In pics Chhath Puja 2022: हल्द्वानी में महापर्व का महाउल्लास, सूर्याेपासना के लिए घाटों पर आस्था का संगम
In Pics Chhath Puja 2022 छठ पूजा को छठी मईया की पूजा के साथ मुख्य रूप से सूर्य उपासना का पर्व माना गया है। इस महापर्व पर महिलाएं 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती है। यह व्रत सबसे कठिन व्रत माना जाता है।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी। Chhath Puja 2022 Photos: छठ महापर्व पर हर तरफ उल्लास का माहौल नजर आया। अस्त होते सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए घाटों पर बड़ी संख्या में महिलाएं अपने परिवार के साथ पहुंची। आमतौर इस महापर्व पर पति और पुत्र की लंबी उम्र की कामना के लिए महिलाएं व्रत रखती हैं, मगर यहां कई पुरुषों ने भी छठी मईया की आराधना के लिए व्रत रखा। हल्द्वानी में छठ पूजा के लिए तीन सार्वजनिक घाट बनाए गए थे। रामपुर रोड स्थित घाट पर सबसे ज्यादा रौनक रही। यह घाट शहर का सबसे पुराना घाट भी है।
छठ के मौके पर घाटों की रौनक देखने वाली थी। हर तरफ छठ गीत बज रहे थे। इस मौके पर करीब 500 परिवार जुटे और शाम के 5:22 बजते ही सूर्य देव और उनकी पत्नी प्रत्यूषा की आराधना करते हुए महिलाओं और उनके स्वजनों ने पानी में खड़े होकर अस्त होते सूर्य देव को अर्घ्य दिया।
छठ पूजा को मुख्य रूप से सूर्य उपासना का पर्व माना गया है। चार दिन के इस महापर्व की शुरुआत नहाय खाय से होती है। इसके बाद खरना और फिर अस्त होते सूर्य की उपासना की जाती है। अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ इस महापर्व का समापन किया जाता है। इस महापर्व पर महिलाएं 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती है। यह व्रत सबसे कठिन व्रत माना जाता है।
छठ महापर्व पर महिलाए पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। तो कई महिलाएं पुत्र की कामना के साथ भी इस महापर्व पर कठिन व्रत रखती हैं। मान्यता है कि छठी मईया और सूर्य देव उनकी इच्छा की पूर्ति करने के साथ ही परिवार में सुख-समृद्धि भी प्रदान करती हैं।
आज अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद कल सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। सोमवार को सूर्याेदय का समय सुबह 6:23 है। इस दौरान भी भारी भीड़ घाटों पर जुटेगी।
यह महापर्व खासतौर पर यूपी के पूर्वांचल हिस्से और बिहार में धूमधाम से मनाया जाता है। धीरे-धीरे इस महापर्व का प्रसार होता गया और अब कई जगहों पर इसकी आस्था देखने को मिलती है।
इस महापर्व पर पतियों ने भी व्रती महिलाओं का पूरा साथ दिया। जहां वह दउरा सिर पर उठाकर नंगे पांव पैदल घाट तक पहुंचे, वहीं कमर तक पानी में खड़े होकर पतियों ने भी पूजा अर्चना की। इस दौरान छठी मईया के प्रति आस्था व्यक्त करते हुए कई श्रद्धालु लेटकर चलते हुए घाट तक पहुंचे।
हल्द्वानी में इस महापर्व पर उमड़ने वाली भारी भीड़ को देखते हुए डायवर्जन किया गया था। शहर के रामपुर रोड पर स्थित घाट पर भारी संख्या में लोग सूर्याेपासना के लिए जुटते हैं। इसलिए प्रशासन ने यातायात व्यवस्था सुचारू रखने के लिए यहां से गुजरने वाली ट्रैफिक को डायवर्ट कर दिया था।
हल्द्वानी छठ सेवा समिति के अध्यक्ष कृष्णा साह ने बताया कि घाट पर आने-जाने के लिए अलग-अलग रास्ते बनाए गए हैं। समिति के उपाध्यक्ष शंकर भगत ने बताया कि कालाढूंगी विधायक बंशीधर भगत आयोजन के मुख्य अतिथि थे। उन्हाेंने यहां आकर दीपदान किया।
छठ पूजा सेवा समिति के महामंत्री मुरारी प्रसाद श्रीवास्तव बताते हैं कि छठ को मनाने की परंपरा बहुत प्राचीन है। कहा जाता है कि बाल हनुमान ने सूर्य को फल समझकर मुंह में समा लिया था। देवताओं के आग्रह करने के बाद हनुमान ने सूर्य को छोड़ा। तभी से डूबते व उगते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा शुरू हुई।
इस मौके पर घाटाें पर दर्शन देहू न अपार हे छठी मैया.., उग हे सूरजदेव अरघ के बेरिया.., सुन ले अरजिया हमार हे छठी मैया.. जैसे गीतों की गूंज रही।
बागेश्वर में भी छठ महापर्व मनाया गया। सूर्यकुंड के समीप राजमिस्त्री परिवारों ने पूजा अर्चना के साथ परिवार की सुख समृद्धि की कामना की। सोमवार को सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ पर्व का समापन होगा।
ऊधमसिंह नगर में यूपी, बिहार के काफी संख्या में लोग रहते हैं। इसलिए यहां भी छठ की रौनक गजब की थी। रुद्रपुर में कल्याणी नदी के किनारे घाट पर जुटी व्रती महिलाओं ने अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया। जिले के बाजपुर, काशीपुर में महिलाओं ने सूर्य देव को जल अर्पित किया।
रुद्रपुर स्थित कल्याणी नदी के घाट पर बड़ी संख्या में व्रती महिलाएं स्वजनों के साथ पहुंची। पतियों ने सिर पर ठेकुआ से भरे देउरा को उठाया और घाट तक साथ में पहुंचे। यहां पर सामूहिक तौर पर सूर्य को नमन कर ठेकुआ की सामग्री अर्पित की गई।
पूजा कार्यक्रम के दौरान लोगों ने आतिशबाजी कर माहौल को दीपोत्सव की तरह बना दिया। घाटों पर जल रहे दीपकों ने अपनी अलग ही छटा बिखेरी। इस मौके पर पूर्वांचल समाज की तरफ से सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
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