बकाया जमा नहीं करने का मामला, पूर्व सीएम खंडूड़ी, निशंक और बहुगुणा को हाईकोर्ट से नोटिस
हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास व अन्य सुविधाओं के बकाया माफ करने को लेकर सरकार के संशोधित अधिनियम को चुनौती देती याचिका पर बुधवार को सुनवाई की।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Thu, 23 Jan 2020 10:54 AM (IST)
नैनीताल, जेएनएन : हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास व अन्य सुविधाओं के बकाया माफ करने को लेकर सरकार के संशोधित अधिनियम को चुनौती देती याचिका पर बुधवार को सुनवाई की। कोर्ट ने राज्य सरकार के साथ ही केंद्रीय मंत्री व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक, पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिये हैं। न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की एकलपीठ में मामले की सुनवाई हुई। याचिका में संशोधित अधिनियम को असंवैधानिक करार देते हुए निरस्त करने की मांग की है।
विधायिका को अदालत का आदेश बाईपास करने का अधिकार नहीं याचिकाकर्ता का कहना है कि जब कोर्ट ने बाजार दर पर किराया वसूलने का आदेश पारित किया था तो विधायिका को अदालत का आदेश बाईपास करने का अधिकार नहीं है। देहरादून की रूलक संस्था द्वारा पीआइएल फाइल कर पूर्व मुख्यमंत्रियों से बकाया वसूली के लिए आदेश पारित करने का आग्रह किया था। कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों से बाजार दर पर सुविधाओं का बकाया जमा करने के आदेश पारित किए थे। जिसके बाद सरकार द्वारा अध्यादेश पारित कर पूर्व सीएम को राहत दी, फिर अध्यादेश को विधानसभा में पारित कराकर अधिनियम की शक्ल दी।
अधिनियम में की गई है ये व्यवस्था अधिनियम में कहा गया है कि पूर्व मुख्यमंत्रियों से सुविधाओं के एवज में मानक किराए से 25 फीसद अधिक किराया वसूला जाएगा। यह भी कहा है कि मानक किराया सरकार तय करेगी। साथ ही कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री बिजली, पानी, सीवरेज, सरकारी आवास आदि का बकाया खुद वहन करेंगे मगर किराया सरकार तय करेगी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता कार्तिकेय हरिगुप्ता के अनुसार अधिनियम पूरी तरह असंवैधानिक है। अगली सुनवाई 11 फरवरी नियत की है।
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