हाईकोर्ट में पांच अहम याचिकाओं पर हुई सुनवाई, जानिए कौन से हैं मामले, किस पर कोर्ट सख्त
हाई कोर्ट ने प्राथमिक शिक्षक बनने के लिए 50 फीसद अंकों के साथ स्नातक उत्तीर्ण करने की अर्हता को चुनौती देती याचिका पर सुनवाई करते जवाब मांगा है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Wed, 20 Mar 2019 10:22 AM (IST)
केंद्र, राज्य सरकार व एनसीईआरटी से मांगा जवाब
नैनीताल, जेएनएन : हाई कोर्ट ने प्राथमिक शिक्षक बनने के लिए 50 फीसद अंकों के साथ स्नातक उत्तीर्ण करने की अर्हता को चुनौती देती याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र, राज्य सरकार व एनसीईआरटी से चार सप्ताह में जवाब मांगा है। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को अस्थायी रूप से भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने को भी कहा है।
हल्द्वानी निवासी अशोक रावत, खटीमा निवासी राधा रानी व अन्य ने याचिका दायर कर एनसीईआरटी के 28 जून 2018 को जारी नोटिफिकेशन तथा 18 दिसंबर 2018 को जारी उत्तराखंड राजकीय प्राथमिक शिक्षक सेवा नियमावली के पांचवें संशोधन को चुनौती दी है। इसमें साफ कहा गया है कि प्राथमिक शिक्षक पद पर नियुक्ति के लिए अभ्यर्थी को स्नातक 50 फीसद अंकों के साथ उत्तीर्ण होना चाहिए। याचिकाकर्ताओं के अनुसार, उन्होंने 2010 से पहले ही स्नातक व बीएड कर लिया था और उस समय ये शर्तें लागू नहीं थी। अभी सरकार प्राथमिक शिक्षक पदों पर भर्ती करने जा रही है, वह इसमें वंचित न हों, इसलिए उन्हें भर्ती प्रक्रिया में शामिल किया जाए। न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने मामले को सुनने के बाद याचिकाकर्ताओं को अस्थायी रूप से भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने तथा विपक्षियों को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। कमलताल में साहसिक खेलों पर रोक लगाने की मांग
नैनीताल : भीमताल क्षेत्र के कमलताल में साहसिक खेल कराने का मामला हाई कोर्ट पहुंच गया है। कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सरकार से तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ में पंत कर्नाटक सांस्कृतिक मंच की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया है कि नौकुचियाताल के कमलताल में पर्यटन को बढ़ावा देने के बहाने लोग ताल में रस्सी व केबल डालकर साहसिक खेल करा रहे हैं। इससे ताल में उगने वाले कमल के फूलों को नुकसान हो रहा है। कमलताल में उगने वाले फूल स्थानीय लोगों की आस्था के प्रतीक हैं। इन्हीं फूलों की वजह से नौकुचियाताल के कमलताल की देश-विदेश में पहचान है। याचिका में कमलताल में साहसिक गतिविधियों पर पूरी तरह रोक लगाने की मांग की गई है। खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद सरकार को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
हल्द्वानी निवासी अशोक रावत, खटीमा निवासी राधा रानी व अन्य ने याचिका दायर कर एनसीईआरटी के 28 जून 2018 को जारी नोटिफिकेशन तथा 18 दिसंबर 2018 को जारी उत्तराखंड राजकीय प्राथमिक शिक्षक सेवा नियमावली के पांचवें संशोधन को चुनौती दी है। इसमें साफ कहा गया है कि प्राथमिक शिक्षक पद पर नियुक्ति के लिए अभ्यर्थी को स्नातक 50 फीसद अंकों के साथ उत्तीर्ण होना चाहिए। याचिकाकर्ताओं के अनुसार, उन्होंने 2010 से पहले ही स्नातक व बीएड कर लिया था और उस समय ये शर्तें लागू नहीं थी। अभी सरकार प्राथमिक शिक्षक पदों पर भर्ती करने जा रही है, वह इसमें वंचित न हों, इसलिए उन्हें भर्ती प्रक्रिया में शामिल किया जाए। न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने मामले को सुनने के बाद याचिकाकर्ताओं को अस्थायी रूप से भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने तथा विपक्षियों को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। कमलताल में साहसिक खेलों पर रोक लगाने की मांग
