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Uttarakhand News: भारत ने पूरी की संधि, 17 किमी की नहर से नेपाल को पहुंचाया पानी

1991 में भारत-नेपाल के बीच संधि हुई थी जिसमें टनकपुर में शारदा बैराज से नहर का निर्माण कर नेपाल को पानी देना था। ड्रोन कैमरे से भारत से नेपाल में पानी भेजने को लेकर फोटो ली गई है। नेपाल की ओर से अभी नहर का कार्य शेष रह गया है।

By Prashant MishraEdited By: Updated: Fri, 08 Jul 2022 06:07 PM (IST)
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नहर के बनने के बाद दोनों देशों के बीच रोटी-बेटी के संबंध भी और मजबूत हो गए हैं।
संवाद सहयोगी, टनकपुर : भारत नेपाल की सीमाएं कई जगहों पर मिलती हैं। इन जगहों पर व्यापार से लेकर आपस में रोटी-बेटी का संबंध है। सिंचाई को लेकर पानी देने से यह संबंध और प्रगाढ़ होंगे। भारत पड़ोसी देशों का हमेशा ख्याल रखता आया है।

भारत-नेपाल नहर का कार्य संधि के अनुरूप पूरा कर लिया गया है। भारत ने नहर से करीब 17 किमी दूर नेपाल के लालपुर भासी तक पानी पहुंचा दिया है। आगे नहर का कार्य पूर्ण न होने से नेपाल द्वारा पानी रोक दिया गया है। बाकी बचा हुआ नहर का कार्य किया जा रहा है।

कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट कंपनी के कोआर्डिनेटर बीएस राणा ने बताया कि नेपाल की ओर से संधि के तहत पानी की मांग पर शारदा बैराज से पानी छोड़ दिया जाएगा। शारदा बैराज से नेपाल बार्डर तक करीब 1.5 किमी दूर तक पानी का टेस्टिंग का कार्य पूरा कर लिया था।

बताया जा रहा है कि नेपाल की ओर से अभी नहर का कार्य शेष रह गया है। राणा ने बताया कि ड्रोन कैमरे की मदद से भारत से नेपाल नहर में पानी भेजने को लेकर फोटो ली गई है। वर्ष 1991 में भारत-नेपाल के बीच संधि हुई थी, जिसमें टनकपुर में शारदा बैराज से नहर का निर्माण कर भारत द्वारा नेपाल को सिंचाई के लिए पानी देना था। 

संधि के अनुरूप भारत ने 1200 मीटर नहर बनाकर नेपाल को दे दी है। यह कार्य समय पर पूरा न होने के कारण नेपाल के लोगों ने कई बार विरोध भी किया था। इस नहर को बनने में करीब 29 साल लग गए। भारत-नेपाल संधि के तहत नेपाल नहर में तेजी लाने के लिए जल संसाधन नदी विकास व गंगा मंत्रालय सचिव अमरजीत सिंह ने भी बैराज का निरीक्षण कर शीघ्र कार्य पूरा करने के निर्देश दिए थे। अब इस नहर के बनने के बाद दोनों देशों के बीच रोटी-बेटी के संबंध भी और मजबूत हो गए हैं।

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