दून विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति को अवैध बताकर हाईकोर्ट ने किया निरस्त nainital news
उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने राज्य के ख्याति प्राप्त दून विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति को अवैध बताते हुए निरस्त कर दिया है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Wed, 04 Dec 2019 09:17 AM (IST)
नैनीताल, जेएनएन : हाई कोर्ट ने दून विश्वविद्यालय के कुलपति चंद्रशेखरनौटियाल की नियुक्ति को अवैध ठहराते हुए निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने सरकार को जल्द नई सर्च कमेठी का गठन कर नए कुलपति की नियुक्ति नियम के तहत करने के आदेश पारित किए हैं। कोर्ट के फैसले से पूर्ववर्ती राज्यपाल डॉ. केके पॉल का फैसला विवादों में आने के साथ ही सर्च कमेटी की स्क्रीनिंग प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े हो गए। साथ ही सरकार को बड़ा झटका लगा है।
देहरादून के आरटीआइ कार्यकर्ता यज्ञभूषण शर्मा ने जनहित याचिका दाखिल कर कुलपति सीएस नौटियाल की नियुक्ति को चुनौती दी थी। याचिका में कहा गया था कि कुलपति की नियुक्ति नियम विरुद्ध है। चयन प्रक्रिया में यूजीसी की गाइडलाइन को दरकिनार किया गया है। दून विश्वविघालय के एक्ट के मानक पूरे किए बिना यह नियुक्ति की गई है। कुलपति पद की अर्हता में प्रोफेसर होना जरूरी है और यूजीसी गाइडलाइन के अनुसार दस साल तक प्रोफेसर पद पर सेवारत ही आवेदन कर सकता है। नौटियाल इस अर्हता को पूरी नहीं करते। यहीं नहीं उनके द्वारा तमाम अन्य तथ्य भी छिपाए हैं। लिहाजा उनकी नियुक्ति निरस्त की जाए।
मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की खंडपीठ ने मामले में फैसला देते हुए कुलपति की नियुक्ति को अवैध ठहराते हुए निरस्त कर दिया। साथ ही सरकार को निर्देश दिया है कि सर्च कमेेटी का गठन कर नए कुलपति की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की जाए। कोर्ट के इस फैसले से सरकार के साथ ही राजभवन को भी झटका लगा है। कुलपति की नियुक्ति कुलाधिपति द्वारा ही की जाती है। प्रो. नौटियाल की नियुक्ति जनवरी 2018 में तत्कालीन राज्यपाल डॉ. कृष्णकांत पॉल द्वारा की गई थी। नौटियाल नेशनल बॉटनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट लखनऊ में कार्यरत रहे।
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