नैनीताल : भीमताल क्षेत्र के कमलताल में साहसिक खेल कराने का मामला हाई कोर्ट पहुंच गया है। कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सरकार से तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ में पंत कर्नाटक सांस्कृतिक मंच की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया है कि नौकुचियाताल के कमलताल में पर्यटन को बढ़ावा देने के बहाने लोग ताल में रस्सी व केबल डालकर साहसिक खेल करा रहे हैं। इससे ताल में उगने वाले कमल के फूलों को नुकसान हो रहा है। कमलताल में उगने वाले फूल स्थानीय लोगों की आस्था के प्रतीक हैं। इन्हीं फूलों की वजह से नौकुचियाताल के कमलताल की देश-विदेश में पहचान है। याचिका में कमलताल में साहसिक गतिविधियों पर पूरी तरह रोक लगाने की मांग की गई है। खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद सरकार को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
चैंबर निर्माण में देरी पर वित्त व न्याय सचिव से मांगी रिपोर्ट
नैनीताल : हाई कोर्ट ने बार एसोसिएशन के चैंबर निर्माण मामले में देरी पर सख्त दिखाई है। कोर्ट ने लंबित डीपीआर पर निर्णय लेकर पहली अप्रैल को शपथ पत्र के साथ प्रगति रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं।
मंगलवार को न्यायाधीश न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ में अधिवक्ता प्रदीप कुमार चौहान, डीके जोशी सहित 104 अधिवक्ताओं की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं के अनुसार सितंबर 2015 में तत्कालीन सीएम हरीश रावत ने हाई कोर्ट में चैंबर निर्माण के लिए एक करोड़ की धनराशि देने की घोषणा की थी। 2016 में लोक निर्माण विभाग को 50 लाख आवंटित भी कर दिए, मगर आज तक चैंबर नहीं बन सका। इस कारण नियमित वकालत कर रहे अधिवक्ताओं को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। एकलपीठ ने मामले को सुनने के बाद वित्त सचिव व सचिव न्याय को पहली अप्रैल को चैंबर निर्माण से संबंधित लंबित डीपीआर पर निर्णय लेकर प्रगति रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। फार्मेसिस्ट के छह सौ पदों पर नियुक्ति में हीलाहवाली पर हाई कोर्ट सख्त
नैनीताल : हाई कोर्ट ने संविदा पर फार्मेसिस्टों की नियुक्ति में हीलाहवाली को गंभीरता से लेते हुए सरकार को 27 मार्च तक स्थिति साफ करने के निर्देश दिए हैं।
मंगलवार को न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ में पौड़ी गढ़वाल निवासी मनोज त्रिपाठी की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया था कि सरकार ने 2016 में संविदा पर फार्मेसिस्ट के छह सौ पद भरने की विज्ञप्ति जारी की थी। याचिकाकर्ता ने भी आवेदन किया था। पूर्व में सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि चयन प्रक्रिया शीघ्र पूरी की जा रही है, मगर अब तक इसे आगे नहीं बढ़ाया गया। इधर एक और अभ्यर्थी रोशन कुमार ने पिछले साल याचिका दायर की, जिसमें कहा गया कि सरकार चयन प्रक्रिया आगे बढ़ाने के बजाय निरस्त करने जा रही है। यह भी कहा कि तीन साल से सरकार उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि पहले सरकार ने चयन प्रक्रिया आगे बढ़ाने का स्टेटमेंट दिया था, अब विज्ञप्ति निरस्त करने की बात कही जा रही है। एकलपीठ ने मामले को सुनने के बाद सरकार को 27 मार्च तक स्थिति साफ करने के निर्देश दिए हैं।
नैनीताल : हाई कोर्ट ने बार एसोसिएशन के चैंबर निर्माण मामले में देरी पर सख्त दिखाई है। कोर्ट ने लंबित डीपीआर पर निर्णय लेकर पहली अप्रैल को शपथ पत्र के साथ प्रगति रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं।
मंगलवार को न्यायाधीश न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ में अधिवक्ता प्रदीप कुमार चौहान, डीके जोशी सहित 104 अधिवक्ताओं की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं के अनुसार सितंबर 2015 में तत्कालीन सीएम हरीश रावत ने हाई कोर्ट में चैंबर निर्माण के लिए एक करोड़ की धनराशि देने की घोषणा की थी। 2016 में लोक निर्माण विभाग को 50 लाख आवंटित भी कर दिए, मगर आज तक चैंबर नहीं बन सका। इस कारण नियमित वकालत कर रहे अधिवक्ताओं को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। एकलपीठ ने मामले को सुनने के बाद वित्त सचिव व सचिव न्याय को पहली अप्रैल को चैंबर निर्माण से संबंधित लंबित डीपीआर पर निर्णय लेकर प्रगति रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। फार्मेसिस्ट के छह सौ पदों पर नियुक्ति में हीलाहवाली पर हाई कोर्ट सख्त
