चोट लगने से खराब होता है कार्निया, ट्रांसप्लांट से लौटाई जा सकती है आंखों की रोशनी
वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. जीएस तितियाल ने बताया कि कार्निया खराब होने का मुख्य कारण चोट लगना है। इसमें पुतली में घाव होने लगते हैं। समय रहते बीमारी का उपचार कर लिया जाए तो राहत मिल सकती है।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : कार्निया खराब होने का मुख्य कारण चोट लगना है। इसमें पुतली में घाव होने लगते हैं। समय रहते बीमारी का उपचार कर लिया जाए तो राहत मिल सकती है। इस बीमारी में आंखों की रोशनी जाने का खतरा रहता है। बाद में कार्निया ट्रांसप्लांट करने की जरूरत पड़ती है।
यह कहना है वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. जीएस तितियाल का। वह रविवार को दैनिक जागरण के हैलो डाक्टर कार्यक्रम में थे। उन्होंने कुमाऊं भर के लोगों को फोन पर परामर्श दिया। डा. तितियाल राजकीय मेडिकल कालेज के डा. सुशीला तिवारी अस्पताल में नेत्र रोग विभाग के विभागाध्यक्ष पद पर कार्यरत हैं।
...और भी हैं कार्निया खराब होने का कारण
डा. तितियाल के अनुसार कार्निया खराब होने का मुख्य कारण चोट लगना रहता है। इसके अलावा यह बीमारी जन्मजात भी होती है। बचपन में पोषण की कमी यानी विटामिन ए की कमी से भी आंख की पुतली में घाव बन जाता है।
जानें बीमारी के लक्षण
कार्नियल दिक्कत वाले मरीजों को कम दिखाई देने लगता है। आंखों में धुंधलापन, पुतली में सफेद दाग हो जाता है। कार्निया में अल्सर होने की वजह से आंखों में दर्द, पानी आना, लाल होना और रोशनी जाने का खतरा भी रहता है। डा. तितियाल ने बताया कि क्लीनिकल एक्जामिनेशन व मशीनों से जांच के जरिये बीमारी का पता चलता है।
रोशनी जाने पर कानिया ट्रांसप्लांट संभव
डा. तितियाल ने कई लोगों को परामर्श दिया कि कार्निया खराब होने पर ट्रांसप्लांट किया जा सकता है। इसके बाद रोशनी लौट आती है।
भारत में यह है स्थिति
2020-21 की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 68 लाख लोग एक आंख के अंधेपन का शिकार हैं। प्रतिवर्ष डेढ़ से दो लाख लोगों को ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है। कोविड से पहले 28 हजार लोगों का प्रतिवर्ष कार्निया ट्रांसप्लांट हो जाया करता था, लेकिन अब यह संख्या 12 हजार रह गई है। डा. तितियाल ने बताया कि कार्निया ट्रांसप्लांट के लिए हर साल 30 हजार लोग बढ़ रहे हैं। इसलिए नेत्रदान को लेकर जागरूकता की जरूरत है।
एसटीएच में कार्निया क्लीनिक शुरू
एसटीएच में प्रत्येक शनिवार को कार्निया क्लीनिक संचालित होने लगा है। सुबह 10 बजे से दोपहर एक बजे तक कार्निया ट्रांसप्लांट के लिए पंजीकरण किया जा सकता है।
इन्होंने लिया परामर्श
हल्द्वानी से भुवन सती, जानकी, हेमंत गौनिया, सतीश पाठक, भुवनेश गुप्ता, गौलापार से बसंत आर्य, रामनगर से मदन ङ्क्षसह, कोटाबाग से किशन ङ्क्षसह बिष्ट, रानीखेत से हरीश चंद्र तिवारी, रुद्रपुर से साबिर खान, लालपुर से गोपाल राय, कमला मेहता, बागेश्वर से अशोक जोशी, अल्मोड़ा से दया किशन भंडारी, पिथौरागढ़ से जलज, डीडीहाट से विनय कुमार आदि ने फोन कर परामर्श लिया।