हाई कोर्ट नैनीताल ने पूछा, पांचों अधिवक्ताओं को हटाया क्यों, उन्होंने तो नहीं की थी खराब पैरवी
हाई कोर्ट ने ऊधमसिंह नगर में ब्लैकमेलिंग से जुड़े एक मामले में सुनवाई के दौरान हटाए गये अधिवक्ताओं को लेकर गंभीर टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि अधिवक्ताओं ने कभी भी खराब पैरवी नहीं की थी फिर उन्हें हटाया क्यों गया?
By kishore joshiEdited By: Skand ShuklaUpdated: Wed, 28 Sep 2022 08:33 AM (IST)
जागरण संवाददाता, नैनीताल : ऊधमसिंह नगर में ब्लैकमेलिंग से जुड़े एक मामले में हाई कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार की ओर हाल में दायित्व से हटाए गये पांचों अधिवक्ताओं को लेकर गंभीर टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि अधिवक्ताओं ने कभी भी खराब पैरवी नहीं की थी, फिर उन्हें हटाया क्यों गया? क्या कोई जांच कराई गई थी?
कोर्ट ने कहा कि हमने तो उन्हें हटाने के लिए कभी नहीं कहा था। महाधिवक्ता ने इस पर कहा कि जब कोर्ट ने राज्य की ओर से गंभीरता नहीं बरतने पर नाराजगी जताई थी तो संभवतः अधिकारियों ने इसका गलत अर्थ लगा कर इसे अधिवक्ताओं की कमी समझ लिया था।
राज्य के विधि एवं न्याय सचिव वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जबकि ऊधमसिंह नगर के एसएसपी मंजूनाथ टीसी खुद कोर्ट में पेश हुए। एसएसपी ने कोर्ट को बताया कि दोषी जांच अधिकारी पर कारवाई की जा रही है और भविष्य में इस तरह की चूक नहीं होगी। मामले की अगली सुनवाई पहली अक्टूबर को होगी।
ब्लैकमेलिंग के इस मामले में हो रही थी सुनवाई
मंगलवार को न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामला रूद्रपुर में ब्लैकमेलिंग के 2019 के प्रकरण से जुड़ा है। आरोप है कि रूद्रपुर के पहाड़ गंज निवासी महबूब अली ने एक महिला के साथ मिलकर पहाड़गंज निवासी 65 वर्षीय बुजुर्ग धर्मपाल को छेड़छाड़ के आरोप में फंसाने की साजिश रची और उनसे लाखों की रूपये की रकम ऐंठ ली।
पुलिस ने आरोपी महबूब अली के खिलाफ धारा 384, 504, 506 व 34 के तहत मामला दर्ज कर मामले की जांच सब इंस्पेक्टर मुकेश मिश्रा को सौंप दी। पीड़ित की ओर से जांच अधिकारी को साक्ष्य के तौर पर इस प्रकरण से जुड़ी एक पेन ड्राइव भी सौंपी गयी। इस दौरान आरोपी की ओर से वर्ष 2021 में उच्च न्यायालय में जमानत याचिका दायर की गयी।
कोविड के दौरान पैरोल पर छूटा था आरोपित
प्रकरण की सुनवाई में कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि जांच अधिकारी की ओर से जो जवाब दायर किया गया था उसमें आरोपियों की पेन ड्राइव से जुड़ी ऑडियो रिकार्डिंग के बारे में उल्लेख नहीं है। अदालत के संज्ञान में आया कि आरोपी कोरोना महामारी के चलते पेरोल पर था और अब भी पेरोल पर ही है। इसके बाद कोर्ट ने सरकार से इस मामले में रिपोर्ट पेश करने को कहा था।
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