नैनीताल : हाई कोर्ट ने संविदा पर फार्मेसिस्टों की नियुक्ति में हीलाहवाली को गंभीरता से लेते हुए सरकार को 27 मार्च तक स्थिति साफ करने के निर्देश दिए हैं।
मंगलवार को न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ में पौड़ी गढ़वाल निवासी मनोज त्रिपाठी की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया था कि सरकार ने 2016 में संविदा पर फार्मेसिस्ट के छह सौ पद भरने की विज्ञप्ति जारी की थी। याचिकाकर्ता ने भी आवेदन किया था। पूर्व में सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि चयन प्रक्रिया शीघ्र पूरी की जा रही है, मगर अब तक इसे आगे नहीं बढ़ाया गया। इधर एक और अभ्यर्थी रोशन कुमार ने पिछले साल याचिका दायर की, जिसमें कहा गया कि सरकार चयन प्रक्रिया आगे बढ़ाने के बजाय निरस्त करने जा रही है। यह भी कहा कि तीन साल से सरकार उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि पहले सरकार ने चयन प्रक्रिया आगे बढ़ाने का स्टेटमेंट दिया था, अब विज्ञप्ति निरस्त करने की बात कही जा रही है। एकलपीठ ने मामले को सुनने के बाद सरकार को 27 मार्च तक स्थिति साफ करने के निर्देश दिए हैं।
सचिव चिकित्सा शिक्षा व श्रीनगर मेडिकल कॉलेज प्राचार्य को अवमानना नोटिस
नैनीताल : हाई कोर्ट ने सचिव चिकित्सा शिक्षा नितेश कुमार झा व वीरचंद्र सिंह गढ़वाली राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर गढ़वाल के प्राचार्य डॉ. चंद्रमोहन सिंह रावत को अवमानना नोटिस जारी किया है।
मंगलवार को न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ में पौड़ी गढ़वाल निवासी राजपाल रावत की अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें कहा गया था कि पिछले साल 18 दिसंबर को कोर्ट ने छह सप्ताह के भीतर समान कार्य के लिए समान वेतन देने के आदेश दिए थे, मगर अब तक उन्हें न्यूनतम वेतनमान का लाभ नहीं दिया गया। याचिकाकर्ता के अनुसार, वह मेडिकल कॉलेज में दस जनवरी 2010 को एक्स-रे टेक्नीशियन के पद पर नियुक्त हुआ था। नौ साल बीत जाने के बाद भी समान कार्य के लिए समान वेतन नहीं दिया गया, जबकि अन्य कर्मचारियों को समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जा रहा है। एकलपीठ ने मामले को सुनने के बाद सचिव चिकित्सा शिक्षा व मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को अवमानना नोटिस जारी किया है। यह भी पढ़ें : शेर सिंह की राजनीतिक चेतना को बना दिया था मजाक, आज भी भुगत रहा वनराजि समाज
यह भी पढ़ें : नोटा ने बदल दी थी तस्वीर, लोहाघाट व भीमताल की सीटों पर जीत प्रतिशत से अधिक नोटा
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।नैनीताल : हाई कोर्ट ने सचिव चिकित्सा शिक्षा नितेश कुमार झा व वीरचंद्र सिंह गढ़वाली राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर गढ़वाल के प्राचार्य डॉ. चंद्रमोहन सिंह रावत को अवमानना नोटिस जारी किया है।
मंगलवार को न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ में पौड़ी गढ़वाल निवासी राजपाल रावत की अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें कहा गया था कि पिछले साल 18 दिसंबर को कोर्ट ने छह सप्ताह के भीतर समान कार्य के लिए समान वेतन देने के आदेश दिए थे, मगर अब तक उन्हें न्यूनतम वेतनमान का लाभ नहीं दिया गया। याचिकाकर्ता के अनुसार, वह मेडिकल कॉलेज में दस जनवरी 2010 को एक्स-रे टेक्नीशियन के पद पर नियुक्त हुआ था। नौ साल बीत जाने के बाद भी समान कार्य के लिए समान वेतन नहीं दिया गया, जबकि अन्य कर्मचारियों को समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जा रहा है। एकलपीठ ने मामले को सुनने के बाद सचिव चिकित्सा शिक्षा व मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को अवमानना नोटिस जारी किया है। यह भी पढ़ें : शेर सिंह की राजनीतिक चेतना को बना दिया था मजाक, आज भी भुगत रहा वनराजि समाज
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