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उत्तराखंड में अप्रैल से अब तक जंगल की आग से रोजाना 2 लाख 28 हजार का नुकसान

प्रदेश में 15 फरवरी से 15 जून तक फॉरेस्ट फायर सीजन माना जाता है। मार्च तक स्थिति कंट्रोल में थी। लेकिन अप्रैल की शुरूआत से घटनाएं लगातार बढ़ती गई। जिसकी चपेट में 2337 हेक्टेयर जंगल आ चुका है।

By Prashant MishraEdited By: Updated: Wed, 28 Apr 2021 11:33 AM (IST)
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पिछले चार दिनों से मौसम के साथ देने की वजह से प्रदेश भर में आग की बड़ी घटना नहीं हुई।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी: अप्रैल की शुरूआत से अब तक 2337 हेक्टेयर जंगल जलकर राख हो चुका है। यानी हर दिन 86 हेक्टेयर करीब जंगल को नुकसान हुआ। वहीं, पर्यावरणीय क्षति मतलब प्लांटटेशन व पेड़ों को हुए नुकसान का आंकलन करे तो इसका रोजाना औसत दो लाख 28 हजार 508 रुपये बैठता है। हालांकि, वन विभाग इस बात से राहत में है कि पिछले चार दिनों से मौसम के साथ देने की वजह से प्रदेश भर के जंगलों में आग की कोई बड़ी घटना नहीं हुई।

प्रदेश में 15 फरवरी से 15 जून तक फॉरेस्ट फायर सीजन माना जाता है। मार्च तक स्थिति कंट्रोल में थी। लेकिन अप्रैल की शुरूआत से घटनाएं लगातार बढ़ती गई। जिसकी चपेट में 2337 हेक्टेयर जंगल आ चुका है।

अब तक 1729 घटनाएं

गढ़वाल के आरक्षित वन क्षेत्र में अब तक 559 व कुमाऊं के रिजर्व फॉरेस्ट में 483 मामले सामने आए। गढ़वाल के सिविल सोयम यानी वन पंचायत के जंगलों में एक अप्रैल से 27 अप्रैल तक 392 व कुमाऊं में 120 घटनाएं हुई। इसके अलावा वन्यजीव अभ्यारण क्षेत्र में कुल 175 बार आग लगी।

22 मवेशी आग की भेंट चढ़े

वन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक अभी तक गढ़वाल में 13 व कुमाऊं में नौ मवेशी जंगल की आग की चपेट में आकर अपनी जान गंवा चुके हैं। मगर विभाग से मिलने वाला मुआवजा काफी कम होता है। जिसे लेकर अक्सर ग्रामीण व अफसरों में तकरार होती है।

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