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हाई कोर्ट शिफ्टिंग मामले में हाई कोर्ट बार एसोसिएशन नहीं देगी सहमति nainital news

हाई कोर्ट को नैनीताल से अन्यत्र स्थानांतरित करने के मामले को लेकर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन खासी मुखर हो उठी है।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Thu, 07 Nov 2019 09:57 AM (IST)
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हाई कोर्ट शिफ्टिंग मामले में हाई कोर्ट बार एसोसिएशन नहीं देगी सहमति nainital news
नैनीताल, जेएनएन : हाई कोर्ट को नैनीताल से अन्यत्र स्थानांतरित करने के मामले को लेकर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन खासी मुखर हो उठी है। एसोसिएशन का साफ मानना है कि हाई कोर्ट में पर्याप्त स्थान व सुख सुविधाएं नहीं हैं। कहा कि चंडीगढ़, बांबे हाई कोर्ट समेत अन्य उच्च न्यायालयों में जगह कम होने के बाद भी स्थानांतरित करने का मामला नहीं उठाया है। जबकि राज्य बनने के 19 साल बाद हाई कोर्ट को शिफ्ट करने की बात कही जा रही है। एक स्वर में कहा कि हाई कोर्ट को अन्यत्र स्थानांतरित करने का एक स्वर में विरोध किया जाएगा साथ ही एसोसिएशन शिफ्ट करने के पक्ष में कभी भी सहमति प्रदान नहीं करेगा।

बुधवार को हाई कोर्ट बार सभागार में एसोसिएशन अध्यक्ष पूरन सिंह बिष्टï की अध्यक्षता में हुई आम सभा में एक स्वर से हाई कोर्ट शिफ्ट करने के विचार को ही उत्तराखंड राज्य गठन की अवधारणा के खिलाफ करार दिया गया। अधिवक्ता त्रिभुवन फत्र्याल ने सवाल उठाते हुए पूछा कि हाई कोर्ट शिफ्टिंग की मंशा राजनीतिक है या क्या है। उन्होंने कहा कि पर्वतीय इलाकों से संस्थानों को देहरादून ले जाया जा रहा है। जिसने हल्द्वानी या मैदान में मकान बना लिया, वह हाई कोर्ट शिफ्ट करने की बात कर रहा है, यह मजाक का विषय बना दिया गया है। जबकि अलग राज्य बनने के बाद राष्टï्रपति की अधिसूचना से हाई कोर्ट की स्थापना नैनीताल में की गई। उन्होंने कहा कि यदि शिफ्ट करने की मजबूरी है तो बागेश्वर के कपकोट भराड़ी, गैरसैंण, चमोली के ग्वालदम में किया जाए। अधिवक्ता रमन शाह व पीएस सौन ने कहा कि आंदोलनकारियों के संघर्ष से अलग राज्य बना। रामपुर तिराहा कांड, मसूरी, खटीमा गोलीकांड में आंदोलनकारियों की शहादत हुई। अधिवक्ता डीएस मेहता ने कहा कि जगह कम होने का हवाला देकर शिफ्टिंग की बात करना बकवास है। अधिवक्ता केएस रौतेला ने कहा कि यदि इस मामले में पीएमओ से कोई पत्र आया है तो उसे पब्लिक डोमेन में लाया जाए।

अध्यक्ष पूरन सिंह बिष्ट ने दो टूक कहा कि वह अपने कार्यकाल में कभी भी हाई कोर्ट शिफ्ट करने के लिए सहमति नहीं देंगे, भले ही उन्हें जान देनी पड़ी या इस्तीफा देना पड़ा। उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री ने कश्मीर से अनुच्छेद-370 खत्म किया तो किसी से सहमति नहीं ली, इस मामले में पीएमओ की बात क्यों कही जा रही है। उन्होंने दिवंगत पूर्व कानून मंत्री अरुण जेटली की उस टिप्पणी का भी जिक्र किया, जब उन्होंने नैनीताल हाई कोर्ट को एशिया का सबसे सुंदर हाई कोर्ट कहा था। बैठक में उपाध्यक्ष श्रुति जोशी, बीएस कोरंगा, वरिष्ठ अधिवक्ता पुष्पा जोशी, बीएस नेगी, डॉ. सीएस जोशी, बएस नेगी, एसके मिश्रा, जानकी सूर्या, अंजलि भार्गव,  सैय्यद नदीम, ललित बेलवाल, कुर्बान अली, मनोज भट्ट, विनोद तिवारी, कमलेश तिवारी, सौरभ अधिकारी, चंद्रशेखर रावत, डीके जोशी, आइडी पालीवाल समेत अन्य थे।

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