हिमाचली अनार मुक्तेश्वर के बागवानों की बढ़ेगी आमदनी, घटा सेब का उत्पादन
वर्षों से सेब व आड़ू की विभिन्न प्रजातियों के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध रामगढ़ व मुक्तेश्वर में अब जल्द ही हिमाचल का सुपर भगवा प्रजाति का अनार अपनी पहली उपज के साथ किसानों की आय बढ़ाएगा।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sat, 19 Jan 2019 08:41 PM (IST)
नैनीताल, जेएनएन : वर्षों से सेब व आड़ू की विभिन्न प्रजातियों के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध रामगढ़ व मुक्तेश्वर में अब जल्द ही हिमाचल का सुपर भगवा प्रजाति का अनार अपनी पहली उपज के साथ किसानों की आय बढ़ाएगा। द एनर्जी एंड रिसोर्सेस इंस्टीट्यूट (टेरी) के वैज्ञानिकों ने बाद यहां पर रिसर्च के लिए काफी अधिक संख्या में अनार के पौध लगाए हैं, जो सफल हो चुके हैं। जल्द ही यह पेड़ अनार से भर जाएंगे।
मुक्तेश्वर और रामगढ़ क्षेत्र फलों के उत्पादन में राज्य में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यहां के फलों की डिमांड देश के अलावा विदेशों में भी अच्छी-खासी है। ग्रामीणों की आय का भी यह पहला साधन है, इससे इस क्षेत्र में काफी हद तक पलायन भी रूका है। गांव सूपी, दाडि़मा, सुंदरखाल, सुनकिया, धानाचूली में भारी मात्रा में फलों का उत्पादन किया जाता है। यहां पर होने वाला सेब, आड़ू, पुलम पूरे भारत वर्ष में प्रसिद्ध है।
कुछ सालों से गिरा सेब का उत्पादन : पिछले कुछ सालों से यहां पर आड़ू, पुलम व खुमानी की पैदावार बढ़ी है। सेब उत्पादन में कमी व कई किस्मों के विलुप्त होने से इसका उत्पादन घटा है। इसको देखते हुए द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टेरी) द्वारा यहां पर अनार का उत्पादन करने के लिए ट्रायल किया जो अभी तक सफल है। अभी यहां पर हिमांचल का सुपर भगवा प्रजाति का अनार का उत्पादन किया जा रहा है। क्षेत्र के किसान किशन सिंह और नारायण सिंह के खेतों में लगभग 500 पेड़ तैयार हो चुके हैं। टेरी के वैज्ञानिक डॉ. नारायण सिंह ने बताया कि टिशू कल्चर आधारित इस प्रजाति को हिमांचल से लाकर यहां लगाया गया, जिसका परिणाम काफी अच्छा रहा। अनार शरीर में रक्त बढ़ाने के साथ-साथ कैंसर की बीमारी को दूर करने के लिए भी कारगर फल है।
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