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कोरोना के कारण मानसरोवर यात्रा के बाद अब भरत-चीन कारोबार पर भी संकट

कोरोना वायरस के कारण कैलास मानसरोवर यात्रा के बाद अब लिपुलेख के दर्रे से होने वाले भारत-चीन कारोबार पर भी असर पड़ा है।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Wed, 27 May 2020 09:30 PM (IST)
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कोरोना के कारण मानसरोवर यात्रा के बाद अब भरत-चीन कारोबार पर भी संकट
नैनीताल, जेएनएन : कोरोना वायरस के कारण कैलास मानसरोवर यात्रा के बाद अब लिपुलेख के दर्रे से होने वाले भारत-चीन कारोबार पर भी असर पड़ा है। हर साल एक जून को लिपुलेख दर्रे से होने वाला भारत-चीन सीमा व्यापार शुरू होने की तय तारीख में महज चार दिन बचे हैं, लेकिन स्थानीय स्तर पर अब तक अधिकारियों को विदेश मंत्रालय से कोई निर्देश नहीं मिले हैं। सामने आ रहीं खबरों के मुतािबक इसको लेकर उच्च स्तर पर निर्णय ले लिया गया है। अब स्थानीय स्तर पर महज इसकी औपचारिक घोषणा होनी है। व्यापार स्थगित होने से सीमांत के करीब आठ सौ से अधिक लोगों की आजीविका सीधे प्रभावित होगी।

दोनों देशों में करोड़ों का होता है आयात-निर्यात

साल 2019 में भारत चीन सीमा व्यापार में एक करोड़ 91 लाख रुपये का आयात और 1 करोड़ 25 लाख रुपये की वस्तुओं निर्यात हुआ था। आयात की जाने वाली वस्तुओं में याक की पूंछ, गोट पसम ऊन, सुहागा और इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं प्रमुखता रहती है जबकि कॉफी, तंबाकू, नश्वार, माचिस, गुड़, मिश्री, रेडीमेड वस्त्र का निर्यात किया जाता है।

2008 में नहीं हुआ था भारत-चीन व्यापार

भारत और चीन के बीच वर्ष 1992 से कारोबार शुरू हुआ। इसके बाद वर्ष 2007 तक यह कारोबार दोनों देशों के बीच लिपूलेख दर्रे से होता रहा। वर्ष 2008 में चीन ने वहां हुए ओलंपिक को देखते हुए सुरक्षा कारणों से इस कारोबार को मंजूरी नहीं दी। तब भारत की तरफ से 11 व्यापारियों को ही ट्रेड पास जारी किए गये थे, लेकिन कोई भी चीनी मंडी नहीं जा सका।

दुनिया की कंपनियां चीन से समेट रहीं कारोबार

कोरोना वायरस के कारण चीन को व्यापारिक मोर्चे पर झटका लग रहा है। दुनिया की कई कंपनियां चीन से कारोबार समेट रही हैं। सूत्रों के मुताबिक भारत भी नए पड़ोसी साझेदार ढूढ रहा है। अमेरिका और भारत की रणनीतिक साझेदारी भी बीते दिनों स्पष्ट नजर आई है। इन सबको लेकर सीमा पर चीन की झुझलाहट भी इन दिनों देखी जा सकती है। ताइवान की आेर भारत का झुकाव भी चीन को अखर रहा है।

कैलास मानसरोवर यात्रा भी नहीं होगी

साल 1981 से चली आ रही कैलास मानसरोवर यात्रा 39 साल के इतिहास में पहली बार पूरी तरह स्थगित की जा रही है। उत्तराखंड से होने वाली कैलास यात्रा में हर साल 900 से अधिक लोग शामिल होते आए हैं। उत्तराखंड में कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) कैलास यात्रा की जिम्मेदारी संभालता है। केएमवीएन के एमडी रोहित मीणा ने बताया कि कोरोना के चलते कैलास मानसरोवर यात्रा के लिए हालात अनुकूल नहीं हैं। हालांकि इसमें अंतिम निर्णय विदेश मंत्रालय का ही होगा।

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