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…तो भविष्य में 24 की जगह 25 घंटे का हो जाएगा पृथ्वी का दिन-रात? रोजाना 1.8 मिली सेकेंड की रफ्तार से लंबा हो रहा दिन

आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) नैनीताल के वरिष्ठ खगोल विज्ञानी ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। उनके मुताबिक भविष्य में दिन-रात 24 की बजाय 25 घंटे का हो जाएगा। सौर मंडल के सभी ग्रह गुरुत्व के कारण एक-दूसरे से बंधे होते हैं। इनके परिभ्रमण (सूर्य के या फिर अपनी धुरी पर) की गति में गुरुत्वाकर्षण के कारण परिवर्तन आना संभव है।

By Jagran News Edited By: Riya Pandey Updated: Sun, 11 Aug 2024 10:05 PM (IST)
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20 करोड़ साल बाद 25 घंटे का हो जाएगा दिन-रात

रमेश चंद्रा, नैनीताल। प्रतिदिन 1.8 मिली सेकंड की रफ्तार से लंबे हो रहे दिन से पृथ्वी का दिन-रात 24 की जगह 25 घंटे का हो जाएगा। एक घंटे का अंतर आने में 20 करोड़ साल लगेंगे।

गुरुत्वाबल से उत्पन्न होने वाला ज्वारीय प्रभाव व पृथ्वी की बाहरी भू-भौतिकीय क्रिया से उसके परिभ्रमण यानी अपनी धुरी पर घूमने की गति में कमी आना इसकी वजह है। विस्कान्सिन विश्वविद्यालय यूएसए के हाल में एक अध्ययन में दिन का समय बढ़ने की बात सामने आने के बाद यह विषय चर्चा में है।

गुरुत्वाकर्षण से परिभ्रमण की गति में परिवर्तन आना संभव

आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) नैनीताल के वरिष्ठ खगोल विज्ञानी डॉ. शशिभूषण पांडेय के अनुसार, सौर मंडल के सभी ग्रह गुरुत्व के कारण एक-दूसरे से बंधे होते हैं। इनके परिभ्रमण (सूर्य के या फिर अपनी धुरी पर) की गति में गुरुत्वाकर्षण के कारण परिवर्तन आना संभव है।

धीमी होने लगी पृथ्वी के परिभ्रमण की गति

वर्तमान आकलन के अनुसार, पृथ्वी के परिभ्रमण की गति धीमी होने लगी है। जिस कारण इसके अपनी धुरी पर घूमने में लगने वाला 24 घंटे का समय बढ़ने लगा है। ऐसे में भविष्य में एक ऐसी स्थिति आएगी जब पृथ्वी के एक परिभ्रमण की अवधि बढ़ती चली जाएगी और 24 घंटे के दिन-रात का समय भी बढ़ता जाएगा।

इसी समय की सटीक गणना का प्रयास गंभीरता के साथ पिछले कुछ दशकों से किया जा रहा है। पृथ्वी का परिभ्रमण काल धीमा होने की एक वजह ज्वारीय प्रभाव है।

समुद्र का जल ज्वारीय प्रभाव के कारण दिन में दो बार अपनी स्थिति परिवर्तित (घटता-बढ़ता) करता है। दूसरा कारण पृथ्वी के भीतरी कोर व बाहरी हिस्से की आपसी भू-भौतिकीय क्रिया है। इसे आवर्तकाल कहा जाता है। इसका अध्ययन 70 वर्ष से किया जा रहा है।

1.8 मिली सेकेंड की दर से बढ़ रहा दिन-रात का समय

अब नए आकलन के अनुसार, दिन-रात (24 घंटे) का समय 1.8 मिली सेकंड की दर से बढ़ रहा है। बता दें कि आज से 1.4 अरब वर्ष पहले पृथ्वी का दिन-रात 18 घंटे का होता था।

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