विभागीय कर्मियों को सस्ती दरों पर बिजली देने वाली याचिका पर सुनवाई, हाईकोर्ट ने दिया ये आदेश
ऊर्जा निगमों के अधिकारी-कर्मचारियों को सस्ती दरों पर बिजली देने वहीं आम जनता पर बिजली बिलों का बोझ डालने को लेकर हाईकोर्ट में दायर याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Mon, 25 Nov 2019 04:13 PM (IST)
नैनीताल, जेएनएन : ऊर्जा निगमों के अधिकारी-कर्मचारियों को सस्ती दरों पर बिजली देने वहीं आम जनता पर बिजली बिलों का बोझ डालने को लेकर हाईकोर्ट में दायर याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई। मामले कोर्ट ने एमडी पाॅवर कॉर्पोरेशन से अगले सोमवार तक रिकॉर्ड के साथ पेश होने के आदेश दिए हैं।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में देहरादून के आरटीआई क्लब की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया है कि सरकार ऊर्जा निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों को बेहद सस्ती दरों बिजली मुहैया करा रही है। एक माह में जहां अधिकारियों से बिजली 400 से महज 500 लिया जा रहा है वहीं कर्मचारियों से अधिकतम 100 रुपए लिए जा रहे हैं। जबकि इनका बिल लाखो में आता है जिसका बोझ सीधे जनता पर पड़ रहा है। याचिकाकर्ता का कहना है कि प्रदेश में कई अधिकारियों के घर बिजली के मीटर तक नहीं लगे हैं जो लगे भी हैं वे खराब स्थिति में हैं। उदारहण के तौर पर जनरल मैनेजर का 25 माह का बिजली का बिल चार लाख 20 हजार आया था और उनके बिजली के मीटर की रीडिंग 2005 से 2016 तक नहीं ली गई । कॉर्पोरेशन ने वर्तमान कर्मचारियों के अलावा रिटायर्ड व उनके आश्रितों को भी बिजली मुफ्त में दी है। याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि उत्तराखंड ऊर्जा प्रदेश घोषित है लेकिन यहां हिमांचल से मंहगी बिजली है जबकि वहां बिजली का उत्पादन तक नहीं होता है। घरों में लगे मीटरों का किराया पाॅवर का काॅरपोरेशन कब का वसूल चुका है परन्तु हर माह के बिल के साथ जुड़कर आता है, जबकि उपभोक्ता उसके किराया कब का दे चुका है। दाेनों पक्षों को सुनने के बाद हाई ने उक्त आदेश दिए।
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