राष्ट्रगान दिवस के रूप में मनेगी रबींद्रनाथ टैगोर जयंती, एचआरडी मंत्री निशंक ने किया एलान
मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने टैगोर जयंती को राष्ट्रगान दिवस के रूप मनाने का एलान किया है। टैगोर जयंती पर निशंक ने कहा गुरुदेव ने देश को दुनिया में पहचान दिलाई।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Thu, 07 May 2020 04:03 PM (IST)
हल्द्वानी, गणेश जोशी : गुरुदेव रबींद्रनाथ टैगोर जन्मोत्सव पर आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि गुरुदेव ने भारत की पहचान दुनिया में दिलाई। अद्वितीय रचना गीतांजलि के जरिये उन्होंने साहित्य के क्षेत्र में एशिया में पहला नोबेल पुरस्कार हासिल कर राष्ट्र का नाम ऊंचा किया। हमारे रग-रग में बसा टैगोर रचित राष्ट्रगान हमारा मान-सम्मान बढ़ाता है। भारत की पहचान दिलाता है। अगले वर्ष सात मई से समिति को हर वर्ष टैगोर जन्मोत्सव को राष्ट्रगान दिवस के रूप में मनाना चाहिए। इसी दिवस के रूप में प्रचारित किया जाना चाहिए।
केंद्रीय संस्थान के रूप में विकसित होगा शांति निकेतन
शांति निकेतन ट्रस्ट फाॅर हिमालयाज रामगढ़ की ओर से आयाजित वेबिनार में मुख्य अतिथि निशंक ने कहा कि रामगढ़ को टैगोर के विचारों को आगे बढ़ाने की जिस तरह की लौ जल रही है, वह अवश्य प्रकाशित होगी। रामगढ़ के टैगोर टाॅप यानी कर्मस्थली को केंद्रीय संस्थान के रूप विकसित किया जाएगा। इसके लिए विश्वभारती विश्वविद्यालय शांति निकेतन के कुलपति प्रो. विद्युत चक्रवती ने प्रस्ताव भी भेजा है। यूजीसी के अध्यक्ष प्रो. डीपी सिंह भी इस मामले में मंथन करने में जुटे हैं। जल्द ही इस मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री से मुलाकात की जाएगी। यह संस्थान उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि देश-दुनिया में शिक्षा जगत के रूप में प्रकाशित होगा।
इंडोनेशिया मदद को तैयार
निशंक ने कहा कि जब वह इंडोनेशिया गए थे, तब वहां की सरकार ने भी कहा था कि अगर रामगढ़ में कुछ नया किया जाएगा तो वह पूरी तरह मदद को तैयार रहेंगे। ऐसा इसलिए किया जाना जरूरी है कि गुरुदेव की जरूरत देश-दुनिया को है। यूजीसी के चैयरमैन प्रो. सिंह ने भी कहा कि रामगढ़ में संस्थान के रूप में विकसित करने की नई पहल की सराहना की जाती है। बांग्लादेश में भारतीय उच्चायुक्त रिवा गांगुली दास ने कहा कि रामगढ़ में गुरुदेव की स्मृति में संग्राहलय या फिर संस्थान के रूप में विकसित होता है तो मुझे बहुत खुशी होगी। क्योंकि गुरुदेव का सम्मान पूरी दुनिया में हैं। उनकी रचनाएं दुनिया की अधिकांश भाषाओं में अनुदित हुई हैं। आयोजक सचिव कुमाऊं विश्वविद्यालय में काॅमर्स विभागाध्यक्ष व रामगढ़ के टैगोर टाॅप को विकसित करने में जुटे प्रो. अतुल जोशी ने कहा कि देश-दुनिया के जिज्ञासुओं के साथ ही हिमालय के लोगों के लिए रामगढ़ में केंद्रीय संस्थान की सौगात बड़ी उपलब्धि है। साथ ही अब हम प्रतिवर्ष टैगोर जन्मोत्सव को राष्ट्रगान दिवस के रूप में भी मनाएंगे। इस दौरान देश-दुनिया के तमाम लोग जुड़े रहे।
गीतांजलि की बताई उपयोगिता निशंक ने कहा कि आज पूरी दुनिया को जिसकी जरूरत है वह है राष्ट्रीयता व मानवीता। इन दोनों को गुरुदेव ने उंचाइयों तक पहुंचाया। कोरोना महामारी के दौर में गीतांजलि की गूंज सभी कानों में पड़े, आज इसकी जरूरत है। उन्होंने भारत के गांवों के सशक्त भारत की जो कल्पना की थी, वह अनूठी थी। इसे उन्होंने रचनाओं के माध्यम से प्रकट किया है। अब गांवों को सशक्त करने के सपने को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे बढ़ाया है।
यह भी पढ़ें : विश्वभारती की स्थापना रामगढ़ में करना चाहते थे गुरुदेव रबींद्रनाथ टैगोर
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।