अधिकारी-कर्मचारियों को सस्ती बिजली देने के मामले को हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया nainital news
हाई कोर्ट ने ऊर्जा निगम के अधिकारी-कर्मचारियों के सस्ती बिजली देने व आम आदमी के लिए बिजली की दरें बढ़ाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए स्वत संज्ञान लिया।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Thu, 07 Nov 2019 09:52 AM (IST)
नैनीताल, जेएनएन : हाई कोर्ट ने ऊर्जा निगम के अधिकारी-कर्मचारियों के सस्ती बिजली देने व आम आदमी के लिए बिजली की दरें बढ़ाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए स्वत: संज्ञान लेकर सरकार को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने सख्त नाराजगी जताते हुए ऊर्जा निगम को विस्तृत हलफनामा प्रस्तुत करने के निर्देश भी दिए हैं।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में आरटीआइ क्लब देहरादून की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया है कि ऊर्जा निगमों के अधिकारियों का एक माह का बिजली बिल मात्र चार, पांच सौ व कर्मचारियों का मात्र सौ रुपये लिया जा रहा है। जबकि इनका बिल लाखों में आता है। जिसका बोझ सीधे जनता पर पड़ रहा है। याचिकाकर्ता का कहना है कि ऊर्जा निगमों के तमाम अधिकारियों के आवासों में मीटर तक नहीं लगे हैं। यदि लगे भी हैं तो खराब स्थिति में हैं। उदाहरणार्थ जीएम का 25 माह का बिल चार लाख 20 हजार आया था, उसके बिजली के मीटर की रीडिंग 2005 से 2016 तक नहीं ली गई थी। वहीं कारपोरेशन ने वर्तमान कर्मचारियों के अलावा रिटायर कर्मचारियों व उनके आश्रितों को मुफ्त बिजली दी है। जिसका सीधा भार जनता की जेब पर पड़ रहा है। याचिकाकर्ता के अनुसार उत्तराखंड ऊर्जा प्रदेश घोषित है लेकिन यहां हिमाचल प्रदेश से महंगी बिजली है। जबकि हिमाचल में बिजली उत्पादन कम होता है।
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