नैनीताल के बलियानाला में हो रहा है भूस्खलन, बढ़ गया है खतरा
नैनीताल के तल्लीताल क्षेत्र में बलियानाला के मुहाने पर भारी भूस्खलन से खतरा बढ़ गया। इस कारण क्षेत्र के रईस होटल व हरीनगर क्षेत्र के दो दर्जन परिवार को शिफ्ट करने की तैयारी है।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Mon, 10 Sep 2018 04:10 PM (IST)
नैनीताल, [किशोर जोशी]: नैनीताल के तल्लीताल क्षेत्र में बलियानाला के मुहाने पर सोमवार सुबह साढ़े आठ बजे भारी भूस्खलन से खतरा बढ़ गया। लगातार हो रहे भूस्खलन से क्षेत्र के रईस होटल व हरीनगर क्षेत्र के दो दर्जन परिवार को शिफ्ट करने की तैयारी है। दो साल पहले भी जबरदस्त भूस्खलन से दो दर्जन परिवारों को विस्थापन करना पड़ा था, जबकि पिछले साल चट्टान के ऊपर बना मंदिर ध्वस्त हो गया था। जिसके बाद विशालकाय चट्टान अटकी थी, जो आज सुबह पहाड़ी दरकने के साथ बलियानाला में समा गया।
बता दें कि सरोवर नगरी के बलियानाला के मुहाने पर रईस होटल क्षेत्र में शनिवार सुबह भी भूस्खलन हुआ था। आज सुबह फिर से भूस्खलन हुआ। इससे आसपास रह रहे परिवारों में दहशत पैदा हो गई। पिछले हफ्ते भूस्खलन के बाद प्रशासन ने इन परिवारों को घर खाली करने का नोटिस थमाया था, मगर कहीं और व्यवस्था न हो पाने के कारण ये परिवार अब भी यहीं पर हैं। दो पेयजल योजनाएं भी हो गई ध्वस्त
भूगर्भीय दृष्टि से अतिसंवेदनशील बलियानाला में पहाड़ी दरकी तो मलबे में दो पेयजल योजनाएं भी ध्वस्त हो गई। बलियानाले के मध्य में प्राकृतिक जलस्रोत से इन गांवों को पेयजल सप्लाई करने के लिए जोड़े गए पाइप ध्वस्त हो गए हैं। लगातार भूस्खलन की वजह से जल संस्थान वैकल्पिक इंतजाम भी नहीं कर पा रहा है।
80 के दशक बलियानाला के मध्य में प्राकृतिक जलस्रोत से जल निगम द्वारा दो पेयजल योजनाएं बनाई गई। ब्रिटिशराज में इस स्थान में पानी की टंकी बनाई गई थी, जो दो साल पहले भूस्खलन में ध्वस्त हो गई। शुक्रवार को हुए भूस्खलन में बलियानाला के मध्य से जाने वाली दोनों पेयजल योजनाएं ध्वस्त हो गई, जिससे बल्दियाखान, नैना गांव, देवीधुरा, जोश्यूड़ा, चढ़ता, आडूखान, कूंण समेत आसपास के तोक तथा गेठिया में पेयजल सप्लाई ठप हो गई है।
जल संस्थान के अपर सहायक अभियंता अनिल परिवार ने बताया कि इन गांवों में तीन सौ से अधिक पेयजल संयोजन हैं जबकि हजारों की आबादी है। दो साल पहले ही स्टील के चैंबर बनाकर उससे पाइपों को जोड़ा गया था। विशेषज्ञों के अनुसार इस प्राकृतिक स्रोत से प्रति मिनट सात-आठ सौ लीटर पानी निकलता है। उनका यह भी कहना है जब तक इस पानी का उपयोग नहीं किया जाएगा, समस्या का स्थायी समाधान भी मुमकिन नहीं है।
अब नैनीताल से सप्लाई की तैयारी बलियानाला भूस्खलन से ध्वस्त पेयजल लाइन से प्रभावित गांवों को पानी की सप्लाई के लिए अब नैनीताल से पानी सप्लाई की तैयारी की जा रही है। विभाग की मंशा है कि नैनीताल से मनोरा को जाने वाली लाइन में सप्लाई बढ़ाकर चढ़ता में बनी टंकी में स्टॉक किया जाए, फिर गांवों को सप्लाई किया जाए। डोलोमाइट से बनी हैं बलियानाले के मुहाने की चट्टानें प्रसिद्ध भू विज्ञानी, कुमाऊं विवि के प्रो सीसी पंत ने बताया कि बलियानाला के मुहाने की चट्टान चूना पत्थर का एक प्रकार डोलोमाइट से बनी है, नीचे स्लेट हैं। चट्टानों का ढलान नीचे को है, यह काफी भुरभुरी हैं। बलियानाले के तलहटी पर कटाव की वजह से ऊपर से भूस्खलन हो रहा है। इसकी वजह मानवीय कम, प्राकृतिक अधिक हैं। यह चट्टानें प्राकृतिक रूप से कमजोर हैं। यहां तीव्र ढलान होने की वजह से यह कटाव हो रहा है। बलियानाला के मध्य में प्राकृतिक जलस्रोत के पानी का सदुपयोग होना चाहिए।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ सोइल कन्जरवेशन के अध्ययन में साफ निष्कर्ष है कि यह पानी झील के रिसाव का नहीं है। बलियानाला का ट्रीटमेंट नैनीताल के अस्तित्व के लिए जरूरी है। पहाड़ी दरकने से श्रोत तक पहुंचना मुश्किल किशन सिंह बिष्ट, जल संस्थान कर्मी ने बताया कि मैं पिछले ढाई दशक से बलियानाला के मध्य में प्राकृतिक जलस्रोत से बनी पेयजल योजना की देखरेख कर रहा हूं। तब बलियानाला में घना जंगल था। अब पहाड़ी दरकने के बाद स्रोत तक पहुंचना भी कठिन हो गया है।यह भी पढ़ें: नैनीताल के बलियानाला के मुहाने पर हुआ भूस्खलन, दहशत में लोग
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