हाईकोर्ट ने कहा, अधिकारी कोर्ट के आदेश का अनुपालन करना तो दूर पढ़ते तक नहीं nainital news
स्लाटर हाउस मामले में आदेश का अनुपालन नहीं होने उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य में प्रशासनिक कामकाज को लेकर सख्त टिप्पणी की है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Tue, 26 Nov 2019 12:02 PM (IST)
नैनीताल, जेएनएन : हाईकोर्ट ने राज्य में प्रशासनिक कार्यप्रणाली व सरकार के कामकाज पर तल्ख टिप्पणी की है। सोमवार को स्लाटर हाउस मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि अदालत आदेश पारित करती है, मगर सरकार उसे पढऩा जरूरी नहीं समझती। यदि कोर्ट अपने आदेशों के अनुपालन के लिए हर विभाग तक जाएगी तो यह प्रशासनिक अधिकारियों की घोर लापरवाही है। अदालत राज्य में स्लाटर हाउस बनाने का आदेश 2011 में ही पारित कर चुकी है, मगर सरकार अब भी और समय मांग रही है।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में मीट कारोबारियों की याचिका पर सुनवाई के दौरान शहरी विकास सचिव अरविंद ह्यांकी, नैनीताल डीएम सविन बंसल, ईओ नैनीताल अशोक कुमार वर्मा, हल्द्वानी नगर आयुक्त सीएस मर्तोलिया व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश हुए और शपथ पत्र प्रस्तुत किया। शपथ पत्र से असंतुष्टï कोर्ट ने पूछा कि उत्तराखंड में मीट कहां से सप्लाई हो रही है, तो सरकार की तरफ से बताया गया कि बरेली व नोएडा से मीट की सप्लाई हो रही है। कोर्ट ने आदेश के अनुपालन में हीलाहवाली पर कड़ी फटकार लगाई। शहरी विकास सचिव की ओर से पेश हलफनामे से असंतुष्ट कोर्ट ने संपूर्ण तथ्यों के साथ मंगलवार को शपथ पत्र प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही चेतावनी दी है कि यदि शपथ पत्र में किसी तरह की गड़बड़ी सामने आई और तथ्यों को छिपाया गया तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ आपराधिक अवमानना का आरोप तय किया जाएगा। सुनवाई मंगलवार को भी जारी रहेगी।
स्लाटर हाउस व मीट की जांच के दिए थे आदेश
दरअसल, हाई कोर्ट ने प्रदेश में अवैध तरीके से संचालित स्लाटर हाउस व यहां बिक रहे मीट की जांच के आदेश सभी जिलाधिकारियों को दिए थे। साथ ही रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा था, मगर अब तक कोर्ट में रिपोर्ट पेश नहीं की गई। इस पर खंडपीठ ने सख्त नाराजगी जताई। अदालत ने कहा कि 2011 में ही सरकार को यह आदेश दिए गए थे कि मानकों के अनुसार स्लाटर हाउस का निर्माण करे, मगर सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई, जहां से अब तक राहत नहीं मिली है। पिछले साल अदालत के आदेश के बाद राज्य के सभी स्लाटर हाउस को 72 घंटे में बंद कर दिया था, मगर इसके बाद भी स्लाटर हाउसों का निर्माण नहीं किया गया। कोर्ट ने कहा कि जब स्लाटर हाउस बंद हैं तो मीट कहां से आ रहा है। मीट कारोबारियों ने याचिका दायर कर कहा है कि स्लाटर हाउसों का निर्माण नहंी होने से उन्हें करोड़ों का नुकसान हो रहा है।
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