India Lockdown : लॉकडाउन में पहाड़ी उत्पादों ने दिखाई स्टार्टअप की राह, विदेशों में बढ़ी डिमांड
आज पूरा विश्व मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता के चलते हमारी ओर देख रहा है। योग खान-पान जड़ी-बूटी और लाइफ स्टाइल के बूते ही हम कोरोना से बचाव की जंग में आगे भी हैं।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Wed, 22 Apr 2020 08:50 AM (IST)
अभय पांडेय, काशीपुर : कोरोना की कोई दवा नहीं है, सिर्फ बचाव ही उपचार है। इसके लिए शरीर को फिट रखना बेहद जरूरी है। आज पूरा विश्व मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता के चलते हमारी ओर देख रहा है। योग, खान-पान, जड़ी-बूटी और लाइफ स्टाइल के बूते ही हम कोरोना से बचाव की जंग में आगे भी हैं। इन्हीं खूबियों को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने भी युवाओं से आगे आकर रिसर्च एवं इनोवेशन की अपील की है।
पीएम के इसी आह्वान को साकार करने में जुटे हैं निरंजनपुर देहरादून निवासी हर्षित सचदेव। फ्रांस व अमेरिका को भी पसंद आ चुके पहाड़ी नूण से स्टार्टअप शुरू करने वाले हर्षित लॉकडाउन में पहाड़ के हर्बल उत्पादों के लिए संभावनाओं पर रिसर्च कर रहे हैं। वह पहाड़ी अदरक, लहसुन पेस्ट, हर्बल टी, काढ़ा, भंगजीरा का तेल समेत विभिन्न उत्पाद तैयार करने में जुटे हैं। भारतीय प्रबंधन संस्थान काशीपुर की इनोवेशन टीम से जुड़े हर्षित को इस काम में एक्सपर्ट भी मदद कर रहे हैं। हर्षित को विदेशों से काफी डिमांड मिल रही है।
लॉक डाउन की चुनौतियों ने दिखाया रास्ता 32 वर्षीय हर्षित बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान किसी भी स्टार्टअप को सुचारु रखना चुनौती से कम नहीं। हमने इस चुनौती को स्वीकार किया है। काशीपुर आइआइएम से दो प्रशिक्षु आकाश पवार व निमिशा भी इस समय रिसर्च के काम में साथ जुड़े हैं। हमने मार्केट पर रिसर्च किया कि आने वाले समय में भारत ही नहीं विश्व की क्या जरूरतें होंगी। आयुष मंत्रलय की ओर से जारी इम्यूनिटी बढ़ाने वाले अधिकांश प्रोडक्ट को भारत में उगाया, अपनाया और प्रयोग किया जाता है। अब विश्व भर से ऐसे हर्बल प्रोडक्ट की मांग बढ़ रही है। फ्रांस में हर्षित के बिजनेस पार्टनर के तौर पर जुड़ी क्लोयएंडो भी इस रिसर्च में अपना सुझाव दे रही हैं। रिसर्च के बाद लैब टेस्टिंग होते ही उत्पाद हम बाजार में उतार सकेंगे।
विदेश में हर्षित और डिडसारी नूण फेमसहर्षित ने ईको सिस्टम डेवलपमेंट के तहत 2018 में काम शुरू किया। शुरुआत में गांव की तकरीबन नौ महिलाओं के साथ पहाड़ी नूण (नमक) बनाने का काम शुरू किया। यह स्वादिष्ट नमक जीरा, पहाड़ी अदरक, लहसुन, तिल, भंगीरा, अलसी, काली जीरा आदि के साथ सिलबट्टे पर पीसकर तैयार किया जाता है। सफल बत्रा फीड आइआइएम, काशीपुर ने बताया कि लॉकडाउन में चुनौतियों के लिए प्रत्येक स्टार्टअप को तैयार होना होगा। यह समय रिसर्च कर अपने प्रोडक्ट पर काम करने का है। काशीपुर आइआइएम की फीड टीम इसमें पूरी मदद कर रही है। हर्षित का प्रयास सराहनीय है।
इन पहाड़ी उत्पादाें की विदेशों में मांग पहाड़ में उत्पादित राजमा, ओगल, उड़द, मूंग, नौरंगी, भट्ट आदि दालें काफी पसंद की जा रही हैं। यह पहाड़ी दालें प्रोटीन की आवश्यकता पूरी करने वाली हैं। हर्बल टी और काढ़ा, तुलसी, दालचीनी, काली मिर्च, सौंठ और मुनक्का का इस्तेमाल कर हर्बल टी प्रोडक्ट तैयार किए जाएंगे। इसकी मांग यूरोपीय और खाड़ी देशों से काफी मिल रही है। इसका टी-बैग पैक तैयार किया जाएगा। पहाड़ी हल्दी की सबसे ज्यादा मांग हैं। हर्षित के अनुसार साबूत व पाउडर दोनों तरह की हल्दी की मांग तेजी से बढ़ रही है। उनके पास 10 हजार पैकेट की डिमांड तो सिर्फ फ्रांस से है। भंगजीरा पौधे के बीज और पत्तियों में ओमेगा-3 व ओमेगा-6 प्रचुर मात्र में पाया जाता है। हर्षित बताते हैं कि पहाड़ों पर ‘भंगजीरा’ की खेती रोजगार के अवसर पैदा कर सकती हैं। इससे मांस, मछली न खाने वालों को ओमेगा-3 व ओमेगा-6 का शुद्ध विकल्प मिलेगा।
यह भी पढें कत्यूरी राजकुमार मालूशाही और राजुला की अमर प्रेम गाथा दूरदर्शन से पहुंच रही लोगों तकदर्जनों आदमखोर बाघ व तेंदुओं का शिकार करने वाले महान लेखक जिम कॉर्बेट के बारे में जानिए
कैलास मानसरोवर यात्रा का 76 किमी पैदल सफर पांच घंटे में होगा तय, अभी लगते हैं छह दिन
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।