Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Ramayana: इस शहर में है देश की पहली रामायण वाटिका, जो रामयुग की दिलाती है याद; अरण्य कांड की वनस्पतियां यहां संरक्षित

Ramayana Vatika उत्तराखंड में देश की पहली रामायण वाटिका बनाई गई है। रामायण वाटिका धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व के साथ पर्यावरण का संदेश दे रही है। चित्रकूट में श्रीराम से मिलने के लिए उनके छोटे भाई भरत पहुंचे थे। वाल्मीकि रामायण में यहां आम नीम बांस और असना के पेड़ होने की जानकारी है। ये वाटिका में मौजूद हैं।

By Jagran News Edited By: Aysha SheikhUpdated: Fri, 19 Jan 2024 11:34 AM (IST)
Hero Image
हल्द्वानी के वन अनुसंधान केंद्र में बनाई गई रामायण वाटिका। जागरण

गोविंद बिष्ट, हल्द्वानी। उत्तराखंड वन अनुसंधान ने पूर्व में हल्द्वानी में रामायण वाटिका स्थापित की थी। वनवास के दौरान भगवान श्रीराम छह अलग-अलग तरह के वनों से होकर गुजरे थे। इस वाटिका में उन वनों से जुड़ी 25 प्रजातियों को संरक्षित किया गया है। इन प्रजातियों का जिक्र अरण्य कांड नामक खंड में है।

अब अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला के प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान को देख वाटिका में कोविदार का पौधा भी रोपा गया है। इस पौधे को रघुकल के राजचिह्न के रूप में मान्यता है। इसका संदर्भ वाल्मीकि रचित रामायण के अयोध्या कांड में मिलता है। रामायण वाटिका धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व के साथ पर्यावरण का संदेश दे रही है। अयोध्या के राजध्वज में सूर्य संग कोविदार का चित्र अंकित था।

वाटिका इस तरह रामयुग की याद दिला रही

चित्रकूट: इस स्थान पर श्रीराम से मिलने के लिए उनके छोटे भाई भरत पहुंचे थे। वाल्मीकि रामायण में यहां आम, नीम, बांस और असना के पेड़ होने की जानकारी है। ये वाटिका में मौजूद हैं।

दंडकारण्य: छत्तीसगढ़ के बस्तर से ओडिसा व तेलंगाना तक का क्षेत्र। श्रीराम ने विरधा समेत कई असुरों का यहां वध किया था। वाल्मीकि रामायण में साल, सागौन, अर्जुन व पडाल का जिक्र। ये पौधे भी वाटिका में हैं।

पंचवटी: महाराष्ट्र के नासिक में गोदावरी का तट। अहंकारी रावण ने इस जंगल में माता सीता का हरण किया था। रामायण में बेल, बरगद, आंवला, अशोक व कपिल की जानकारी। ये पौधे इस वाटिका में नजर आएंगे।

किष्किंधा: यहां श्रीराम की हनुमान व सुग्रीव से मुलाकात हुई। कर्नाटक के बेल्लारी जिले के इस क्षेत्र में मिलने वाले रक्त चंदन, चंदन, धाक व कटहल के पौधे वाटिका में नजर आएंगे।

अशोक वाटिका: माता सीता के हरण के बाद उन्हें इस वाटिका में रखा गया था। वर्तमान में यह श्रीलंका के हकगला वनस्पति उद्यान का हिस्सा है। नागकेसर, चंपा, मौलश्री व सीता अशोक के पौधे वाटिका में दिखेंगे।

द्रोणगिरी: मेघनाथ संग युद्ध में लक्ष्मण के घायल होने पर हनुमान उत्तराखंड में स्थित द्रोणगिरी पर्वत को उठा लाए थे। संजीवनी, संधानी, जीवंती यहां की प्रमुख औषधीय प्रजाति हैं। संजीवनी व जीवंती वाटिका में हैं।

कोविदार देख लक्ष्मण ने पहचानी थी अयोध्या की सेना

भरत को जब भ्राता श्रीराम के वनवास का पता चला था तो वह उन्हें मनाने के लिए सेना संग चित्रकूट जाते हैं। शांत जंगल में हलचल को भांप श्रीराम लक्ष्मण को वजह जानने के लिए कहते हैं। बाहर निकलने पर लक्ष्मण को दूर से रथ के ऊपर जुड़े ध्वज में कोविदार नजर आता है। जिससे वह पहचान जाते हैं कि यह अयोध्या की सेना है।

अयोध्या के राजध्वज में कोविदार का चित्र अंकित है। इसलिए इसका पौधा रामायण वाटिका में लगाया गया है। बोर्ड के माध्यम से लोगों को पूरी जानकारी भी दी गई है। - संजीव चतुर्वेदी, मुख्य वन संरक्षक अनुसंधान, उत्तराखंड

ये भी पढ़ें -

Ram Mandir Andolan: पिता ले रहे थे अंतिम सांसें, बेटे पर पुलिस ने लगाया NSA; कहानी कारसेवक अजय पटेल की

NIT Uttarakhand: एनआइटी में बीटेक और पीएचडी की बढ़ी सीटें, बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ने दी मंजूरी; 2024-25 से मिलेगा लाभ

आपके शहर की तथ्यपूर्ण खबरें अब आपके मोबाइल पर