 2020 09:35 PM (IST)
नैनीताल, जेएनएन : हाईकोर्ट ने देश के विभिन्न शहरों में फंसे सभी उत्तराखण्डवासियों को वापस लाए जाने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई की। मामले में कोर्ट ने सरकार से स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए। मामले की अगली सुनवाई 18 मई को होगी। यहां बता दें कि अब तक प्रदेश सरकार 50 हजार से अधिक प्रवासियों काे प्रदेश सरकार वापस ला चुकी है।
पूर्व मंत्री व विधायक प्रीतम सिंह पवार ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि उत्तराखंड के हजारों लोग देश के विभिन्न शहरों में फंसे हैं और अब तक डेढ़ लाख से अधिक लोंगों ने उत्तराखंड आने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण भी कराया है । जिनमें छात्र-छात्राएं, यात्री, व्यवसायी आदि शामिल हैं । लेकिन उत्तराखंड सरकार केवल मजदूरों को वापस ला रही है। इसलिए सरकार को सभी फंसे हुए लोगों को वापस लाने के लिए निर्देशित किया जाए । मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति रमेश चन्द्र खुल्बे की खण्डपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए सरकार से स्थिति स्पष्ट करने को कहा है।
तीन लाख प्रवासी वापस आने की बना चुके योजना
लॉकडाउन के चलते विभिन्न प्रांतों में रह रहे तीन लाख से ज्यादा प्रवासी अब तक घर वापसी के लिए योजना बना चुके हैं। वहीं, प्रवासियों को लाने के लिए देश के आठ प्रमुख शहरों से ट्रेन संचालन को लेकर राज्य सरकार की रेलवे बोर्ड और संबंधित प्रदेशों की सरकारों से वार्ता अंतिम दौर पर है। यह बातें मंगलवार को सचिव शैलेश बगोली ने पत्रकारों से वार्ता में बताई थीं। इन्हें लाने के लिए गुजरात, जयपुर, बंगलुरु, चेन्नई, केरल, पंजाब, गोवा व तेलंगाना से ट्रेनों के संचालन के लिए रेलवे बोर्ड और संबंधित राज्य सरकारों से बातचीत चल रही है।
रेलवे को एक करोड एडवांस दिया
कई शहरों से ट्रेन संचालन की वार्ता अंतिम दौर में है। वहीं बसों से भी बड़ी तादाद में यात्रियों को लाया जा रहा है। राज्य सरकार ने प्रवासियों को लाने के लिए रेलवे को एडवांस के रूप में एक करोड़ रुपये दिए हैं। शैलेश बगोली ने बताया कि जो भी प्रवासी ट्रेन से आ रहे हैं, उन का खर्च राज्य सरकार दे रही है। आने वाले सभी लोगों की स्क्रीनिंग हो रही है और संदिग्ध लक्षण वालों को ही संस्थागत क्वारंटाइन पर रखा जाएगा।
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