अल्मोड़ा की बोरारौ घाटी में स्वतंत्रता सेनानियों ने कर दिया था स्वायत्तशासी सरकार का ऐलान
भारत छोड़ो आंदाेलन के दौरान ब्रितानियों की दमनकारी नीतियों के बावजूद अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर की बोरारौ घाटी में स्वतंत्रा सेनानियों ने स्वायत्तशासी सरकार के गठन का ऐलान तक कर दिया गया। जिसके बाद गोरों का दमन चक्र शुरू हो गया।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Thu, 11 Aug 2022 03:51 PM (IST)
चंद्रशेखर द्विवेदी, अल्मोड़ा : independence day 2022 : महात्मा गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन के नारे के बाद पूरे देश में जैसे एक करंट सा दौड़ गया। सभी जगहों पर ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ बिगुल फूंक गया। कहीं अहिंसात्मक तो कहीं हिंसात्मक आंदोलन शुरू हो गए। गोरों ने दमनकारी नीतियों के बावजूद अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर की बोरारौ घाटी में स्वायत्तशासी सरकार के गठन का ऐलान तक कर दिया गया। जिसके बाद गोरों का दमन चक्र शुरु हो गया।
आठ अगस्त 1942 को महात्मा गांधी ने भारत छोड़ों आंदोलन का विगुल फूंका। 9 अगस्त से जगह-जगह आंदोलन शुरु हो गए। घबराए अंग्रेज अधिकारियों ने दमनात्मक कार्रवाई शुरू कर दी। सबसे पहले स्वतंत्रता अांदोलन से जुड़े बड़े नेताओं की गिरफ्तारी की गई। 10 अगस्त को जगह-जगह हड़ताल की गई।कुमांऊ कमिश्नर ऐक्टन, डिप्टी कमिश्नर केएस मिश्र, इलाका हाकिम मेहरबान सिंह को आंदोलनों को कुचलने के लिए तैनात किया गया। ताकि आंदोलन आगे ना बढ़ पाए। लेकिन आजादी के मतवालों ने तो कुछ और ही तय किया था। एक गिरफ्तार होता तो तिरंगा लिए दूसरा खड़ा हो जाता।
बोरारौ घाटी में चनौदा गांधी आश्रम आंदोलनकारियों व राष्ट्रीय चेतना का गढ़ हुआ करता था। इसकी स्थापना 1937 में शांति लाल त्रिवेदी ने की। अल्मोड़ा के डिप्टी कमिश्नर ने कुमांऊ कमिश्नर को पत्र लिखा था कि जब तक यह आश्रम चालू है इस क्षेत्र में ब्रिटिश हुकूमत चलना मुश्किल है। रानीखेत में गोरों की फौज ने डेरा डाल दिया था।
अहिंसक आंदोलन के बीच बोरारौ घाटी क्षेत्र में स्वायत्तशासी सरकार के गठन तेज कर दिया गया। 12 अगस्त को पूरे क्षेत्र में हड़ताल की गई। यहां आयोजित सभा में प्रयाग दत्त जोशी की सलाह पर तय किया कि नवंबर-दिसंबर तक एक सामानांतर सरकार का गठन कर दिया जाएगा। 15 अगस्त को प्रयाग दत्त जोशी को गिरफ्तार कर लिया गया।सरकार ने विद्याधर वैष्णव, कुशल सिंह खर्कवाल सहित सात कार्यकर्ता आश्रम से गिरफ्तार किए। ब्रिटिश सेना ने भीषण दमन चक्र चलाना प्रारंभ कर दिया। सितंबर 1942 में गांधी आश्रम को सील कर दिया गया और आश्रम पर 35 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। गिरफ्तार सत्याग्रहियों को अल्मोड़ा जेल ले जाते समय ब्रिटिश सेना को स्थान-स्थान पर विरोध का सामना करना पड़ा।
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