टूरिस्ट स्पॉट : बर्ड वॉचिंग करना हो तो आइए देवभूमि के स्याही देवी
परिंदे प्रवासी हों या अप्रवासी जहां कहीं भी ये डेरा जमा लें मानव जीवन को सुकून देते हैं। यही नहीं इनकी मौजूदगी अमुक क्षेत्र का पर्यावरण जैव विविधता व संतुलित तापमान माकूल होने का संकेत भी देती है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sat, 13 Apr 2019 02:38 PM (IST)
दीप बोरा, अल्मोड़ा। परिंदे प्रवासी हों या अप्रवासी, जहां कहीं भी ये डेरा जमा लें मानव जीवन को सुकून देते हैं। यही नहीं इनकी मौजूदगी अमुक क्षेत्र का पर्यावरण, जैव विविधता व संतुलित तापमान माकूल होने का संकेत भी देती है। बात अगर दुर्लभ किस्म के मेजबान पक्षियों की हो तो दीदार की उत्सुकता दूनी बढ़ जाती है। पहाड़ की वादियों में इन दिनों यही मेजबान परिंदे मेहमान पंछियों की विदाई की कमी अखरने नहीं दे रहे। अगर आप भी पक्षी अवलोकन (बर्ड वॉचिंग) व नेचर फोटाग्राफी के शौकीन हैं तो चले आइए पहाड़। रानीखेत से स्याहीदेवी टॉप तक रंग बिरंगे पंछियों के बीच शेड्यूल-वन श्रेणी में शामिल दुर्लभ 'चीर फीजेंटÓ आपके कदम थाम लेगा।
बर्ड वॉचिंग के साथ पक्षियों पर शोध व अध्ययन करने वाले हों या पक्षी प्रेमी अथवा नेचर फोटोग्राफर। पर्वतीय वादियां अरसे बाद पक्षी अवलोकन व टूरिज्म के लिहाज से नई अनुभूति दे रही। स्टेट वाइल्ड लाइफ एडवाइजरी बोर्ड के सदस्य एवं सुप्रसिद्ध नेचर फोटोग्राफर पद्मश्री अनूप साह हालिया बर्ड वॉचिंग के सिलसिले में रानीखेत, मजखाली, कठपुडिय़ा से शीतलाखेत होकर स्याहीदेवी के मिश्रित वन क्षेत्र पहुंचे। स्याहीदेवी में बर्ड वॉचिंग के दौरान दुर्लभ 'चीर फीजेंटÓ की मौजूदगी व उसे कैमरे में कैद करने के बाद पहाड़ की ये वादियां पक्षी अवलोकन के शौकीनों को अपनी ओर खींचने लगी है। इससे एक नई संभावनाएं भी जगी हैं।
कहां पाया जाता है चीर फीजेंट
मयूरवंशी यह दुर्लभ पक्षी करीब 4000 से 9000 फीट की ऊंचाई पर, ढलान वाले इलाकों में। अमूमन दो या 10 से 12 के झुंड में रहता है। सुप्रसिद्ध फोटोग्राफर व बर्ड वॉचर पद्मश्री अनूप साह कहते हैं, 'चीर फीजेंटÓ
को लोकेट करना बेहद मुश्किल है। इसीलिए इसे कैमरे में कैद करना भी कठिन। इसके लिए बड़ा धैर्य व एकाग्रता की जस्रत होती है। पहाड़ के जिन ढलानों में 'चीर फीजेंटÓ पाया जाता है, वहां तक शिकारियों का पहुंचना दूभर होता है। ऐसे में 'चीर फीजेंटÓ कुछ हद तक बचा हुआ है। धार्मिक पर्यटन स्थली व जैवविविधता से लबरेज स्याहीदेवी के मिश्रित वन क्षेत्र में 'चीर फीजेंटÓ दिखाई देने से बर्ड वॉचरों के लिए बेहद सुखद है।
बर्ड वॉचिंग के लिए मुफीद बेल्ट
रानीखेत के कालिका व दलमोटी के साथ ही कठपुडिय़ा, शीतलाखेत व स्याहीदेवी के जंगलात में अबकी सीजन वो स्थानीय पक्षी प्रजातियां भी बहुतायत में सुकून दे रही, जो दिखनी बंद हो गई थी। सुखद पहलू यह कि तोता परिवार का 'रेड ब्रेस्टेड पैराकीटÓ व यलो फुटेड ग्रीन पीजन (हरियाली) को पहाड़ की वादियां खूब भा रही। बर्ड वॉचरों को खूब लुभा भी रहे। इसके अलावा शिवालिक की इस पूरी बेल्ट में रसेट स्पैरो, रॉक बंटिंग, स्पॉट विंग्ड, रोजफिंच व्हाइट कलर ब्लैक बर्ड, पिंक ब्रॉड रोजफिंच यूरोपियन गोल्ड व माउंटेन फिंच आदि पक्षियों का दीदार किया जा सकता है। रानीखेत, कठपुडिय़ा, शीतलाखेत व स्याहीदेवी की बेल्ट में 200 से ज्यादा पक्षी प्रजातियां हैं।यह भी पढ़ें : सुबह महागौरी तो शाम को होगा मां सिद्धिदात्री का पूजन
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।