हार्इ कोर्ट ने एमबीबीएस कर चुके चिकित्सकों की याचिका पर की सुनवार्इ
हार्इ कोर्ट ने एमबीबीएस कर चुके चिकित्सकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि ज्वॉइनिंग के बाद भरे जाने वाले शपथ पत्र की सीमा 15 मई तक विस्तारित मानी जाए।
नैनीताल [जेएनएन]: हाई कोर्ट ने राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी में एमबीबीएस कर चुके चिकित्सकों की याचिका पर सुनवाई की। जिसके बाद कोर्ट ने कहा है कि ज्वॉइनिंग के बाद भरे जाने वाले शपथ पत्र की सीमा 15 मई तक विस्तारित मानी जाए। कोर्ट ने अगली सुनवाई 14 मई नियत की है।
शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति केएम जोसफ व न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई। यहां बता दें कि सरकार द्वारा मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी से एमबीबीएस कर चुके 27 चिकित्सकों की दुर्गम क्षेत्र में तैनाती कर दी थी। 23 अप्रैल को डीजी हेल्थ की ओर से नियुक्ति आदेश में नियुक्ति स्थल निर्धारित करने के साथ ही कहा था कि 31 अक्टूबर 2012 को जारी पत्र के क्रम में भत्ते देय होंगे। इन चिकित्सकों ने याचिका दायर कर कहा कि जब उन्होंने मेडिकल में प्रवेश लिया था तब अभिभावक से बॉन्ड भरवाया गया कि प्रशिक्षण पूरा होने के बाद चिकित्सक अनिवार्य रूप से पांच साल तक प्रदेश के दुर्गम क्षेत्र में सेवाएं देंगे। यह सेवा नहीं देने पर उन्हें ब्याज सहित 30 लाख की रकम सरकार को लौटानी होगी।
बॉन्ड में यह भी कहा गया था कि इन चिकित्सकों की अवधि में स्थायी रूप से नियुक्त चिकित्साधिकारियों के बराबर वेतनमान व सुविधाएं व अन्य भत्ते दिए जाएंगे। यह वेतनमान 56 हजार से एक लाख 77 हजार पांच सौ रुपये तक था, जबकि 21 अप्रैल को दिए गए नियुक्ति पत्र में उल्लेख है कि 31 अक्टूबर 2012 के आदेश में दी गई व्यवस्था के अनुसार मानदेय दिया जाएगा। इस आदेश के अनुसार मानदेय मैदानी क्षेत्रों में नियुक्त चिकित्सकों के लिए 48 हजार रुपये, दुर्गम क्षेत्र में तैनात चिकित्सक के लिए 52 हजार रुपये प्रतिमाह और अति दुर्गम क्षेत्र में तैनात चिकित्सक के लिए 56 हजार प्रतिमाह मानदेय निर्धारित किया गया है।
चिकित्सकों का कहना है कि उनके अभिभावकों से प्रवेश के दौरान भराए गए बांड के खिलाफ है। 23 अप्रैल को डीजी हेल्थ द्वारा जारी आदेश में उन्हें 20 दिन के भीतर टिहरी, चमोली, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा, बागेश्वर व पिथौरागढ़ के दुर्गम स्थानों पर ज्वॉइनिंग देनी है। उन्हें इसके लिए एक शपथ पत्र देने को कहा गया है, जिसके अनुसार वह 31 अक्टूबर 2018 के पत्र के निर्धारित मानदेय के अलावा अन्य किसी भत्ते व राशि की मांग नहीं करेंगे। कोर्ट ने मामले को सुनने के बाद शपथ पत्र भरे जाने की तिथि को 15 मई तक विस्तारित कर दिया।
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