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पूर्व मुख्यमंत्रियों का बकाया माफ करने के अध्यादेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई जारी

हाई कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों का बकाया माफ करने संबंधी अध्यादेश के खिलाफ दायर जन वयाचिका पर सुनवाई की। सुनवाई मंगलवार को भी जारी रहेगी।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Tue, 26 Nov 2019 12:01 PM (IST)
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पूर्व मुख्यमंत्रियों का बकाया माफ करने के अध्यादेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई जारी
नैनीताल, जेएनएन : हाई कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों का बकाया माफ करने संबंधी अध्यादेश के खिलाफ दायर जन याचिका पर सुनवाई की। सुनवाई मंगलवार को भी जारी रहेगी। इस दौरान महाराष्ट्र के राज्यपाल व पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी के अधिवक्ता ने याचिका से उनका नाम हटाने का अनुरोध किया, जिसे हाई कोर्ट ने रिकार्ड पर लेते हुए हटा दिया। इस मामले में मंगलवार को भी सुनवाई जारी रहेगी।

सोमवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में रूरल लिटिगेशन संस्था की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। रूलक ने सरकार के इसी साल पांच सितंबर को जारी उस अध्यादेश को याचिका के माध्यम से चुनौती दी है, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्रियों का आवास समेत अन्य सुविधाओं का बकाया माफ करने का निर्णय लिया गया है।

हाई कोर्ट ने रूलक की ही याचिका पर पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास खाली करने व सुविधाओं का बकाया ब्याज सहित बाजार मूल्य की दर पर किराया भरने के आदेश पारित किया था। कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी, पूर्व सीएम अब दिवंगत एनडी तिवारी, पूर्व सीएम डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, विजय बहुगुणा व भुवन चंद्र खंडूड़ी को आवास खाली करने का आदेश पारित करते हुए नोटिस थमाया था। दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी को नोटिस की श्रेणी से बाहर किया गया है।

सिर्फ पांच के लिए ही कानून क्यों

हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता कार्तिकेय हरिगुप्ता ने संविधान के अनुच्छेद-14 के समानता का अधिकार का हवाला देते हुए कहा कि सरकार का काम जनकल्याण होता है मगर सरकार सिर्फ पांच लोगों को ही फायदा देने के मकसद से कानून क्यों बनाना चाहती है। इस मामले में सुनवाई मंगलवार को भी जारी रहेगी।

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